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ताक पर नियम : कहीं आपको बीमार न बना दे यहां-वहां खुले में पड़ा बायोमेडिकल वेस्ट
आनंद तिवारी पटना : राजधानी के निजी अस्पताल बायोमेडिकल वेस्ट के नियमों को ताक पर रख कर कचरे का निबटारा कर रहे हैं. जबकि जैव चिकित्सा अपशिष्ट नियम 2015 के अनुसार शहर के अस्पताल, नर्सिंग होम, पैथोलॉजी, ब्लड बैंक, पशु चिकित्सा संस्थान आदि के जैविक कचरों का निबटान इंसिनरेटर में करना है. मजे की बात […]
आनंद तिवारी
पटना : राजधानी के निजी अस्पताल बायोमेडिकल वेस्ट के नियमों को ताक पर रख कर कचरे का निबटारा कर रहे हैं. जबकि जैव चिकित्सा अपशिष्ट नियम 2015 के अनुसार शहर के अस्पताल, नर्सिंग होम, पैथोलॉजी, ब्लड बैंक, पशु चिकित्सा संस्थान आदि के जैविक कचरों का निबटान इंसिनरेटर में करना है. मजे की बात तो यह है कि शहर में कितने प्राइवेट अस्पताल और कितने पैथोलॉजिकल केंद्र हैं, इसकी जानकारी के लिए अब तक कोई सर्वे भी नहीं हुआ है.नियम के तहत जैविक कचरों के निबटान के लिए आइजीआइएमएस में कॉमन बायोमेडिकल वेस्ट ट्रीटमेंट फैसिलिटी उपलब्ध करायी गयी है.
यहां प्राइवेट नर्सिंग होम, पैथोलॉजिकल लैब सहित अन्य जगहों के मेडिकल वेस्ट का निष्पादन किया जाता है. लेकिन एजेंसी का दावा है कि शहर के बायोमेडिकल वेस्ट उत्पन्न करनेवाले मात्र 60 प्रतिशत संस्थान ही आइजीआइएमएस में रजिस्टर्ड हैं. इनमें से भी 100 संस्थान ऐसे हैं, जो बायोमेडिकल वेस्ट देने से साफ इन्कार करते हैं.
खुले में जलाया जाता है कचरा संक्रमण का रहता है खतरा
आइजीआइएमएस में संचालित एजेंसी की मानें, तो कचरा नहीं देने पर कार्रवाई नहीं होती. यही वजह है कि कुछ अस्पताल खुले में कचरा जलाने का काम करते हैं. नतीजा संक्रमण सहित कई बीमारियों के फैलने की आशंका हमेशा बनी रहती है. बायोमेडिकल कचरा निष्पादन सभी अस्पतालों को करना है. बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट ऑफ हैंडलिंग रूल्स 2016 के तहत बायो मेडिकल कचरा को खुले में नहीं फेंका जा सकता है. यह गैर कानूनी है. ऐसा करनेवालों को पांच साल की सजा या फिर एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है.
लाइव रिपोर्ट
कृष्णा नगर की तरफ निजी नर्सिंग होम के पास खड़ी कूड़ा उठानेवाली ठेला गाड़ी से निजी अस्पताल से विभिन्न रंगों के डिब्बे में भरा कचरा उड़ेलते देखा जा सकता है. इस कूड़ा में मरीजों पर प्रयोग की गयी सूई, खून लगे बैंडेज-पट्टी, दवाओं के खाली बोतल, दवाओं के यूज्ड स्ट्रिप, खून चढ़ाने वाली खाली पॉली बैग के साथ-साथ अस्पतालों से निकला ठोस कचरा, खाने-पीने का सामान आदि भरा हुआ है.
क्या कहते हैं अधिकारी
आइजीआइएमएस के इंसिनरेटर में शहर के 60 प्रतिशत अस्पताल व पैथोलॉजी जांच केंद्र ही अपने मेडिकल वेस्ट का निबटान कर रहे हैं. इनमें भी 10 प्रतिशत ही मेडिकल वेस्ट होता है. अगर शहर के सभी अस्पतालों का कचरा आये, तो संक्रमण आदि की समस्या खत्म हो जायेगी.
शैलेंद्र कुमार सिंह, सीनियर बायोमेडिकल इंजीनियर, आइजीआइएमएस
शहर के करीब 100 ऐसे अस्पताल हैं, जो बायोमेडिकल वेस्ट देने से इनकार करते हैं. इसकी सूचना बिहार राज्य पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण पर्षद को दी जा चुकी है.
– संजय सिंह, जीएम, संगम मेडिसर्व प्राइवेट लिमिटेड
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