पटना: बिहार विधानमंडल में सदस्य व कर्मी क्या करते हैं, उन पर नजर रखने के लिए 27 करोड़ की लागत से दो वर्ष पहले 16 सीसीटीवी व सर्विलांस सिस्टम लगाये गये थे, लेकिन वे सब एक दिन भी काम नहीं किये. जबकि, इस अवधि में कई सदस्य सदन के अंदर घातक सामग्री लेकर आ चुके हैं. राजद विधायक भाई दिनेश बजट सत्र में शराब की बोतल व शीतकालीन सत्र में धान का बोझा लेकर सदन के अंदर पहुंच गये थे.
इससे पहले भी वे आपत्तिजनक सामग्री लेकर सदन के अंदर गये थे. अगर सीसीटीवी काम करता, तो उन्हें गेट पर ही रोक दिया जाता, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. परिणाम मुख्य द्वार पर सुरक्षा में लगे जवानों को भुगतना पड़ा. उन्हें निलंबित कर दिया गया. इन खराब पड़े सीसीटीवी के मेंटेनेंस की जरूरत पड़ गयी है.
ट्रायल में भी कैमरे हो गये थे फेल
गृह विभाग के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार विधानमंडल के सत्र शुरू होने से पहले स्पीकर की अध्यक्षता में सुरक्षा संबंधी बैठक होती है. उन बैठकों में सीसीटीवी कैमरे के बंद होने की बात सामने आती है. स्वयं स्पीकर उदय नारायण चौधरी ने कहा था कि 16 में से एक भी कैमरा काम नहीं करता है. बैठक में मौजूद बेल्ट्रॉन के अधिकारी कहा करते थे कि सभी कैमरे चालू हैं, लेकिन जब इसका ट्रायल किया गया, तो एक को छोड़ अन्य सभी कैमरे बंद थे. इस पर स्पीकर ने नाराजगी भी जाहिर की थी. सूत्रों के अनुसार मेंटेनेंस चार्ज की राशि को लेकर शुरू में विवाद हुआ था. गृह विभाग का कहना था, बेल्ट्रॉन मेंटेनेंस चार्ज का भुगतान करेगी, जबकि बेल्ट्रॉन का कहना था कि यह भुगतान पुलिस मुख्यालय या गृह विभाग करेगा. खैर इस विवाद का समाधान हो गया, लेकिन अब मरम्मती का मामला फंस गया है. सूत्र बताते हैं कि परिसर की सुरक्षा व्यवस्था इतनी लचर है कि कभी कोई बड़ा हादसा हो सकता है. इसके रोकने की पुख्ता व्यवस्था नहीं है.
उद्देश्य पूरा नहीं, होगा मेंटेनेंस
सर्विलांस मशीन लगाने को उद्देश्य था कि सदन की सत्र अवधि में कहीं कोई गोपनीय सूचना मोबाइल से कहीं दूसरी जगह भेजता है, तो उस पर नजर रखी जायेगी, लेकिन ये सारे अत्याधुनिक यंत्र कोई काम के नहीं रहे. अब इसके मेंटेनेंस की जरूरत पड़ गयी है. इसके लिए गृह विभाग ने वित्त विभाग से 27 लाख रुपये उपलब्ध कराने का अनुरोध किया है.