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लापरवाही : खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के आंकड़े खोल रहे पोल, 15 जिलों ने तो अगस्त में एक भी दुकान का नहीं किया निरीक्षण पटना : जन वितरण प्रणाली को दुरुस्त करने की नीयत से सरकार लगातार कदम उठा रही है. बावजूद इसके जिम्मेदार अफसर इसको गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. उचित मूल्य […]

लापरवाही : खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के आंकड़े खोल रहे पोल, 15 जिलों ने तो अगस्त में एक भी दुकान का नहीं किया निरीक्षण
पटना : जन वितरण प्रणाली को दुरुस्त करने की नीयत से सरकार लगातार कदम उठा रही है. बावजूद इसके जिम्मेदार अफसर इसको गंभीरता से नहीं ले रहे हैं. उचित मूल्य की दुकानों के निरीक्षण को लेकर शासन स्तर से काफी सख्ती की गई, फिर भी परिणाम संतोषजनक नहीं है.
अगस्त माह के आंकड़ों पर गौर करें तो सबकुछ साफ हो जाता है. प्रदेश के कुल 38 में से 15 जिलों में एक भी दुकान का निरीक्षण नहीं किया गया है. आठ जिले ऐसे हैं, जहां निरीक्षण का आंकड़ा 10 तक भी नहीं पहुंच सका है. ऐसे में साफ हो जाता है कि व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने में जिला स्तर से लेकर प्रखंड स्तर तक के अधिकारी दिलचस्पी नहीं ले रहे.
भले ही यहां राजधानी (पटना) में बैठकर आला अधिकारी चिट्ठी पर चिट्ठी लिखते रहें. खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के सचिव पंकज कुमार ने पिछले हफ्ते ही सभी जिलाधिकारियों को इस बाबत पत्र लिखा है. उन्होंने स्पष्ट किया है कि जन वितरण प्रणाली की दुकानों की निगरानी नहीं होने से लाभार्थियों की शिकायतें आ रही हैं.
मुजफ्फरपुर ने तो हद कर दी: बार-बार शासन के कहने के बावजूद मुजफ्फरपुर में अप्रैल से अगस्त के बीच एक भी दुकान का निरीक्षण नहीं किया गया, जबकि यहां 2074 दुकानें हैं. सचिव पंकज कुमार ने सभी जिलाधिकारियों को भेजे पत्र के माध्यम से कहा है कि पिछले पांच माह की रिपोर्ट के अध्ययन मेंयह पाया गया है कि कई जिलों में निरीक्षण की एक भी रिपोर्ट पीओआइएमएस पर अपलोड नहीं किया गया है.
अगस्त में यहां एक भी दुकान की जांच नहीं हुई
भोजपुर, किशनगंज, सीवान, सारण, पूर्णिया, अरवल, भागलपुर, वैशाली, सहरसा, अररिया, शिवहर, सुपौल, दरभंगा, कटिहार, मुजफ्फरपुर.
…नहीं तो खराब हो जायेगा सर्विस रिकॉर्ड
सचिव ने पत्र के माध्यम से यहां तक कह दिया है किविगत दिनों अनुमंडल पदाधिकारियों की ओर से निरीक्षण करने के संबंध में उनके वार्षिक कार्य मूल्यांकन में भी इसे शामिल किया जायेगा. इसकी ऑनलाइन मॉनीटरिंग की भी व्यवस्था की गयी है. जिलाधिकारियों से भी अपने स्तर से इसकी जांच को कहा गया है. समय-समय पर साप्ताहिक अभियान चलाकर भी इस काम को कराने को कहा गया है. ताकि जन वितरण प्रणाली की शिकायतोंमें कमी आ सके.
पटना अव्वल, कैमूर दूसरे नंबर पर
उचित मूल्य की दुकानों के निरीक्षण के मामले में पटना अव्वल तो कैमूर दूसरे नंबर पर है. गया ने तीसरे पायदान पर जगह बनायी है. अप्रैल, मई, जून, जुलाई व अगस्त के आंकड़ों पर गौर करें तो पटना में निरीक्षण का आंकड़ा 586 पहुंचा है. कैमूर 518 दुकानों का निरीक्षण कर दूसरे स्थान पर है. गया 503 के साथ तीसरे स्थान पर है. सिर्फ अगस्त माह की बात करें तो गया में 202 दुकानों की जांच हुई है, जो अधिकतम है.पटना 11, कैमूर 12 पर ही सिमट गया है.

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