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बिहार में कुल 77 हजार पुलिसकर्मी, वीआईपी के लिए पूरी फोर्स, आम आदमी भगवान भरोसे
पटना : सूबे में समानता, संतुलन और सुरक्षा पर भले ही लंबी-चौड़ी बहस होती है पर अमल में ऐसा कुछ नहीं लाया जाता है. विकास और समृद्धि की दौड़ में सबसे पहले सुरक्षा मानकों पर ही हम पछाड़ खा रहे हैं. यहां, हर वीआईपी शख्स के दाहिने और बायें दोनों तरफ पुलिस वाले एके-47 लेकर […]
पटना : सूबे में समानता, संतुलन और सुरक्षा पर भले ही लंबी-चौड़ी बहस होती है पर अमल में ऐसा कुछ नहीं लाया जाता है. विकास और समृद्धि की दौड़ में सबसे पहले सुरक्षा मानकों पर ही हम पछाड़ खा रहे हैं.
यहां, हर वीआईपी शख्स के दाहिने और बायें दोनों तरफ पुलिस वाले एके-47 लेकर सुरक्षा में खड़े दिख रहे हैं. जी हां, ब्यूरो आॅफ पुलिस रिसर्च एंड डेवलपमेंट द्वारा जारी किये गये आंकड़ों के मुताबिक बिहार में 3200 वीआईपी पर 6248 पुलिसकर्मी तैनात हैं. यानी एक वीआईपी की सुरक्षा की जिम्मेदारी में औसतन करीब दो पुलिसवाले लगे हैं. जबकि, सूबे की 11 करोड़ की आबादी की सुरक्षा की बात करें, तो औसतन 1500 लोगों पर महज एक पुलिसकर्मी तैनात है. सच्चाई यह है कि वीआईपी कल्चर खत्म करने का दावा भले ही किया जा रहा है पर अभी भी सरकारी गनर लेना स्टेटस सिंबल बना हुआ है.
सुरक्षा बनी खिलवाड़ बिहार में हैं… कुल 77 हजार पुलिसकर्मी
बिहार में कुल पुलिसकर्मियों की संख्या महज 77 हजार है. वहीं जिन वीआईपी ने सुरक्षा ले रखी है उनकी संख्या 3200 है. इनकी सुरक्षा में 6248 पुलिसकर्मी तैनात हैं. औसतन एक वीआईइपी को दो पुलिसकर्मी सुरक्षा दे रहे हैं. इसमें अर्धसैनिक बल, कमांडोज भी शामिल हैं. मतलब साफ है कि यहां जनसंख्या के हिसाब से सुरक्षाकर्मी बेहद कम हैं. पुलिस-पब्लिक मानक में भी बिहार काफी पीछे है. विभागीय आंकड़ों के मुताबिक 34 हजार पुलिसकर्मी की तत्काल बहाली की जरूरत है. इसमें इंस्पेक्टर से लेकर सिपाही रैंक शामिल है.
फरियादी लौटते हैं थाने से… वीआईपी को मिलती है सुरक्षा
वीआईपी के लिए आॅफिस से लेकर आवास तक आधुनिक असलहाधारी सुरक्षा में डटे रहते हैं. लेकिन, आम आदमी को थाने से लेकर अधिकारियों के दफ्तर तक खाक छाननी पड़ती है पर उनका काम नहीं हो पाता.
थाने से फटकार और अधिकारियों के आश्वासन के बीच उनकी समस्या झूलती रहती है. पुलिस की मुस्तैदी की हालत यह है कि बहुत सी टीओपी, चेक पोस्ट, मे आई हेल्प यू के बूथ खाली ही रहते हैं, रात में यहां आवरा पशुओं का डेरा रहता है, सीधे तौर पर कहा जाये, तो लोगों की सुरक्षा खिलवाड़ बन कर रह गयी है.
बिहार के प्रति वीआईपी पर दो पुलिसवाले, जबकि 1500 आम लोग एक पुलिसकर्मी के हवाले
3200 वीआईपी की सुरक्षा में लगे हैं 6248 असलहाधारी पुलिसकर्मी
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