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कैसे रुकेगी पेशी के नाम पर अवैध वसूली

सख्ती. पेशकारों द्वारा पेशी के लिए रकम लेने पर हाइकोर्ट ने जिला न्यायाधीशों से पूछा पटना : पटना उच्च न्यायालय के महानिबंधक ने सूबे की निचली अदालतों में पेशकारों और बेंच क्लर्कों द्वारा मुवक्किलों से पेशी के रूप में अवैध रूप से ली जा रही रकम पर नाराजगी जतायी है. सभी जिले के जिला न्यायाधीशाें […]

सख्ती. पेशकारों द्वारा पेशी के लिए रकम लेने पर हाइकोर्ट ने जिला न्यायाधीशों से पूछा
पटना : पटना उच्च न्यायालय के महानिबंधक ने सूबे की निचली अदालतों में पेशकारों और बेंच क्लर्कों द्वारा मुवक्किलों से पेशी के रूप में अवैध रूप से ली जा रही रकम पर नाराजगी जतायी है.
सभी जिले के जिला न्यायाधीशाें को इस आशय का पत्र जारी करते हुए यह बताने का निर्देश दिया है कि पीठासीन पदाधिकारियों के समक्ष ही पेशकारों और बेंच क्लर्कों द्वारा अवैध रूप से वसूली जा रही राशि पर रोक लगाने हेतु क्या कार्रवाई की गयी है. इसे रोकने के लिए और क्या ठोस उपाय किये जा सकते हैं, इसकी भी जानकारी मांगी गयी है. महानिबंधक बीबी पाठक ने इस आशय का पत्र राज्य के सभी जिला एवं सत्र न्यायाधीशों को लिखा है, ताकि पेशी के रूप में ली जा रही अवैध राशि पर रोक लगायी जा सके.
गौरतलब है कि पिछले दिनोें नवादा निवासी बबन प्रसाद की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने महानिबंधक को यह निर्देश दिया था कि वह इस मामले में उचित कार्रवाई करें. ताकि, निचली अदालतों में पेशी के नाम पर ली जा रही अवैध राशि पर रोक लगायी जा सके.
अदालती आदेश के बावजूद अभी तक कृषि समन्वयकों की बहाली नहीं किये जाने से नाराज पटना उच्च न्यायालय ने बिहार कर्मचारी चयन आयोग के सचिव को निर्देश दिया कि वे अगली सुनवाई में यह बताएं कि आखिर कब तक कृषि समन्वयकों की बहाली कर ली जायेगी.
न्यायाधीश ज्योति शरण की एकलपीठ ने मास्टर डेविड एवं अन्य की ओर से दायर याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई करते हुए उक्त निर्देश दिया. याचिकाकर्ता द्वारा अदालत को बताया गया कि बिहार कर्मचारी चयन आयोग द्वारा 30 अप्रैल, 2015 को कृषि समन्वयक की बहाली हेतु विज्ञापन निकाला गया था. इसके लिए बड़ी संख्या में आवेदन दिये गये. परंतु काफी अर्सा बीत जाने के बावजूद भी कृषि समन्वयकों की मेधा सूची प्रकाशित नहीं किये जाने पर अभ्यर्थियों ने पटना उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की.
इसकी सुनवाई पूरी करते हुए अदालत ने 30 मई, 2017 को अपने निर्देश में बिहार कर्मचारी चयन आयोग को अविलंब मेधा सूची प्रकाशित करने और उस पर आपत्ति लेने का निर्देश दिया. बावजूद इसके अभी तक कृषि समन्वयकों की बहाली हेतु आयोग द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है.

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