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दो माह के भीतर कृषि समन्वयकों की बहाली प्रक्रिया पूरी हो : कोर्ट
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने अदालती आदेश के बावजूद अब तक कृषि समन्वयकों की बहाली नहीं किये जाने पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने बिहार कर्मचारी चयन आयोग को स्पष्ट कहा कि वह कृषि समन्वयकों की बहाली की प्रक्रिया हर हाल में दो माह के भीतर पूरी करे. जस्टिस ज्योतिशरण की एकलपीठ ने […]
पटना : पटना उच्च न्यायालय ने अदालती आदेश के बावजूद अब तक कृषि समन्वयकों की बहाली नहीं किये जाने पर नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने बिहार कर्मचारी चयन आयोग को स्पष्ट कहा कि वह कृषि समन्वयकों की बहाली की प्रक्रिया हर हाल में दो माह के भीतर पूरी करे. जस्टिस ज्योतिशरण की एकलपीठ ने मास्टर डेविड एवं अन्य की ओर से दायर रिट याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया.
अभ्यर्थियों द्वारा दायर रिट याचिका पर अदालत ने 30 मई, 2017 को बिहार कर्मचारी चयन आयोग को अविलंब मेधा सूची प्रकाशित करने और उस पर आपत्ति लेने का निर्देश दिया था.
क्यों बदहाल हैं सूबे के राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल : पटना उच्च न्यायालय ने सूबे के राजकीय आयुर्वेदिक अस्पतालों की बदहाली के साथ-साथ आयुष चिकित्सकों एवं कर्मचारियों के रिक्त पदों पर बहाली नहीं किये जाने पर सख्त ऐतराज जताया है. कोर्ट ने राज्य सरकार से अगली सुनवाई में स्थिति स्पष्ट करते हुए जवाब देने का निर्देश दिया है.
चीफ जस्टिस राजेंद्र मेनन एवं जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने आनंद कुमार सिंह की ओर से दायर लोकहित याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया की वह इस मामले में बिहार लोक सेवा आयोग को भी पक्षकार बनाये क्योंकि नियुक्ति प्रक्रिया बीपीएससी को ही शुरू करनी है. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि सूबे के आयुर्वेदिक कॉलेजों की स्थिति काफी बदहाल है. न तो यहां आयुष चिकित्सकों और न ही कर्मचारियों की बहाली की गयी है.
ध्वनि प्रदूषण रोकने में सरकार हुई नाकाम
पटना उच्च न्यायालय ने सूबे में बढ़ रहे ध्वनि प्रदूषण को रोक पाने में राज्य सरकार की नाकामी और इस गंभीर मसले पर असंवेदनशीलता अपनाये जाने पर सख्त नाराजगी जाहिर की है. कोर्ट ने राज्य सरकार व प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से अगली सुनवाई में यह बताने का निर्देश दिया कि उन्होंने ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाये गये कानून के अनुपालन के लिए अब तक क्या उपाय किये हैं.
मुख्य न्यायाधीश राजेेंद्र मेनन एवं जस्टिस डॉ अनिल कुमार उपाध्याय की खंडपीठ ने अधिवक्ता समीर कुमार की ओर से दायर लोकहित याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को बताया गया कि राज्य में ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है.
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