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12 वर्षों में 12 गुना बढ़े यात्री, पर एयरपोर्ट टर्मिनल का विस्तार नहीं
अनुपम कुमार पटना : 2004-05 में पटना एयरपोर्ट से होकर 3,844 बार विमानों का परिचालन हुआ व 1,76,234 यात्री आये और गये. वहीं, 2016-17 में विमानों का परिचालन बढ़ कर 15,508 और आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ कर 21,12,150 हो गयी. इस प्रकार पिछले 12 वर्षों में पटना एयरपोर्ट से विमानों का परिचालन चार […]
अनुपम कुमार
पटना : 2004-05 में पटना एयरपोर्ट से होकर 3,844 बार विमानों का परिचालन हुआ व 1,76,234 यात्री आये और गये. वहीं, 2016-17 में विमानों का परिचालन बढ़ कर 15,508 और आने-जाने वाले यात्रियों की संख्या बढ़ कर 21,12,150 हो गयी. इस प्रकार पिछले 12 वर्षों में पटना एयरपोर्ट से विमानों का परिचालन चार गुणा बढ़ा है, जबकि यात्रियों की संख्या 12 गुनी. लेकिन, एयरपोर्ट का अब तक विस्तार नहीं हुआ है. जगह की कमी से टर्मिनल भवन में कुरसियों की संख्या भी जरूरत के अनुरूप नहीं बढ़ायी जा सकी है. एयरपोर्ट पर उतरने वाले विमानों का आकार बढ़ गया है पर रनवे की लंबाई नहीं बढ़ी. इससे सुरक्षा मानदंडों पर भी यह पूरी तरह खरा नहीं उतरता और देश के सर्वाधिक खतरनाक लैंडिंग वाले एयरपोर्ट में गिना जाता है.
यात्री सुविधाओं में नाममात्र की बढ़ोतरी : पटना एयरपोर्ट पर यात्रियों का दबाव तेजी से बढ़ता जा रहा है, लेकिन यात्री सुविधाओं में विकास की गति बहुत ही धीमी है. आज से पांच-छह वर्ष पहले यात्रियों की बढ़ती संख्या को देख सिक्यूरिटी होल्ड एरिया का हल्का विस्तार किया गया था और बैठने की कुछ कुरसियां भी बढ़ायी गयी थी. लेकिन, यात्रियों की बढ़ती संख्या के अनुसार यह कुछ नहीं हो सकी थी.
एक महीने पहले राज्य सरकार से एयरपोर्ट ऑथिरिटी ने अपनी 11 एकड़ जमीन बदलेन की है. इसका इस्तेमाल नये टर्मिनल भवन बनाने और कैनोपी को विस्तारित करने में किया जाना है. लेकिन, इसमें लंबा समय लगेगा, क्योंकि अभी टेंडर प्रक्रिया भी पूरी नहीं की जा सकी है.
तीन की जगह दो हजार मीटर का रनवे
पटना एयरपोर्ट का रनवे 2,072 मीटर लंबा है. निर्माण के समय जिस तरह के छोटे हवाई जहाज उतरते थे, उसके लिए 2072 मीटर की हवाई पट्टी पर्याप्त थी. लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से यहां छोटे विमानों का परिचालन बहुत कम हो गया है और एयरबस 320 व बोइंग 737 जैसे मंझोले विमान उतरने लगे हैं.
उनके लिए तीन हजार मीटर की हवाई पट्टी मानक मानी जाती है. ऐसे में लगभग एक तिहाई छोटा हवाई पट्टी लैंडिंग के समय पायलट पर अतिरिक्त दबाव बना देता है और हर बार उसे सावधानी के साथ लैंडिंग करना पड़ता है. बोईंग 474 जैसे बड़े विमान तो यहां उतर भी नहीं सकते.
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