पटना: बिहार में बालू घाटों से होनेवाली आमदनी ने नेताओं के साथ ही अपराधियों को इस धंधे की ओर आकर्षित किया. खास बात यह है कि इस धंधे में पूंजी काफी कम लगानी है और कमाई लाखों-करोड़ों में है.
इस धंधे से कई नेता जुड़े हैं और आपराधिक गिरोहों की मदद से घाटों से बालू उठाने की प्रक्रिया कर रहे हैं. इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इस धंधे में कितनी राशि का उपयोग होता है. बिहार राज्य के विभिन्न नदियों से बालू के उठाव के लिए बालू घाटों की तमाम इकाइयों की नीलामी बंदोबस्ती की राशि 2013 में दो अरब एक करोड़ 41 लाख 38 हजार 135 रुपये थी, जबकि पटना, भोजपुर, सारण में एक अप्रैल से लेकर 31 दिसंबर 2013 तक बालू घाटों की बंदोबस्ती की राशि 60 करोड़ 11 लाख थी. इस बंदोबस्ती की राशि से ही यह स्पष्ट है कि इस धंधे में कितनी मोटी रकम की लेन-देन होती होगी और कितना लाभ होता होगा?
पूर्व सांसद, विधायक व विधान पार्षद तक टेंडर लेने में शामिल: पटना, भोजपुर, सारण, औरंगाबाद, रोहतास आदि जिलों में बालू घाटों को लेने के लिए पूर्व सांसद, विधायक व विधान पार्षद तक शामिल रहे हैं. ये नेतागण अपने-अपने क्षेत्र के बाहुबली नेताओं में गिने जाते हैं. इन नेताओं के खिलाफ भी कई आपराधिक मामले दर्ज हैं और अपराधियों के साथ संबंधों का खुलासा भी हो चुका है. इस साल पूरे बिहार में फिर से बालू घाटों की बंदोबस्ती की प्रक्रिया चल रही है और इसमें कई नेताओं ने अपने पैसे लगाये हैं.
स्थानीय लोग लेते हैं पेटी कांट्रेक्ट : पटना, सारण हो या भोजपुर जिला, यहां के तमाम घाटों से बालू उठाव के ठेकेदार हर घाट के हिसाब से स्थानीय दबंगों को पेटी कांट्रेक्ट पर बालू उठाव करने की जिम्मेवारी सौंपते हैं. ये स्थानीय बालू उठाव व उससे मिलने वाली राशि को मुख्य ठेकेदार के पास पहुंचाते हैं और इसके बदले उन्हें कमीशन मिलता है. इसमें पेटी कांट्रेक्ट पर बालू उठाने का काम लेनेवाले लोग अपराधी प्रवृत्ति के भी होते हैं.
दियारे से होता है संचालन : लगभग हर घाट पर अपराधी गिरोह सक्रिय है. यह गिरोह बालू उठाव की पेटी कांट्रेक्ट लेता है या फिर बालू उठवाने वाले ठेकेदार व नाविकों से रंगदारी वसूल करता है. इन सभी गिरोह का संचालन दियारा से होता है. वे रंगदारी वसूल कर फिर से दियारा में चले जाते हं,ै जहां पुलिस भी जाने से भय खाती है. इसके कारण आसानी से यह गिरोह अपना काम करती है, क्योंकि पुलिस का भय नहीं होता है. मनेर के लोदीपुर-ब्यापुर में पुलिस टीम जब दियारे में प्रवेश की और नौ अपराधियों को गिरफ्तार करने के बाद वापस लौटने लगी, तो उस इलाके में काफी दिनों से चल रही तीन शराब की भट्ठियां भी नजर आयीं, जिन्हें ध्वस्त कर दिया गया. ये तीनों शराब की भट्ठियां बेरोक-टोक आसानी से चल रही थी.
चुनाव को लेकर मिला फोर्स काम आयी: चुनाव को लेकर मिले फोर्स पटना पुलिस के लिए काफी काम आ गयी. मुठभेड़ के लिए पटना पुलिस के साथ सीआइएसएफ के जवान भी शामिल थे. पटना पुलिस को यह जानकारी मिल चुकी थी कि जिस गिरोह से वे टकराने जा रहे हैं, उन लोगों के पास एके 47 जैसे हथियार भी हैं. अगर सीआइएसएफ के जवान नहीं होते तो हो सकता था कि पुलिस यह कार्रवाई करने से भी बचती, क्योंकि इसमें पटना पुलिस को नुकसान होने का खतरा काफी रहता. अत्याधुनिक हथियारों से लैस फोर्स के मिलने के बाद अब प्रतिदिन गांव और सुदूर इलाकों में प्रतिदिन शराब की भट्ठियों को ध्वस्त किया जा रहा है.