21.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

राजस्व वसूली में भी पिछड़े

इस बार सौ करोड़ का लक्ष्य, लेकिन टैक्स सुविधा केंद्र दो माह से बंद. बीते वर्ष Rs 80 करोड़ होल्डिंग वसूलना था, वसूले मात्र 42 करोड़. बीते चार वित्तीय वर्षों में नगर निगम का बजट बढ़ा है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में नगर निगम का बजट 473 करोड़ रुपये था. वहीं, वित्तीय 2015-16 में 441 करोड़ […]

इस बार सौ करोड़ का लक्ष्य, लेकिन
टैक्स सुविधा केंद्र दो माह से बंद. बीते वर्ष Rs 80 करोड़ होल्डिंग वसूलना था, वसूले मात्र 42 करोड़.
बीते चार वित्तीय वर्षों में नगर निगम का बजट बढ़ा है. वित्तीय वर्ष 2014-15 में नगर निगम का बजट 473 करोड़ रुपये था. वहीं, वित्तीय 2015-16 में 441 करोड़ व 2016-17 में 526 करोड़ हुआ. इस बार का बजट 608 करोड़ रुपये का है. जानकारों की मानें तो पटना नगर निगम के लिए कम से कम एक हजार करोड़ का बजट होना चाहिए. इसके अलावा निगम की राजस्व वसूली कभी भी लक्ष्य के अनुरूप नहीं रही है.
लुभावनी योजनाएं नहीं हों निगम से पारित
नगर निगम में नगर आयुक्त को अनुभव होते ही उनका स्थानांतरण कर दिया जाता है. राज्य नगर आयुक्त को तीन वर्षों के लिए स्थायी प्रतिनियुक्ति देनी चाहिए. मेयर पार्षदों को अपने गुट में करने के लिए लुभावनी योजनाएं पारित कराते हैं, जो नहीं होना चाहिए. शहर को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनें. जनप्रतिनिधि व अधिकारियों की लड़ाई में जनहित की योजनाएं पीछे छूट जाती हैं और आंतरिक राजस्व पर भी ध्यान नहीं दिया जाता है. आंतरिक राजस्व के स्रोत पर सख्ती से कार्रवाई करने की जरूरत है.
संतोष कुमार मेहता, पूर्व डिप्टी मेयर
नगर निगम को मिले पूरा अधिकार
74वें संविधान संशोधन के माध्यम से नगर निकायों को उसका पूरा अधिकार मिलना चाहिए. सरकार को नगर निगम में अधिकारियों व कर्मियों की कमी को दूर करना चाहिए. निगम का अपना राजस्व 200 करोड़ से अधिक होना चाहिए. राजस्व बढ़ाने पर सख्ती से कार्रवाई होनी चाहिए. निगम क्षेत्र में विकास कार्यों को पूरा करने के लिए कई एजेंसियां काम करती हैं, जो निगम के नियंत्रण में नहीं हैं. निगम क्षेत्र में डेवलपमेंट का कार्य पूर्णत: निगम के नियंत्रण में कराने की जरूरत है.
विनय कुमार पप्पू, पूर्व उप महापौर सह पार्षद
कार्यपालिका-विधायिका में होना चाहिए समन्वय
नगर निगम में लगातार कार्यपालिका व विधायिका में विवाद होता रहा है. इस विवाद में जनहित की योजनाएं ससमय पूरी नहीं हो पाती हैं. हालांकि, अब काफी सुधार हुअा है. राज्य सरकार जनहित की योजनाओं पर कोई समझौता करनेवाली नहीं है. कार्यपालिका व विधायिका समन्वय स्थापित कर विकास के मुद्दे पर चर्चा करेंगी, तो तेज गति से जनहित की योजनाएं पूरी की जा सकेंगी. अब निगम में पैसे की कोई कमी नहीं है. आंतरिक राजस्व को बढ़ाने को लेकर सख्ती से कार्रवाई करनी चाहिए.
महेश्वर हजारी, मंत्री, नगर आवास विकास विभाग
जिम्मेवारी तय होने के साथ हो निगरानी
निगम की योजनाओं को लेकर अधिकारियों से लेकर जनप्रतिनिधियों तक सही जिम्मेवारी तय होनी चाहिए. एक निगरानी कमेटी भी गठित होनी चाहिए. इस कमेटी की रिपोर्ट पब्लिक डोमेन में वेबसाइट पर प्रकाशित होनी चाहिए. पब्लिक डोमेन में आने के बाद शहर की जनता भी अपना सुझाव देगी. निगम के बजट में एक-एक योजनाओं का जिक्र होने के साथ-साथ टाइम लाइन होना चाहिए और इस टाइम लाइन के अनुरूप क्रियान्वयन हो, तब शहरवासियों को कुछ लाभ मिलेगा. अन्यथा शहर की स्थिति जस-की-तस बनी रहेगी.
जेके लाल, पूर्व वरीय टाउन प्लानर

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें