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कहीं सीप और शीशे से बन रहा पंडाल तो कहीं दिखेंगी 13 मूर्तियां एक साथ

दुर्गा पूजा शुरू होने में 18 दिन बचे हैं, लेकिन पटना का माहौल अभी से उत्सवनुमा होने लगा है. जगह-जगह पूजा पंडाल का निर्माण शुरू हो गया है और कारीगर मूर्तियां बनाने में जुटे हैं. राजधानी की कुछ प्रमुख पूजा समितियों द्वारा की जा रही तैयारी का जायजा रविवार को प्रभात खबर की टीम ने […]

दुर्गा पूजा शुरू होने में 18 दिन बचे हैं, लेकिन पटना का माहौल अभी से उत्सवनुमा होने लगा है. जगह-जगह पूजा पंडाल का निर्माण शुरू हो गया है और कारीगर मूर्तियां बनाने में जुटे हैं. राजधानी की कुछ प्रमुख पूजा समितियों द्वारा की जा रही तैयारी का जायजा रविवार को प्रभात खबर की टीम ने लिया और जानने का प्रयास किया कि इस बार उनके पास क्या खास होगा.
शिव मंदिर, कदमकुआं
लाइट की होगी अाकर्षक व्यवस्था
कदमकुआं स्थित शक्ति शिव मंदिर का पंडाल भी देखने लायक होगा. मंदिर के बराबर ऊंचाई का इसे बनाया जायेगा और लाइट की अाकर्षक व्यवस्था भी देखने लायक होगी. लाइिटंग का काम जोरों पर है
पंडाल निर्माण का काम किया जा रहा है. पूजा समिति के सदस्य संतोष कुमार ने बताया कि यहां अलग से प्रतिमा स्थापित नहीं की जाती है. मंदिर में स्थापित मां दुर्गा की सिंहवाहिनी मूर्ति की ही यहां हर साल पूजा होती है. यहां की पूजा पद्धति की खास िवशेषता है. यहां पूजा देखने के िलए सारे शहर के लोग उमड़ पड़ते हैं. इसके िलए पूजा समिति के लोग अपने स्तर से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम करते हैं.
गोविंद मित्रा रोड14 फीट ऊंची होगी मूर्ति
पटना का सबसे बड़ा पंडाल गोविंद मित्रा रोड में बनेगा. पंडाल 16000 वर्ग फीट में विस्तृ़त होगा. लंबाई 800 फीट, चौड़ाई 20 फीट और उंचाई भी 20 फीट होगी. यह अशोक राजपथ से बारी पथ तक फैला होगा.
पूजा का आयोजन कर रही श्रीश्री दुर्गा पूजा संगीत समिति के महासचिव अर्जुन यादव ने बताया कि पंडाल को किसी भव्य मंदिर या मोनुमेंट का रूप देने पर विचार चल रहा है. इसमें स्थापित होनेवाली माता की मूर्ति 14 फीट की होगी. लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश व कार्तिकेय की प्रतिमाओं के साथ सात-सात फीट के महिषासुर की दो भयावह प्रतिमाएं भी देखने लायक होंगी. बेहतर लाइटिंग के साथ आकर्षक झांकी इसकी एक अन्य प्रमुख विशेषता होगी.
बेली रोड में राजा बाजार स्थित दुर्गा आश्रम का पूजा पंडाल भी देखने लायक होगा. वहां पंडाल की ऊंचाई 45 फीट होगी. उसके भीतर 40 फीट ऊंचा पहाड़ बनाया जायेगा और उससे गिरते हुए झरना भी दिखाया जायेगा. इस पर प्लास्टर ऑफ पेरिस की चलने वाली मूर्तियां स्थापित की जायेंगी, जो वाटरप्रूफ होंगी. इनका निर्माण गया में वहां के स्थानीय कलाकारों द्वारा किया जा रहा है. यहां मां दुर्गा की मूर्ति छह फीट, जबकि अन्य देवी -देवताओं की मूर्तियां पांच-पांच फीट की होंगी.
सब मूर्तियां पहाड़ पर स्थित गुफा में स्थापित होंगी. लाइट साउंड की विशेष व्यवस्था और आकर्षक झांकी इसका एक बड़ा आकर्षण होगी. एक झांकी में दशरथ मांझी को पहाड़ तोड़ते हुए दिखाया जायेगा और उसको मना करने के लिए एक राक्षस आयेगा. यहां िबहार में लागू शराबबंदी को लेकर भी एक झांकी िदखायी जायेगी. झांकी में पति टेबल पर निकाल कर दारू पीता दिखेगा. पत्नी उसे समझाने की कोशिश करती िदखेगी. लाख मना करने पर भी जब वह नहीं मानेगा, तो पत्नी पुलिस को बुला कर उसे जेल भेजवाती दिखेगी.
मछुआटोली
110 फीट ऊंचा होगा पंडाल
डाकबंगला चौराहा
डाकबंगला चौराहा पर दक्षिण भारतीय वास्तुकला पर आधारित 110 फीट का भव्य पंडाल बनाया जा रहा है जो पूरी तरह शीशे ओर सीप का बना होगा. नवयुवक संघ श्री दुर्गा पूजा समिति के कोषाध्यक्ष अमित कुमार बरूआ ने बताया कि पंडाल का डिजाइन कोलकाता आर्ट कॉलेज के रीतेश चटर्जी ने बनाया है और उसे पश्चिम बंगाल के काथी मिदनीपुर में पिछले आठ महीने से स्थानीय कलाकारों द्वारा बनाया जा रहा है. पटना में 20-25 दिन पहले से उसे लगाने का काम शुरू हुआ है.
डाक बंगला चौराहे पर मां दुर्गा की आशीर्वादी मुद्रा की मूर्ति स्थापित होगी. मूर्ति की ऊंचाई 18 फीट होगी, जो साज सज्जा लेकर 25 फीट के आसपास हो जायेगी. दो महिषासुर होंगे, जो भयावह दिखेंगे. कोलकाता के पाटुली के प्रसिद्ध मूर्तिकार जगन्नाथ पाल के नेतृत्व में सात कारीगरों की टीम इसे पिछले एक महीने से बना रही है. मूर्ति की साज सामग्री बंग्लादेश की सीमा पर स्थित बाेनगा और बनारस से आ रही है.
मूर्ति के निर्माण में पटना के गंगा जल के साथ साथ हरिद्वार, बनारस और हुगली के गंगा जल का भी इस्तेमाल किया जा रहा है. पूजा के दौरान यहां भव्य भोग भी लगाया जाता है. सप्तमी के दिन स्वर्ण मंदिर के कारीगरों द्वारा यहां लगाये जाने वाले भोग का निर्माण किया जायेगा, जबकि अष्टमी की खिचड़ी कोलकाता के कारीगर बनायेंगे.

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