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सीएम ने की दो विभागों की समीक्षा, बिहार में अगले साल से चलेंगे सीएनजी वाहन

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को वन एवं पर्यावरण और सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग की समीक्षा बैठक की. इस दौरान दोनों विभागों के कार्यों और सभी योजनाओं की समीक्षा करने के साथ कुछ अहम निर्देश दिये गये. बैठक के बाद मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि कि राज्य में प्रदूषण को नियंत्रित […]

पटना: मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गुरुवार को वन एवं पर्यावरण और सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग की समीक्षा बैठक की. इस दौरान दोनों विभागों के कार्यों और सभी योजनाओं की समीक्षा करने के साथ कुछ अहम निर्देश दिये गये. बैठक के बाद मुख्य सचिव अंजनी कुमार सिंह ने बताया कि कि राज्य में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए सीएनजी (कंप्रेस्ड नैचुरल गैस) के इस्तेमाल को बढ़ावा देने की कार्ययोजना तैयार की जा रही है. अगले वर्ष से राज्य में सीएनजी से सभी सरकारी बसों और अन्य वाहनों को चालने की शुरुआत की जायेगी.

निजी वाहनों के मालिकों को भी इसके लिए प्रोत्साहित किया जायेगा. जो लोग अपने वाहनों में सीएनजी किट लगाना चाहते हैं, उन्हें सब्सिडी दी जायेगी. उन्होंने कहा कि पहले राज्य में सीएनजी को उपलब्ध कराने का बंदोबस्त किया जा रहा है. गेल (गैस ऑथोरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड) की पाइपलाइन को राज्य में बिछाने का काम तेजी से चल रहा है और यह अगले साल तक पूरा हो जायेगा. नालंदा में सिलाव के पास इसका मुख्य स्टेशन बनेगा. इसके तैयार होने के साथ ही राज्य में अगले वर्ष से सीएनजी मिलने लगेगी.

मुख्य सचिव ने कहा कि पर्यावरण को प्रदूषणमुक्त करने के लिए बैट्री चालित गाड़ियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है. इसके लिए शहरों में कई स्थानों पर चार्जिंग प्वाइंट बनाये जायेंगे. उन्होंने कहा कि पटना में 15 साल पुराने वाहनों के परिचालन पर पूरी तरह से रोक लगा दी गयी है. ऐसे वाहनों का किसी तरह का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा. इन्हें सड़कों पर चलने से पहले प्रदूषण जांच सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होगा. ज्यादा धुआं छोड़ने वाले जर्जर वाहनों के परिचालन को पूरी तरह से प्रतिबंधित कर दिया गया है.

हरियाली मिशन में 2022 तक 17% हरियाली का लक्ष्य
सीएस ने कहा कि हरियाली मिशन वर्ष 2022 तक राज्य में 17% हरियाली का लक्ष्य रखा गया है. अब तक 15% हरित आवरण राज्य में हो गया है. इसके अलावा उत्तर बिहार के अररिया, किशनगंज समेत आसपास के जिलों में बांस की खेती को बड़े स्तर पर प्रोत्साहित करने के लिए भागलपुर और सुपौल में टिश्यू कल्चर लैब स्थापित किया गया है.

पीपलघट्टी और अररिया में जैव विविधिता पार्क
राज्य में पीपलघट्टी और अररिया में दो स्थानों पर जैव विविधता पार्क तैयार कराया गया है, जिनमें पेड़-पौधों समेत अन्य सभी तरह की जैव प्रजातियों को प्रदर्शित किया जायेगा. आजादी के बाद पहली बार राज्य का बॉटनीकल सर्वे कराया जा रहा है. इससे पहले अंग्रेजों ने ही यह काम करवाया था. यह सर्वे देहरादून स्थित फॉरेस्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट के साथ मिल कर कराया जा रहा है. यह अंतिम चरण में है. इससे यह पता चल पायेगा कि राज्य में कितने तरह के पेड़-पौधे पाये जाते हैं.

भीम बांध का गरम कुंड होगा विकसित
राजगीर के तर्ज पर कैमूर जिले के भीम बांध में मौजूद गर्म पानी के कुंड को विकसित किया जायेगा. कुंड को विकसित करने के अलावा सड़क समेत अन्य सुविधाएं मुहैया करायी जायेंगी, ताकि यहां भी बड़ी संख्या में लोग आ सकें. सीएस ने कहा कि सभी प्रमुख शहरों में प्रवेश करने से तीन-चार किमी पहले सड़क की दोनों तरफ पेड़ लगाये गये हैं. यह काम करीब सभी शहरों में कर लिया गया है. इस कार्य का थर्ड पार्टी निरीक्षण कराया जा रहा है. इसकी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की जायेगी.

जंगली जानवरों से बचाव को बनेंगे सात जिलों में सेंटर
राज्य में कई स्थानों पर जंगली जानवर आबादी के बीच गांवों में घुस आते हैं. ऐसे सात जिलों को चिह्नित किया गया है, जहां इस तरह के सेंटर तैयार किये जायेंगे. इनमें गया, बांका, अररिया, बेतिया, मधुबनी समेत अन्य शामिल हैं. इन सेंटरों में जानवरों को पकड़ने के लिए बेहोशी के हथियार के साथ एक्सपर्ट वनकर्मियों समेत अन्य संबंधित लोग हमेशा मौजूद रहेंगे.

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