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अब पशु अस्पतालों में भी दवाओं की किल्लत
पटना : डाॅक्टरों की कमी झेल रहे राज्य के पशुपालक अब दवाओं की कमी से परेशान हैं. राज्य के पशु चिकित्सालयों में दवाओं का अभाव है. सरकारी पशु चिकित्सालयों में 42 प्रकार की दवाएं रहनी चाहिए. दवा नहीं रहने से पशुपालकों को बाजार से दवा खरीदनी पड़ रही है. निर्धारित 42 दवाओं में से किसी-किसी […]
पटना : डाॅक्टरों की कमी झेल रहे राज्य के पशुपालक अब दवाओं की कमी से परेशान हैं. राज्य के पशु चिकित्सालयों में दवाओं का अभाव है. सरकारी पशु चिकित्सालयों में 42 प्रकार की दवाएं रहनी चाहिए. दवा नहीं रहने से पशुपालकों को बाजार से दवा खरीदनी पड़ रही है.
निर्धारित 42 दवाओं में से किसी-किसी जिले में सिर्फ आधी दवाएं ही हैं. पिछले दिनों पशुओं के लिए टीकाकरण अभियान भी चलाया गया था. विभाग की समीक्षा बैठक में यह बात सामने आयी थी कि पशु चिकित्सालयों में दवाओं की कमी है. समीक्षा बैठक में क्षेत्रीय निदेशकों ने दवा कमी की बात उठाते हुए उससे हो रही दिक्कतों के बारे में बताया था. दरभंगा के क्षेत्रीय पशुपालन निदेशक ने बताया कि मधुबनी में 34 दवाएं ही उपलब्ध हैं. भागलपुर के क्षेत्रीय पशुपालन निदेशक ने बताया कि बांका जिले में 21 और जमुई में 34 तरह की दवाएं हैं.
मालूम हो कि पशुपालन विभाग अब पशु चिकित्सालय को सातों दिन 24 घंटे खोलने की दिशा में काम कर रहा है. कुछ जगह यह शुरू हो गया है. दिसंबर तक पूरे राज्य में यह व्यवस्था लागू हो जायेगी. एेसे में दवाओं की कमी से परेशानी होगी. पशुपालक पहले से ही पशु चिकित्सकों की कमी से परेशान हैं.
डाॅक्टरों की कमी का आलम यह है कि विभाग की समीक्षा में भी यह बात सामने आयी थी कि इस कारण 40 फीसदी पशु चिकित्सालय ही नियमित खुलते हैं. राज्य में पशु चिकित्सक का 2052 पद स्वीकृत हैं. इसकी जगह अभी 1086 डाक्टर हैं. इसमें 705 नियमित और 381 संविदा पर नियुक्त डाॅक्टर हैं. राज्य में 1138 पशु चिकित्लालय हैं. 2012 की पशु गणना के अनुसार राज्य में 3.29 करोड़ से अधिक पशुधन थे. इसमें 60 फीसदी दुधारू पशु हैं.
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