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पटना : डॉक्टरों के निजी प्रैक्टिस पर प्रबंधन सख्त, 50 रडार पर, होगी कार्रवाई
पटना : ‘डॉक्टर सरकारी, पर प्रैक्टिस निजी’ शीर्षक से प्रभात खबर में सोमवार को खबर प्रकाशित होने के बाद आइजीआइएमएस प्रशासन गंभीर दिखा. इस मामले को लेकर अस्पताल के निदेशक की अध्यक्षता में आपात बैठक बुलायी गयी, जिसमें सभी चिह्नित डॉक्टर भी पहुंचे. बैठक में संबंधित डॉक्टरों ने अपना-अपना पक्ष भी रखा. सूत्रों की मानें […]
पटना : ‘डॉक्टर सरकारी, पर प्रैक्टिस निजी’ शीर्षक से प्रभात खबर में सोमवार को खबर प्रकाशित होने के बाद आइजीआइएमएस प्रशासन गंभीर दिखा. इस मामले को लेकर अस्पताल के निदेशक की अध्यक्षता में आपात बैठक बुलायी गयी, जिसमें सभी चिह्नित डॉक्टर भी पहुंचे. बैठक में संबंधित डॉक्टरों ने अपना-अपना पक्ष भी रखा. सूत्रों की मानें तो खबर में उल्लिखित डॉक्टरों के साथ-साथ करीब 50 डॉक्टर चिह्नित किये गये हैं, जो संस्थान के बाहर लंबे समय से प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे हैं.
अस्पताल प्रशासन अब धावा दल की मदद से ऐसे डॉक्टरों की जानकारी इकट्ठा करेगा और उन पर कड़ी कार्रवाई करेगा. कार्रवाई से पहले इनके खिलाफ पर्याप्त सबूत जुटाये जायेंगे. मामला
सही पाये जाने पर चिह्नित डॉक्टर बर्खास्त भी किये जा सकते हैं. अस्पताल के निदेशक डॉ एनआर विश्वास ने बताया कि नये डॉक्टरों की बहाली की जा रही है. ऐसे में संस्थान के नियम के विरुद्ध प्राइवेट प्रैक्टिस करनेवाले डॉक्टर बख्शे नहीं जायेंगे. मामला सही पाये जाने पर उन पर कार्रवाई होगी.
पहले भी जांच में पकड़े गये हैं डॉक्टर पर अब तक नहीं रुकी निजी प्रैक्टिस
स्वास्थ्य विभाग और आइजीआइएमएस का धावा दल भी बेअसर
पटना : आर्थिक अपराध इकाई की ओर से पुलिस महानिरीक्षक को कार्रवाई करने के लिये दी गयी जांच प्रतिवेदन रिपोर्ट हो या फिर इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान (आइजीआइएमएस) की बीओजी बैठक में जारी किया गया आदेश हो, चाहे कुछ भी हो जाये आइजीआइएमएस के कुछ डॉक्टर निजी प्रैक्टिस बंद नहीं करेंगे. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण स्वास्थ्य विभाग की देखरेख में बनी धावा दल की टीम और अस्पताल प्रशासन की अनदेखी है. यही वजह है कि प्राइवेट प्रैक्टिस बंद नहीं हो रही है और डॉक्टरों के हौसले दिन-प्रतिदिन बुलंद होते जा रहे हैं.
जब आर्थिक अपराध इकाई की टीम ने पकड़ा था : आइजीआइएमएस में प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए कुछ डॉक्टरों को आर्थिक अपराध इकाई की टीम भी पकड़ चुकी है. साल 2013/14 में आर्थिक अपराध इकाई की गोपनीय टीम ने संस्थान के पांच डॉक्टरों को प्राइवेट प्रैक्टिस करते हुए पकड़ा था.
उस समय आइजीआइएमएस के डायरेक्टर डॉ अरुण कुमार थे. वहीं इन पांच डॉक्टरों में उस समय के तत्कालीन पदों पर काम कर रहे गैस्ट्रोमेडिसिन विभाग के प्राध्यापक, न्यूरो मेडिसिन विभाग के सहायक प्राध्यापक, माइक्रोबॉयलोजी के प्राध्यापक, निश्चेतना विभाग के अपर प्राध्यापक, माइक्रोबॉयलोजी विभाग के अपर प्राध्यापक को निजी प्रैक्टिस करते हुए पकड़ा गया था. ये सभी डॉक्टर नन प्रैक्टिस भत्ता भी ले रहे थे. टीम ने अपनी रिपोर्ट पुलिस महानिरीक्षक को दी, इसके बाद इस जांच रिपोर्ट को स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव को दी गयी. इस जांच प्रतिवेदन के आधार पर विभाग ने अस्पताल प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई करने के संबंध में रिपोर्ट भेजी थी. मजे की बात तो यह है कि इस रिपोर्ट के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई.
इतना ही नहीं वर्तमान समय में ये सभी डॉक्टर अच्छे पदों पर संस्थान परिसर में ही काम कर रहे हैं और इनकी प्रैक्टिस जारी है. वहीं, इस मामले पर आइजीआइएमएस के डायरेक्टर डॉ एनआर विश्वास ने बताया कि हमारे पास किसी तरह का सबूत नहीं है, लेकिन आर्थिक अपराध इकाई की कॉपी, डॉक्टरों के प्रैक्टिस करते हुए फोटो आदि कुछ भी मिलते हैं, तो नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.
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