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इंजीनियरों व ठेकेदारों की मिलीभगत से हो रही गड़बड़ी

ग्रामीण सड़कों के निर्माण के गुणवत्ता में हो रहा बड़ा ‘खेल’ पटना : राज्य में ग्रामीण सड़कों के निर्माण में निचले स्तर के अभियंताओं और ठेकेदारों की मिलीभगत से बड़ा खेल चल रहा है. सड़क निर्माण पर तय मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता है. जिसका नतीजा है कि समय से पहले सड़कें टूट रही […]

ग्रामीण सड़कों के निर्माण के गुणवत्ता में हो रहा बड़ा ‘खेल’
पटना : राज्य में ग्रामीण सड़कों के निर्माण में निचले स्तर के अभियंताओं और ठेकेदारों की मिलीभगत से बड़ा खेल चल रहा है. सड़क निर्माण पर तय मानकों का ध्यान नहीं रखा जाता है. जिसका नतीजा है कि समय से पहले सड़कें टूट रही है. इसकी मरम्मत में सरकारी खजाने पर अनावश्यक बोझ पड़ता है.
हालांकि कई अभियंताओं पर कार्रवाई भी हुई है इसके बाद भी यह खेल जारी है. राज्य सरकार ने तय किया है कि अगले चार साल में राज्य के सभी बसावटों को सड़क से जोड़ देना है. इसको लेकर बड़े पैमाने पर ग्रामीण इलाकों में सड़कों का निर्माण हो रहा है. सड़क निर्माण के लिए एक मानक हुआ है लेकिन उसका पूरी तरह से पालन नहीं हो रहा है. इसकी निगरानी का जिम्मा जिनके पास है वो सही तरह से सड़क निर्माण की निगरानी नहीं करते या करना नहीं चाहते, इसके पीछे भी कारण है. अभी राज्य में 15 हजार किलोमीटर से अधिक ग्रामीण सड़कों का निर्माण चल रहा है.
ऐसे हो रही गड़बड़ी : सड़क निर्माण स्थल टेस्टिंग लैब रहना अनिवार्य है लेकिन इसका पूरी तरह पालन नहीं होता है. जब कोई उच्चाधिकारी के आने की सूचना होती है तो अस्थायी तौर पर लैब लगा दिया जाता है. सड़क निर्माण का जो मानक ग्रामीण कार्य विभाग में है उसमें पहले मिट्टी का काम तीन लेयर एक से डेढ़ फीट तक होना है. हर लेयर के पहले उसपर रोलर चलाना है ताकि मिट्टी ठीक तरह से बैठ जाये लेकिन इसका पालन नहीं होगा है.
उसके बाद छह इंच मोरंग बिछाना है उसके बाद रोलर चलाकर मेटल का दो लेयर बिछाना है. हर लेयर में रोलर चलाना है लेकिन ऐसा नहीं होता है. इसके बाद इस पर अलकतरा का काम होना है. लेकिन मेटल वर्क में भी कमी की जाती है. रोलर का एक या दो बार ही उपयोग होता है. मानक के अनुसार सड़क का निर्माण नहीं होने से सड़कें जल्द खराब हो जाती है. मालूम हो कि ग्रामीण सड़कों पर भी भारी वाहन चलता है. सड़क कनीय अभियंता की निगरानी में बनना है लेकिन निर्माण स्थल पर इंजीनियर कम ही जा पाते हैं. सड़क निर्माण की देखरेख और उसकी गुणवत्ता की निगरानी सहायक और कार्यपालक स्तर के अभियंता को भी रखना है. खासकर नक्सल प्रभावित इलाकों और दूर दराज के इलाके में यह खेल खूब चलता है.
सड़क निर्माण की गुणवत्ता की निगरानी के लिए विभाग के सचिव की निगरानी में मॉनीटरिंग सेल का गठन किया गया है. इसके अलावा थर्ड पार्टी मॉनीटरिंग सिस्टम बी है जिसमें अवकाश प्राप्त अभियंताओं के साथ-साथ विभाग से इतर अभियंताओं को रखा गया है. विभाग ने पिछले दिनों एक दर्जन अभियंताओं पर कार्रवाई भी की है इसके बाद भी स्थिति में बहुत सुधार नहीं आया है. जानकार कहते हैं कि दिन पर निगरानी की जिम्मेवारी है, वे भी इस खेल में मिले हुए है. अगर कोई अभियंता सख्ती बरतता है तो संवेदकों का रैकेट उसे दूसरे तरह से परेशान करना शुरू कर देते हैं.
सड़क निर्माण में गुणवत्ता पहली प्राथमिकता में. इससे कोई समझौता नहीं होगा. जानकारी मिलने पर जांच होती है व दोषी पर कार्रवाई होती है. पिछले दिनों नौ से अधिक इंजीनियरों पर कार्रवाई हुई है. सड़क तो मानक के अनुसार ही बनाना होगा.
शैलेश कुमार, ग्रामीण कार्य मंत्री

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