29.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Trending Tags:

Advertisement

BIHAR FLOOD : आर्थिक रूप से कमजोर हो गये किसान, जब पूंजी पर बहा बाढ़ का पानी

पटना : बाढ़ से राज्य में फसलों को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है. लाखों हेक्टेयर में लगी धान की फसलें तबाह हो गयीं. बाढ़ प्रभावित जिलों में खरीफ की 39.32 फीसदी फसलों को नुकसान पहुंचा है. 7.40 लाख हेक्टेयर में लगी फसलों को बाढ़ से नुकसान पहुंचा है. इस नुकसान की भरपायी कृषि विभाग के लिए […]

पटना : बाढ़ से राज्य में फसलों को जबरदस्त नुकसान पहुंचा है. लाखों हेक्टेयर में लगी धान की फसलें तबाह हो गयीं. बाढ़ प्रभावित जिलों में खरीफ की 39.32 फीसदी फसलों को नुकसान पहुंचा है. 7.40 लाख हेक्टेयर में लगी फसलों को बाढ़ से नुकसान पहुंचा है. इस नुकसान की भरपायी कृषि विभाग के लिए आनेवाले समय में बड़ी चुनौती बनेगी.
कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने आश्वस्त किया है कि किसानों को नुकसान को भरपायी होगी. खरीफ के चालू मौसम में 34.44 लाख हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है. इसमें 34.12 लाख हेक्टेयर में रोपनी हुई. इसी प्रकार 4.41 लाख हेक्टेयर में मक्का की खेती का लक्ष्य था. लक्ष्य के विरूद्ध 4.09 लाख हेक्टेयर में बुआई हुई. इस बार मानसून का साथ मिलने के कारण धान की अच्छी पैदावार होने का अनुमान था. 19 जिलों में सौ फीसदी या उससे भी अधिक रोपनी हुई .
बाढ़ से सारण, गोपालगंज, मुजफ्फरपुर, पूर्वी व पश्चिमी चंपारण, सीतामढ़ी, शिवहर, दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा, खगड़िया, पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार के 215 प्रखंडों में भारी तबाही हुई है. बाढ़ से सबसे अधिक दरभंगा जिले में 75.74 फीसदी फसलों को नुकसान पहुंचा है. अररिया में 71 फीसदी. पूर्वी चंपारण में 40 व पश्चिमी चंपारण में 46.44 फीसदी फसलों को नुकसान पहुंचा है. कटिहार में 58 व सीतामढ़ी व शिवहर में 63 फीसदी फसलों के नुकसान पहुंचा है.
अररिया
धान का कटोरा कहे जानेवाले अररिया जिले की खेतों में जहां कहीं भी नजर जाती है, केवल पानी ही पानी दिखता है. किसान इस बार दशहरे का पर्व भी नहीं मना पायेंगे. जिले का अर्थतंत्र धान की फसल पर ही निर्भर है. रानीगंज व औराही-हिंगना इलाके की धान की फसलें विख्यात हैं.
यहां के किसान इस बार अच्छी पैदावार की आस लगाये थे. विभागीय आंकड़ा अभी एकत्र किया जा रहा, लेकिन जानकारों के मुताबिक इस बार बाढ़ के कारण धान-चावल के दर आसमान छुयेंगे. लोकल धान के नहीं रहने के कारण बाहर से आने वाले चावल पर ही पूरा बाजार निर्भर रहेगा. इसके साथ ही क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पटुआ (पटसन) की खेती भी होती है. इस बार पटुआ के पौधे पानी के कारण गल गये. इसका असर कोलकाता तक के जूट उद्योग पर पड़ेगा.
पूर्णिया
पूर्णिया में मखाना-पानीफल (सिंहारा) की खेती चौपट हो गयी. दरभंगा-मधुबनी के बाद मखाने की खेती सर्वाधिक यहीं होती है. बाढ़ के कारण तालाब में लगाये गये पौधे नष्ट हो गये. पानीफल तीज पर्व तक बाजार में उतर आता था, लेकिन ज्यादा पानी के कारण उसकी लतर बर्बाद हो चुकी है.
यदि तेज धूप निकलती रहेगी, तो आगे भी इसकी उपज संभव नहीं है. मखाना और पानी फल से जुड़ी खेती में जिले के 20 फीसदी किसान लगे हैं. उनके आगे भुखमरी की नौबत है. किसानों को अभी कहीं मजदूरी भी नहीं मिल पा रही है. इसके कारण पलायन ही एकमात्र विकल्प है. पूर्णिया में मक्के की फसल भी प्रभावित हुई है.
