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सभी तरह की बुराइयों से बचना है रोजा

फुलवारीशरीफ : फुलवारीशरीफ के नोहसा मसजिद के इमाम मौलाना अयूब साहब फरमाते हैं कि दूसरों के बारे में गलत सोच कर, झूठ या तकलीफ पहुंचानेवाली बात कह कर व पीठ पीछे बुराई करके रोजा नहीं रखा जा सकता. रोजा तमाम बुराईयों को खत्म करने की जड़ है. इस महीने में हर मुसलमान को चाहिए कि […]

फुलवारीशरीफ : फुलवारीशरीफ के नोहसा मसजिद के इमाम मौलाना अयूब साहब फरमाते हैं कि दूसरों के बारे में गलत सोच कर, झूठ या तकलीफ पहुंचानेवाली बात कह कर व पीठ पीछे बुराई करके रोजा नहीं रखा जा सकता. रोजा तमाम बुराईयों को खत्म करने की जड़ है. इस महीने में हर मुसलमान को चाहिए कि वह रोजा रख कर ज्यादा- से-ज्यादा कुरान पढ़े. रमजान में अच्छा काम करें. गरीबों की सहायता करें और किसी को तकलीफ न पहुंचाएं. रोजाना की नमाज के बाद रमजान के महीने की विशेष नमाज तरावीह जरूर पढ़ना चाहिए.
मौलाना अयूब ने कहा कि तरावीह की नमाज बीस रकात के साथ पढ़ी जाती है. इस नमाज में इमाम पूरे कुरान को बगैर देखे हुए खड़े होकर पढ़ता है और उसके पीछे खड़े होनेवाले हजारों मुसलमान उसे सुनते हुए दोहराते हैं. तरावीह की नमाज दो-दो रिकात 20 रिकात पढ़ी जाती है, जो लगातार एक माह तक चलती रहती है. इस नमाज में रोजा रखने या ना रखनेवाले बच्चे, बूढ़े और नौजवान मसजिदों में उपस्थित होकर तरावीह पढ़ते हैं.
इस्लाम के पांचवें स्तंभ में से एक रमजानुल मुबारक की फजीलत में बयान किया है कि एक नेकी के बदले 70 गुना नेकी का सवाब माह-ए-रमजान में मिलता है. इसी तरह कलामे पाक की एक हर्फ पढ़नेवाले और सुननेवालों को 70 गुना हर्फ पढ़ने और सुनने का सवाब मिलता है.

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