यहां तक कि कांग्रेस उपाध्यक्ष ने भ्रष्टाचार के सवाल पर महागठबंधन को टूट से बचाने की कोई पहल नहीं की. शनिवार को कार्यसमिति की बैठक में 11 पन्नों के राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि सार्वजनिक जीवन, संपूर्ण पारदर्शिता, ईमानदारी और शुचिता के व्यवहार के प्रति जदयू की अडिग प्रतिबद्धता ही महागठबंधन से जदयू के अलग होने का मुख्य कारण बनी. राष्ट्रीय कार्यकारिणी ने सर्वसम्मति से नीतीश कुमार द्वारा भाजपा, लोजपा, रालोसपा और हम के मिलकर नयी सरकार बनाने के फैसले का स्वागत किया. राजनीतिक प्रस्ताव में कहा गया कि बिहार विधानसभा चुनावों में कांग्रेस जो 2010 के चुनाव में कम होकर चार सदस्यों वाली पार्टी बन कर रह गयी थी को जदयू ने ही 41 सीटें दी.
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महागठबंधन पर जदयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने माना, विपक्षी एकता नहीं होने के पीछे कांग्रेस पार्टी की नीतियां दोषी
पटना: जदयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने माना है कि महागठबंधन में टूट और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता नहीं होने के पीछे कांग्रेस पार्टी की नीतियां रही है. राजनीतिक प्रस्ताव में कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा गया कि उसकी नीतियां न तो विपक्षी एकता की रही और न ही साझा कार्यक्रम के आधार पर […]
पटना: जदयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति ने माना है कि महागठबंधन में टूट और राष्ट्रीय स्तर पर विपक्षी एकता नहीं होने के पीछे कांग्रेस पार्टी की नीतियां रही है. राजनीतिक प्रस्ताव में कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा गया कि उसकी नीतियां न तो विपक्षी एकता की रही और न ही साझा कार्यक्रम के आधार पर राष्ट्रीय विकल्प तैयार करने की क्षमता दिखी.
पार्टी ने कहा कि विपक्षी एकता के लिए अपनी पचास से अधिक सीटिंग सीटें राजद व कांग्रेस को दी गयी. बिहार चुनाव के बाद जदयू ने असम विधानसभा चुनाव में एक साझा विकल्प की कोशिश की, लेकिन कांग्रेस निष्क्रिय बनी रही. इसके बाद यूपी के चुनाव में जदयू ने लगातार अपनी ओर से कोशिशें की लेकिन, जब चुनाव के लिए एकता की बात हुई तो जदयू को कोई अहमियत नहीं दी गयी. पार्टी कार्यकारिणी ने महसूस किया कि वैकल्पिक नीतियों व कार्यक्रमों के साथ विकल्प बनाने की क्षमता कांग्रेस पार्टी में नहीं है और उसकी रुचि भी विपक्षी एकता में नहीं है.
सरकारों को अपदस्थ करने की मानसिकता से कांग्रेस उबर नहीं पायी है. राष्ट्रपति चुनाव में भी कांग्रेस मौन साध कर बैठ गयी. राजद पर तंज कसते हुए कहा गया कि सरकार बनने के बाद से ही उसके शीर्ष नेतृत्व के सलाह पर बड़े नेताओं ने सरकार के मुखिया के खिलाफ बयानबाजी
शुरू कर दी.
साझा परिवार के लिए हो रही साझी विरासत : वशिष्ठ
जदयू के प्रदेश अध्यक्ष सह सांसद वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि साझी विरासत की बात की जा रही है, लेकिन साझा परिवार के लिए काम हो रहा है. जदयू की पहचान कानून का राज, न्याय के साथ विकास और सुशासन से है. जदयू अपनी पहचान के साथ कोई समझौता नहीं कर सकता है. ऐसे में एक दल के नेता पर भ्रष्टाचार का मामला आया. सरकार में रहते हुए उन्हें सफाई देने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने नहीं दिया. ऐसे में हमारे सामने दो विकल्प थे. या तो सब कुछ चुपचाप देखते रहते या फिर उनसे अलग हो जाते. ऐसे में अपने सिद्धांतों से समझौता किये बिना जदयू महागठबंधन से अलग हो गयी.
जदयू जात-पात नहीं, सर्वधर्म समभाव की करता है बात : जदयू के राष्ट्रीय महासचिव श्याम रजक ने कहा कि जदयू जात-पात की नहीं, सर्वधर्म समभाव की बात करता है. देश में जो माहौल बना है, उसमें हम आगे बढ़ने का काम करें.
परिवारवाद की पार्टी बन गयी राजद : जदयू के सांसद सह राष्ट्रीय प्रवक्ता हरिवंश ने कहा कि देश को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ रास्ता दिखाया है. समाजवादियों में जेपी के बाद नीतीश कुमार ही हैं, जिन्होंने इस तरह का साहसिक निर्णय लिया है. राजद आज परिवारवाद की पार्टी बन गयी है.
भ्रष्टाचार पर परदा डालने के लिए नहीं था महागठबंधन : जदयू के राष्ट्रीय महासचिव सह मंत्री राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह ने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं महागठबंधन जारी है. लेकिन कौन सा महागठबंधन जारी है? महागठबंधन बना था, लेकिन वह भ्रष्टाचार पर परदा डालने के लिए नहीं बना था.
भ्रष्टाचार के साथ जाना संभव नहीं था : ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा कि जनादेश का उल्लंघन जदयू ने नहीं राजद ने किया. मुख्यमंत्री ने खुद 2009 में भ्रष्टाचार के खिलाफ कानून बनाया. ऐसे में भ्रष्टाचार करने वालों के साथ कैसे रह सकते थे.
इसलिए उन्होंने इस्तीफा दिया.
जनता के लिए काम करते हैं नीतीश : बलियावी
जदयू के राष्ट्रीय महासचिव सह विधान पार्षद गुलाम रसूल बलियावी ने कहा कि प्रदेश में एक परिवार के लिए काम करते हैं, जबकि नीतीश कुमार जनता के लिए काम करते हैं. नीतीश कुमार ने साबित कर दिया है कि लोग काम के आधार पर वोट करेंगे. साथ ही अगर कोई वादा करे तो उसे बिना पूरा किये छोड़ नहीं सकता है.
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