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बिहार शराबबंदी : शराब छूटी, तो महाजन को कर्ज लौटाया
चाय की दुकान खोल कर अब मजे से जिंदगी काट रहे हैं शिवजी बंटी कुमार मोकामा : शराब से इलाके की मलिन बस्तियों में रहने वालों का जीवन नरक बन गया था. लोग शराब पीकर घर से लेकर बाहर तक गाली-गलौज व मारपीट पर उतारू रहते थे. इससे आये दिन उन्हें थाने व कचहरी का […]
चाय की दुकान खोल कर अब मजे से जिंदगी काट रहे हैं शिवजी
बंटी कुमार
मोकामा : शराब से इलाके की मलिन बस्तियों में रहने वालों का जीवन नरक बन गया था. लोग शराब पीकर घर से लेकर बाहर तक गाली-गलौज व मारपीट पर उतारू रहते थे. इससे आये दिन उन्हें थाने व कचहरी का चक्कर लगाना पड़ता था. बच्चों की पढ़ाई-लिखाई, तो दूर परिवार में खाने के लाले पड़े रहते थे. मोकामा की बरहपुर बिंद टोली भी इससे अछूती नहीं थी. यहां के अधिकतर परिवार शराब के चक्कर में सड़क पर आ गये थे, लेकिन शराबबंदी के बाद स्थिति काफी बदल गयी है.
अब थाने में पत्नी से मारपीट व पड़ोसी से झड़प की शिकायतें नहीं पहुंचतीं. शराब के लिए भटकने के बजाय उनके बीच कमाई के साथ बच्चों को पढ़ाने की ललक है.
शराबबंदी के बाद मोकामा की बरहपुर बिंद टोली के 48 वर्षीय शिवजी बिंद के जीवन में बड़ा बदलाव आया है. शराब की लत छूटते ही उसकी जिंदगी अब चाय बेच कर मजे से कट रही है. गांव के काली चौक पर चाय की दुकान खोली.
इसे चलाने में उसकी पत्नी मुन्नी देवी भी भरपूर सहयोग करती हैं. अब तो वह दुकान का विस्तार करने की भी योजना भी बना रहे हैं. मुन्नी कहती हैं, शराब पीकर मेरे पति कभी मोहल्ले की गलियों में, तो कभी सड़क किनारे पड़े रहते थे. वहीं, घर पहुंचने पर हंगामा व मारपीट उसकी दिनचर्या थी. खेत में मजदूरी कर मैं चंद पैसे इकट्ठा करती, वे भी वह शराब पीने में उड़ा देते थे. शिवजी शराब के दुष्प्रभाव से दो-तीन बार गंभीर रूप से बीमार भी पड़े थे.
उस वक्त उनके इलाज के लिए महाजन से 20 हजार रुपये कर्ज लेना पड़ा था. बाद में उन्हें झोंपड़ीनुमा घर को बेचने तक की नौबत आ गयी थी, लेकिन शराबबंदी होने पर शिवजी को विवश होकर शराब से तोबा करनी पड़ी.
धीरे-धीरे उसके परिवार की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ. वह महाजन का कर्ज भी लौटा चुके हैं. वहीं, बच्चों के खाने-पीने की दिक्कत नहीं रह गयी है. भोजन में दूध व सब्जियों की भी जुगाड़ हो जाती है. कभी घृणा का पात्र रहे शिवजी आज तरक्की के उदाहरण बने हैं. उन्हें देख कर शराब छोड़ चुके मोहल्ले के अन्य लोग भी अपना रोजगार शुरू करने के लिए प्रयासरत हैं.
बच्चे जाने लगे स्कूल
शिवजी के बच्चे स्कूल जाने लगे हैं. पत्नी मुन्नी देवी ने बताया कि हमारे सात बच्चे हैं. शराबबंदी से पहले परिवार की खुशियों पर ग्रहण लगा था.
शराबी पति के चक्कर में बच्चों को दो अक्षरों का ज्ञान होना मुश्किल था. सबसे बड़ा पुत्र अबोध परिवार का पेट पालने के लिए 10 वर्ष की उम्र में ही मजदूरी करने लगा था. उससे छोटे वरुण ने बीच में ही पढ़ाई छोड़ दी, लेकिन अब वह सरकारी स्कूल से साथ कोचिंग में भी पढ़ने जा रहा है. अन्य बच्चे निशा, विभा, मौसम व कोमल भी स्कूल व ट्यूशन जा रहे हैं.
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