हालांकि विवि ने अब भी उम्मीद नहीं छोड़ी है और इस सत्र को हर हाल में बचाना चाहती है. इसके लिए हर स्तर पर प्रयास जारी है़ यदि अभी भी इसकी मान्यता मिल जाती है तो एडमिशन लिया जा सकता है लेकिन इस समय तक भी यही स्थिति रही तो फिर नवंबर में हर हाल में विवि को डीडीई में जीरो सेशन की घोषणा करनी होगी. हालांकि अगले वर्ष ऐसी स्थिति न हो इसका प्रयास िकया जा रहा है.
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पीयू: डिस्टेंस एजुकेशन काउंसिल से नहीं मिली स्वीकृति, डीडीई के 2017-18 सत्र में जीरो सेशन का खतरा
पटना: पटना विश्वविद्यालय के डीडीई में इस वर्ष जीरो सेशन का खतरा मंडराने लगा है. विवि को वर्ष 2017-18 सत्र के लिए यूजीसी के डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो से अब तक नामांकन लेने की स्वीकृति नहीं मिली है. 15 सितंबर तक नामांकन की अंतिम तिथि थी लेिकन इस तिथि तक विवि को नामांकन लेने के लिए […]
पटना: पटना विश्वविद्यालय के डीडीई में इस वर्ष जीरो सेशन का खतरा मंडराने लगा है. विवि को वर्ष 2017-18 सत्र के लिए यूजीसी के डिस्टेंस एजुकेशन ब्यूरो से अब तक नामांकन लेने की स्वीकृति नहीं मिली है. 15 सितंबर तक नामांकन की अंतिम तिथि थी लेिकन इस तिथि तक विवि को नामांकन लेने के लिए मान्यता ही नहीं दी गई.
अब नये रेगुलेशन को करना होगा फॉलो
यूजीसी द्वारा डिस्टेंस एजुकेशन के लिए नया रेगुलेशन बनाया गया है इसके तहत अब वही संस्थान कोर्स चला सकते हैं जो उक्त रेगुलेशन के अनुरूप कार्य कर रहे हैं. नये रेगुलेशन में पिछले रेगुलेशन से कई तरह का बदलाव हुआ है़ इसमें क्वालिटी ऑडिट जरूरी कर दिया गया है. लेशन अपडेट, डिजिटल पेमेंट, लेशन को वेबसाइट पर अपडेट करना आदि जरूरी कर दिया गया है. इसके अतिरिक्त इंफ्रास्ट्रक्चर आदि कई चीजें जरूरी है.
मान्यता के लिए अब नैक होगा जरूरी
जिस तरह विवि को नैक मान्यता नहीं होने पर यूजीसी व रूसा के तहत मिलने वाले फंड को रोक दिया जायेगा़. ठीक उसी तरह अब जिस विवि के पास नैक की मान्यता नहीं होगी भविष्य में उसे डिस्टेंस एजुकेशन चलाने की अनुमति भी नहीं दी जाएगी.फिलहाल अभी कोई बाध्यता नहीं है और विवि को अगले सत्र आदि में मान्यता में बहुत परेशानी नहीं होगी लेकिन आने वाले दिनों में विश्वविद्यालयों के लिए डिस्टेंस एजुकेशन चलाना उतना आसान नहीं रह जायेगी जितना पहले हुआ करता था. इसलिए इन चुनौतियों का सामना करने के लिए डीडीई को अभी से ही तैयारी की जरूरत है.
सुधार में जुटे डीडीई और विवि प्रशासन
नामांकन की स्वीकृति लेने के लिए डीडीई और विवि प्रशासन लगा हुआ है़ ताकि आने वाले दिनों में कोई परेशानी न हो. चूंकि कुलपति प्रो रास बिहारी सिंह इससे पहले नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के कुलपति थे उन्हें डिस्टेंस एजुकेशन का अच्छा खासा अनुभव है और डीडीई में उनके कार्यकाल के दौरान कई तरह के सुधार किये गये थे. उनके अनुभव का फायदा डीडीई ले रही है और उनके मार्गदर्शन से काम कर रही है. जैसे लेशन अपडेट करने का काम चल रहा है. इसके अतिरिक्त लेशन को वेबसाइट पर डालने को लेकर भी मीटिंग हुई है. इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करने पर भी जोर दिया जा रहा है. वहीं कर्मियों को भी नये तरीके से काम कराने के लिए तैयार किया जा रहा है.
डिजिटलाइजेशन पर जोर
अभी लेशन को लेकर यूजीसी ने अधिक आपत्ति नहीं की है. ज्यादातर डिजिटलाइजेशन पर यूजीसी का अधिक जोर है. इस ओर भी डीडीई ने अभी हाल में बदलाव किये थे और ऑनलाइन नामांकन शुरू किया था जिसमें डिजिटल पेमेंट का ऑप्शन भी था. हालांकि बाद में कुछ समस्या हुई जिस वजह से उक्त पोर्टल से विवि का टाइ-अप समाप्त हो गया लेकिन अगले सेशन में नयी एजेंसी के साथ और अच्छे सुधारों के साथ विवि डिजिटल पेमेंट का ऑप्शन छात्रों के लिए लायेगी. इस ओर काम चल रहा है.
डीडीई को 2017-18 के लिए अभी स्वीकृति नहीं मिली है. हम अभी भी प्रयास कर रहे हैं. कुलपति ने और हमने भी मंत्रालय को लिखा है. यूजीसी से भी हम लगातार संपर्क में हैं. अक्तूबर तक भी अगर हमें परमिशन मिलता है तो हम नामांकन ले सकते हैं लेकिन नवंबर के बाद हमें मजबूरन जीरो सेशन ही करना होगा. इसके बाद हम नये सत्र में ही नामांकन ले पायेंगे. इसको लेकर सभी जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं ताकि आगे किसी प्रकार की दिक्कत डीडीई को नहीं हो.
अरुण कुमार सिंह, निदेशक, डीडीइ, पीयू
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