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बालू खनन से कोइलवर में करोड़ों रुपये का होता अवैध कारोबार

खनन पर सरकारी रोक लगने से पहले ही इलाके के 50% लोगों ने खरीदकर जमा कर लिया था बालू कृष्ण कुमार पटना : भोजपुर जिले में कोइलवर इलाके के करीब 90 फीसदी लोगों की आजीविका का मुख्य साधन लाल बालू का कारोबार है. यहां के सोन नदी से बालू लेकर प्रतिदिन करीब दो हजार गाड़ियां […]

खनन पर सरकारी रोक लगने से पहले ही इलाके के 50% लोगों ने खरीदकर जमा कर लिया था बालू
कृष्ण कुमार
पटना : भोजपुर जिले में कोइलवर इलाके के करीब 90 फीसदी लोगों की आजीविका का मुख्य साधन लाल बालू का कारोबार है. यहां के सोन नदी से बालू लेकर प्रतिदिन करीब दो हजार गाड़ियां प्रदेश के अन्य इलाकों सहित उत्तर प्रदेश भी जाती हैं. करोड़ों रुपये का कारोबार होता है. इस काम में करीब दस हजार मजदूर लगे हैं. इसलिए हर तरह के व्यवसायियों के लिए भी यह इलाका फायदेमंद माना जाता है.
सोन नदी में बाढ़ का संकट देखते हुये सरकार हर साल एक जुलाई से 30 सितंबर तक बालू खनन पर प्रतिबंध लगा देती है. इस साल भी यह प्रतिबंध लागू हो गया है. इस कारण बालू महंगा बिकने लगता है. करीब 50 फीसदी स्थानीय लोगों ने एक जुलाई से पहले ही बालू में निवेश कर इसका स्टॉक कर रखा है. इसके अलावा कोइलवर और बिहटा थाना क्षेत्र में करीब आठ किमी के इलाके में लाल बालू का स्टाॅक किया गया है.
स्थानीय लोगों का है ट्रक और ट्रैक्टर
इलाके के कई लोगों ने ट्रक और ट्रैक्टर निकाल रखा है. इनसे बालू की ढुलायी की जाती है. दानापुर से कोइलवर जाने के रास्ते में सिकंदरपुर के पास से ही बड़ी संख्या में ट्रक और ट्रैक्टर दिखने लगते हैं. वहां से कोइलवर पुल से पहले सड़क किनारे बालू का ढेर दिखता है. साथ ही मजदूरों की झुग्गी-झोपड़ियां भी दिखती हैं. इन मजदूरों के परिवार वाले दिन में चाय और भुट्टा बेचते हैं. आने-जाने वाले राहगीर इनके ग्राहक होते हैं.
छोटी-छोटी गुमटियों में होती है अच्छी-खासी बिक्री
कोइलवर पुल के दोनों तरफ सड़क किनारे छोटी-छोटी गुमटियां दिखती हैं. इनमें चाय, पान, नाश्ता, मोबाइल रिचार्ज की दुकानें हैं. इसी रास्ते से होकर बालू लदी गाड़ियां भी गुजरती हैं.
साथ ही पुल के पास ही कोइलवर स्टेशन और बस स्टेंड होने से इन दुकानों में अच्छी खासी बिक्री होती रहती है. यहां के एक होटल का लिट्टी-चोखा बहुत मशहूर है. आने-जाने वाले यहां के लिट्टी-चोखा का स्वाद अवश्य ही लेते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि इस रास्ते से आते-जाते समय राजद प्रमुख लालू प्रसाद यहां की लिट्टी जरूर खाते हैं.
कई इलाकों के लोग भी करते हैं काम
साल 2011 की जनगणना के अनुसार कोइलवर नगर पंचायत की आबादी करीब 17,725 है. इसमें से करीब 9,382 पुरुष और 8,343 महिलाएं हैं. इनमें से मजदूर वर्ग के लोग बेहतर अामदनी की आशा में दिल्ली और पंजाब पलायन कर गये हैं. जो बचे हैं उनके लिए बालू खनन ही आमदनी का जरिया है. उनके लिए काम की कमी नहीं है.यहां काम करके वो पर्याप्त कमाई कर लेते हैं. हालत ऐसी है कि आसपास के थाना क्षेत्रों के मजदूर भी यहां आकर काम करते हैं.
छपरा (सदर) : सारण में तो विगत पांच दिनों से एनएच 19 पर लग रहे जाम से लोग परेशान रहते हैं. इसकी मुख्य वजह ट्रकों से बालू की ढुलाई है. गौरतलब है कि सरकार ने पर्यावरण के दृष्टिकोण से एक जुलाई से 30 सितंबर तक बालू के खनन पर रोक लगा दी है. प्रशासन की मिलीभगत से प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में लाल बालू सोनपुर से लेकर डोरीगंज व छपरा शहर तक विभिन्न घाटों पर ढोये जा रहे हैं.
सामान्यत: जून के अंत तक पुराने बालू का स्टॉक खत्म हो जाता है. लेकिन एक जुलाई से पूरी तरह बालू के खनन पर रोक के बावजूद धंधेबाजों की कारगुजारियों के कारण लाल बालू विभिन्न मार्गों में जिलों से बाहर भेजी जा रही है.
पूरे दिन ट्रक चालक छपरा-गड़खा रोड, छपरा भिखारी चौक से अवतार नगर तक आदि विभिन्न मार्गों में ट्रक खड़ा किये रहते हैं. डीएम हरिहर प्रसाद ने बताया कि इस संबंध में संबंधित विभागों से रणनीति बनाकर ठोस कदम उठाया जायेगा.

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