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न सिलेबस, न पुस्तक, बस ऐच्छिक विषय की परीक्षा

सिर्फ कागजों पर उपलब्धियां गिना रहा शिक्षा विभाग, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही अनुपम कुमारी पटना : ए क तरफ सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के बड़े-बड़े दावे कर रही है. वहीं, दूसरी ओर बीते नौ वर्षों से एेच्छिक विषय के लिए न तो सिलेबस बनाया गया है आैर न ही […]

सिर्फ कागजों पर उपलब्धियां गिना रहा शिक्षा विभाग, जमीनी हकीकत कुछ और ही बयां कर रही
अनुपम कुमारी
पटना : ए क तरफ सरकार शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के बड़े-बड़े दावे कर रही है. वहीं, दूसरी ओर बीते नौ वर्षों से एेच्छिक विषय के लिए न तो सिलेबस बनाया गया है आैर न ही पाठ्यक्रम. ऐसे में 10वीं बोर्ड के बच्चे बिना सिलेबस और पाठ्यक्रम के ही परीक्षा दे रहे हैं, जबकि इन विषयों के बारे में बच्चों को सिलेबस तक की जानकारी नहीं है कि उन्हें पढ़ना क्या है? शिक्षा विभाग कागजों पर केवल उपलब्धियां गिनाने में लगा है, जबकि स्थिति कुछ और ही बयां कर रही है.
वर्ष 2009 में ही किया गया था बदलाव
शिक्षा विभाग द्वारा वर्ष 2009 में मैट्रिक परीक्षा में एेच्छिक विषय के रूप में सातवें विषय की परीक्षा का प्रावधान बनाया गया. इसके तहत कुल 11 विषय निर्धारित किये गये, जिनमें उच्च गणित, अर्थशास्त्र, गृह विज्ञान, वाणिज्य, मैथिली, संस्कृत, फारसी, अरबी, संगीत, नृत्य व ललित कला शामिल हैं.
राज्य सरकार एक तरफ एेच्छिक विषय का प्रावधान कर बच्चों की परीक्षा ले रही है. वहीं, दूसरी ओर उन विषयों का न तो सिलेबस है और न ही कोई पाठ्यक्रम, जिससे बच्चे पढ़ाई कर सकें. ऐसे में सरकार को इस मुद्दे पर ध्यान देने की जरूरत है. यह लाखाें छात्र-छात्राओं के भविष्य से जुड़ा मामला है.
केदार नाथ पांडेय, अध्यक्ष, बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ
कागज पर ही चल रही पढ़ाई, परीक्षा
नौवीं कक्षा से ही बच्चों को एेच्छिक विषय के रूप में कोई एक विषय लेकर पढ़ाई करनी होती है. मैट्रिक की परीक्षा में इस विषय के लिए भी परीक्षा देनी होती है. पर एससीइआरटी द्वारा न तो सिलेबस बनाने का काम किया गया है और न ही बिहार टेक्स्ट बुुक कारपोरेशन द्वारा पुस्तकें छापने का काम किया.
नहीं जोड़ा जाता है अंक
एेच्छिक विषय की परीक्षा के दौरान मिले अंक को मैट्रिक के कुल छह सौ अंक की परीक्षा में जोड़ा नहीं जाता है. स्कूल में एेच्छिक विषय के रूप में बच्चों के कुल छह पेपर की जगह सात पेपर का दिखावा तो किया जाता है, पर सातवें पेपर का लाभ दिखाई नहीं दे रहा है. यह महज एक नियम की खानापूर्ति करने जैसा है.

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