कटिहार
कटिहार में मछली व पटसन उत्पादन पर असर पड़ा है. यह जिला मछली उत्पादन का हब है. इस बार पानी के तेज बहाव के कारण तालाबों में पल रही मछलियां नदियों के आगोश में चली गयीं. इस कारण आश्विन माह में जो मछलियां बाजार में अच्छी कीमत में बिकती थीं, वह नहीं मिल पायेगी.
अब आंध्रा की मछलियों पर ही आश्रित रहना पड़ेगा. यहां की मछलियां पूर्णिया-भागलपुर के अलावा देश के अन्य भागों में भी भेजा जाता रहा है. इस बार इस कारोबार में लगे लोगों के सामने विकट परिस्थिति है. मछलियों के बीज (जीरा) में लगाये गये पैसे भी पानी में बह गये. इसके साथ ही क्षेत्र में बड़े पैमाने पर पटुआ (पटसन) की खेती भी होती है. इस बार पटुआ के पौधे पानी के कारण गल गये. इसका प्रतिकूल असर जूट उद्योग पर पड़ेगा.
आर्थिक रूप से कमजोर हो गये किसान
मुजफ्फरपुर
जिले के 10 प्रखंडों के 423 गांव इन दिनों बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं. गांव के गांव पानी में डूब चुके हैं. आम लोग तो इससे प्रभावित हैं ही, किसानों की इससे कमर टूट चुकी है. खरीफ का मौसम होने के कारण खेतों में धान, मक्का, मूंग, अरहर सहित अन्य फसलें बर्बाद हो चुकी हैं. कृषि व आपदा विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, जिले में 84773 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि पर बाढ़ का असर है. 39399 हेक्टेयर में लगी 52.66 करोड़ की फसल बरबाद हो चुकी हैं. फिलहाल जो स्थिति है, उससे यह आंकड़ा और बढ़ सकता है.
दरभंगा
जिले के 18 में से 16 प्रखंड बाढ़ से आंशिक या पूर्ण रूप से प्रभावित है. इस बार जिले में 97285 हेक्टेयर खेत में अगहनी फसल का आच्छादन किया गया था. किसानों ने सर्वाधिक धान की खेती की थी. प्रारंभिक अनुमान के अनुसार 77026 हेक्टेयर खेत में लगी फसल बाढ़ से प्रभावित हो चुकी है. जिला कृषि विभाग के अनुसार करीब 103.510 करोड़ रुपए की क्षति अनुमानित है. जिला कृषि पदाधिकारी समीर कुमार ने बताया कि बाढ़ का पानी घटने के बाद गहन सर्वेक्षण कराया जायेगा. इसके बाद ही सही आंकड़ा सामने आ सकेगा.
बाढ़ ने मछली उत्पादक किसानों को भारी नुकसान पहुंचाया है. जिले में 3355 हेक्टेयर में सरकारी तथा 6758 हेक्टेयर में निजी जल कर है. प्रारंभिक स्तर पर मत्स्य विभाग ने जो आंकड़ा दिया है, उसके अनुसार 950 हेक्टेयर सरकारी एवं 1500 हेक्टेयर निजी जल कर बाढ़ के पानी से तबाह हो गया है. इससे मछली व्यवसायी को 20 से 25 प्रतिशत घाटा उठाना पड़ सकता है.
सीतामढ़ी
बाढ़ ने फसलों को क्षति पहुंचा कर किसानों की कमर तोड़ दी है. खासतौर पर महाजन से कर्ज लेकर खेती करने वाले किसानों के चेहरों पर चिंता की लकीरें दिखने लगी हैं. मुआवजा देने का प्रावधान रहने के बाद भी उनकी चिंता कम नहीं हो रही है. किसानों का कहना है कि कागजी खानापूर्ति होते-होते काफी वक्त गुजर जाता हैं.
पूर्वी चंपारण
फसल क्षति का अनुमानित रकबा एक लाख आठ हजार एक सौ 75 हेक्टेयर के करीब माना जा रहा है. इनमें धान एवं गन्ना की फसल के अधिक नुकसान हुआ है. इसके अलावा खेतों में लगी मक्का,अरहर एवं साग-सब्जी भी बर्बाद हुई है. कृषि विभाग ने प्रखंडवार क्षति आकलन शुरू कर दिया है. कृषि विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 में बहुवर्षीय फसलों की खेती करीब तीन लाख हेक्टेयर में हुई है. जिसमें धान का अच्छादन दो लाख चार सौ 18 हेक्टेयर हुआ है.
प्रशासनिक स्तर पर चिन्हित बाढ़ प्रभावित 24 प्रखंडों में एक लाख 65 हजार आठ सौ 23 हेक्टेयर धान की खेती हुई थी. वहीं डेढ़ सौ के करीब गन्ना एवं अन्य बहुवर्षीय फसल किसानों ने लगायी थी. खासकर आदापुर, सुगौली, बंजरिया, ढाका, बनकटवा, घोडासहन, मधुबन, पताही, चिरैया, सदर मोतिहारी आदि प्रखंडों में ज्यादा क्षति हुई है.
प. चंपारण
सबसे अधिक मार उन किसानों पर पड़ी है जिन्होंने सालभर की अपनी मेहनत एवं पूंजी लगा कर फसलें तैयार की थीं. उन्हें बाढ़ ने एक झटके में ही धो डाला है. ऐसे किसानों का आंकड़ा डेढ़ लाख से अधिक है. जिनके खेत की फसलें बरबाद हो चुकी हैं. इसमें नगदी फसल गन्ना की कौन कहे, यहां की प्रमुख फसल धान, अरहर, मकई की फसल को भी व्यापक क्षति हुई है.
जिला कृषि कार्यालय से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार जिले में 74 हजार हेक्टेयर में लगी धान की फसल को नुकसान हुआ है. हजारों एकड़ धान की फसल बर्बाद हो गयी है. वहीं जिले में 1.46 लाख हेक्टेयर में किसानों ने गन्ने की फसल लगायी थी. इसमें से करीब 46 हजार हेक्टेयर गन्ने की फसल बाढ़ से बरबाद हो गयी है. इसके अलावे मकई का भी बुरा हाल हो गया है.
मधुबनी
धान की फसल काे व्यापक तौर पर नुकसान हुआ है. कृषि विभाग के अनुसार करीब 63000 एकड़ में लगी धान की फसल पूरी तरह समाप्त हो गयी है. हालांकि सब्जी की खेती, मडुआ, केला व अन्य फसलों को भी नुकसान हुआ है. दूर- दूर तक खेत वीरान दिख रहे हैं. किसानों की नगद फसल बर्बाद होने से परेशानी खड़ी हो गयी है.
छपरा
पानापुर, तरैया, अमनौर, मशरक, मकेर, परसा तथा मढ़ौरा क्षेत्र में गंडक नदी के बांध टूटने से आयी बाढ़ की वजह से हजारों एकड़ में लगी धान, मक्का, अरहर तथा सब्जियों की खेती नष्ट हो गयी. फसल बरबाद होने से किसानों को लाखों रुपयों का नुकसान हुआ है. वहीं आनेवाले समय में किसानों को अन्न का भी अभाव होगा. बताते चले कि तरैया तथा अमनौर के इलाकों में मक्के की भरपूर खेती होती है. वहीं पानापुर तथा तरैया में जहां धान की लहलहाती फसलों के डूबने से किसान मायूस हैं.
गोपालगंज
गंडक नदी में अचानक 15 अगस्त को 5.35 लाख क्यूसेक पानी छोड़े जाने से आयी बाढ़ ने तबाही मचा दी. बाढ़ के कारण सदर, कुचायकोट, मांझा, बरौली, सिधवलिया, बैकुंठपुर प्रखंड के 22571.65 हेक्टेयर में लगे धान, मक्का, सब्जी और 15 हजार हेक्टेयर में गन्ना की फसल पूरी तरह गल गयी है. एक अनुमान के अनुसार 665 करोड़ की फसल पानी में डूब गयी. हालांकि कृषि विभाग का सर्वे सोमवार से होना है, लेकिन अनुमान है कि 665 करोड़ से अधिक की क्षति इस बार छह प्रखंडों को उठानी पड़ी है.
समस्तीपुर
समस्तीपुर में बाढ़ के कारण चार प्रखंडों में लगी 7068.8 हेक्टेयर फसल खराब हो गई है. उनका अनुमानित मूल्य चार करोड़ 94 लाख 89 हजार चार सौ 16 रुपये जिला कृषि विभाग बता रहा है. कल्याणपुर, हसनपुर, विथान व सिंघिया प्रखंड के 11 हजार 1 सौ 66 किसानों की मेहनत पर बाढ़ ने पानी फेर दिया है. इस बार अच्छी मानसूनी बारिश को देखते हुए ज्यादातर किसानों ने कर्ज लेकर धान, मक्का, दलहन, तेलहन, मौसमी फसलों की बुआई की. ऐसे में किसानों की इस बार आयी बाढ़ ने कमर तोड़ कर रख दी है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें