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3500 स्कूलों में फिजिक्स के केवल सात शिक्षक
बड़ा सवाल : एेसे में 70% छात्र क्यों न हों फेल रिंकू झा पटना : जब विषय के शिक्षक ही नहीं हैं, तो अधिकतर परीक्षार्थियों का फेल होना स्वाभाविक है. साइंस में फिजिक्स ऐसा विषय है, जिसकी पढ़ाई इंजीनियरिंग और मेडिकल दोनों में कैरियर बनानेवालों के िलए जरूरी होती है. लेकिन, प्रदेश के 3500 सरकारी […]
बड़ा सवाल : एेसे में 70% छात्र क्यों न हों फेल
रिंकू झा
पटना : जब विषय के शिक्षक ही नहीं हैं, तो अधिकतर परीक्षार्थियों का फेल होना स्वाभाविक है. साइंस में फिजिक्स ऐसा विषय है, जिसकी पढ़ाई इंजीनियरिंग और मेडिकल दोनों में कैरियर बनानेवालों के िलए जरूरी होती है. लेकिन, प्रदेश के 3500 सरकारी प्लस टू स्कूलों में फिजिक्स के सिर्फ सात शिक्षक हैं.
और ये सभी सिर्फ पटना जिले में हैं, बाकी 37 जिलों के प्लस टू स्कूल इस विषय के शिक्षक के बिना ही चल रहे हैं. इस बार इंटर साइंस में 6 लाख 46 हजार 231 परीक्षार्थी शामिल हुए थे, िजनमें से सिर्फ एक लाख 94 हजार 592 (33.11%) परीक्षार्थी ही पास कर पाये. फिजिक्स के इन सात शिक्षकों में तीन नियमित और चार नियोजित हैं.चार में से तीन 2012 में और एक इस साल नियोजित किये गये हैं. फिजिक्स के नियमित शिक्षकों में सर जीपी पाटलिपुत्र हाइस्कूल के डॉ करुनेश, पटना कॉलेजिएट के डॉ सुभाष चंद्र सिंह, मिलर हाइस्कूल के अखिलेश झा शामिल हैं.
ये तीनों 1989 से इन स्कूलों में कार्यरत हैं. इनके अलावा तीन नियाेजित शिक्षकों में पटना हाइस्कूल के डॉ लव कुमार, फतेह नारायण एकेडमी, गुलजारबाग के रंजीत कुमार सिंह और बीएन कॉलेजिएट के एक शामिल हैं. एक िनयोिजत िशक्षक दानापुर में हैं.
दो-तीन विषय छोड़ सभी विषयों में शिक्षकों की कमी
फिजिक्स के अलावा मैथ, केमिस्ट्री और बायोलॉजी में भी शिक्षकों की कमी है. हालांकि, इन विषयों में फिजिक्स जैसी खराब हालत नहीं है. बायोलॉजी में बॉटनी और जूलॉजी में अलग-अलग शिक्षक नहीं हैं. एक ही शिक्षक बॉटनी और जूलॉजी दोनों पढ़ाते हैं.
नियोजन में नहीं आते हैं आवेदन
2012 के बाद कई बार शिक्षक नियोजन के लिए आवेदन लिये गये हैं. लेकिन, फिजिक्स विषय के लिए आवेदन ही नहीं आया. पटना जिले की बात करें, तो नगर निगम और जिला पर्षद को फिजिक्स विषय के 113 पदों के लिए नियोजन का आवेदन मांगा गया था. लेकिन, एक आवेदन ही आया. यही, हाल दूसरे नियोजन इकाई का भी है.
2012 में चार का ही हुआ नियोजन
2011 में एसटीइटी लेने के बाद जब 2012 में शिक्षक नियोजन प्रक्रिया शुरू हुई, तो प्रदेश भर की नियोजन इकाइयों में फिजिक्स विषय में सिर्फ चार आवेदन आये. इन चार में तीन का नियोजन किया गया. जो एक अभ्यर्थी बचा, उसका नियोजन फरवरी, 2017 में दानापुर नियोजन इकाई के अंतर्गत किया गया है.
माध्यमिक शिक्षक पढ़ाते हैं प्लस टू विद्यार्थियों को
शिक्षकों की कमी के कारण प्लस टू स्कूलों में माध्यमिक शिक्षकों को लगाया जा रहा है. 2017 की इंटर परीक्षा के पहले सिलेबस पूरा करने के लिए स्कूलों को निर्देश दिया गया था कि माध्यमिक के शिक्षक प्लस टू वाले विद्यार्थियों को पढ़ा कर सिलेबस पूरा करेंगे. लेकिन, निर्देश के बावजूद भी सिलेबस पूरा नहीं हो पाया.
2011 के बाद एसटीइटी नहीं
प्रदेश में पहला एसटीइटी 2011 में हुआ था. इसके बाद दोबारा एसटीइटी नहीं लिया गया है. इससे शिक्षकों की कमी अौर भी बढ़ गयी है. बिहार बोर्ड ने टीइटी के लिए 29 जून की तिथि तय की है. पर एसटीइटी के लिए अब तक आवेदन की तिथि भी नहीं निकाली गयी है.
शिक्षक रिटायर करते गये और पद होते गये खाली
नियमित शिक्षकों की बात करें, तो करीब सभी रिटायर हो गये. जैसे-जैसे शिक्षक रिटायर होते गये, शिक्षकों के पद खाली होते चले गये. स्थिति ऐसी हो गयी कि प्रदेश भर में स्कूलों में शिक्षकों की कमी होती चली जा रही है. हर स्कूल में विषयवार शिक्षक अब नजर नहीं आते हैं.
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