Advertisement
मर्दों की भागीदारी बिना कैसे सुधरेगी स्त्रियों की सेहत
स्त्री जीवन और उसकी सेहत : प्रजनन से परिवार नियोजन तक का पूरा भार स्त्रियों के कंधे पर है, वे इससे जुड़ी सारी चीजें अकेले ढोती हैं नासिरूद्दीन एक फीसदी मर्द ही गर्भनिरोधकों के साधन अपनाते हैं. मर्द नसबंदी तो लगभग जीरो है. सारा भार स्त्रियो के कंधे पर है. बिहार के शादीशुदा मर्दों ने […]
स्त्री जीवन और उसकी सेहत : प्रजनन से परिवार नियोजन तक का पूरा भार स्त्रियों के कंधे पर है, वे इससे जुड़ी सारी चीजें अकेले ढोती हैं
नासिरूद्दीन
एक फीसदी मर्द ही गर्भनिरोधकों के साधन अपनाते हैं. मर्द नसबंदी तो लगभग जीरो है. सारा भार स्त्रियो के कंधे पर है. बिहार के शादीशुदा मर्दों ने प्रजनन स्वास्थ्य की सारी जिम्मेदारी स्त्रियों पर डाल रखी है. आंकड़े बताते हैं कि वे तो परिवार नियोजन के साधन तक अपनाने में अपनी भागीदारी नहीं निभा रहे हैं.
यह कैसी मर्दानगी है, जो सारी जिम्मेदारी स्त्रियों पर डाल कर अलग हो जाती है? परिवार नियोजन/कल्याण या जनसंख्या से जुड़े ज्यादातर कार्यक्रम महिलाओं पर ही केंद्रित रहे हैं. मगर जेंडर गैरबराबरी वाले समाज में जहां सभी मामलों में स्त्रियों की बात का वजन कम हो, वहां इस मामले में स्त्रियों की चलेगी, यह कैसे मुमकिन है. नतीजा, दसियों साल की मेहनत और संसाधन लगाये जाने के बाद भी स्त्रियों के प्रजनन स्वास्थ्य के पैमाने गर्व करने लायक नहीं हुये. सिर्फ एक दायरे में ही इसकी झलक आसानी से दिख जायेगी. राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस-4) के ताजा आंकड़ों के मुताबिक, बिहार में गर्भनिरोधक के आधुनिक साधन अपनाने की दर 23.3 फीसदी है. इसमें सबसे बड़ी हिस्सेदारी महिला नसबंदी की है.
महिला नसबंदी की दर 20.7 है. इसके बाद आइयूडी (0.5 फीसदी) यानी कॉपर टी और गर्भनिरोधक गोलियां (0.8 फीसदी) जैसी चीजें आती हैं. गर्भनिरोधकों का पूरा हिस्सा महिलाओं के हिस्से में है. अब जरा मर्दों पर नजर डाली जाये. मर्द नसबंदी जीरो है. यानी संख्या में इतनी भी नहीं है कि उसे फीसदी में दर्शाया जा सके. हालांकि शहरी इलाकों में यह 0.1 फीसदी है तो गांवों में जीरो. कंडोम का इस्तेमाल भी महज एक फीसदी है. यानी प्रजनन का पूरा भार स्त्रियों के कंधे पर है. वे इससे जुड़ी सारी चीजें अकेले ढोती हैं. ज्यादातर मर्द इसमें जिम्मेदार हफसफर नहीं हैं.
आखिर ऐसा है क्यों?
हमारे समाज का ढांचा मर्दाना है. इस ढांचे में मर्दों को खास तरह की मर्दानगी की बहुत फिक्र रहती है. उन्हें निजी जिंदगी और खासकर यौन जिंदगी में ताकत दिखाने की सीख दी जाती है. वे इसे ही मर्दानगी मानते हैं. इसलिए वे किसी भी गर्भनिरोधक को अपनाना अपनी मर्दाना ताकत के खिलाफ मानते हैं. हालांकि यह भ्रम से ज्यादा कुछ नहीं है. चिकित्सा विज्ञान की नजर में मर्द की नसबंदी का रिश्ता यौन स्वास्थ्य से नहीं है. यह महिला नसबंदी से काफी आसान और बेहतर भी है. नसबंदी की बात अगर छोड़ दें तो पुरुष कंडोम का इस्तेमाल क्यों नहीं करते? यह बताता है कि मर्द अपने को इस जिम्मेदारी वाले प्रजनन स्वास्थ्य में कभी हिस्सेदार नहीं बनाना चाहते हैं. हालांकि, जनसंख्या और विकास पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन (आइसीपीडी)-1994 की कार्रवाई रिपोर्ट कहती है कि ज्यादातर समाजों में जिंदगी के हर मामले में मर्दों की ही चलती है. परिवार कितना बड़ा होगा और सरकार के कार्यक्रमों से जुड़े हर स्तर पर ज्यादातर फैसले मर्द ही लेते हैं.
मर्द जेंडर समानता में अहम भूमिका अदा करते हैं. इसलिए यह जरूरी है कि यौनिकता और प्रजनन स्वास्थ्य के मुद्दे पर स्त्री और पुरुष के बीच संवाद बेहतर हों. वे अपनी साझी जिम्मेदारी महसूस करें और निभायें. ताकि मर्द और स्त्री सार्वजनिक और निजी जिंदगी में बराबर के हमसफर बन सकें. इसलिए प्रजनन स्वास्थ्य में मर्दों की साझीदारी महज गर्भनिरोधकों के साधन अपनाएं जाने तक सीमित नहीं है. वह जिंदगी के दूसरे दायरों में स्त्रियों के साथ साझीदारी और भागीदारी का मामला है. दिल्ली की सेंटर फॉर हेल्थ एंड सोशल जस्टिस (सीएचएसजे) के उपनिदेशक और जेंडर समानता के लिए पुरुषों के साथ काम काम करने वाले सतीश सिंह का भी कहना है कि मसला सिर्फ गर्भनिरोधकों तक सीमित नहीं रहना चाहिए.
मर्द का यौन व्यवहार भी जिम्मेदारी वाला होना चाहिए. उनकी नजर में जच्चगी के दौरान और जच्चगी के बाद मर्द किस तरह की भागीदारी निभाते हैं, यह भी महिला की सेहत से जुड़ा सवाल है. इसलिए वे कहते हैं कि मर्द जच्चा-बच्चा/बच्ची की देखभाल के लिए समय देता है या नहीं. संतान की परवरिश में भागीदारी निभाता है या नहीं. यह भी प्रजनन स्वास्थ्य से जुड़े अहम मुद्दे हैं. तो क्या बिहार के मर्द, प्रजनन स्वास्थ्य में बराबर के भागीदार बन स्त्रियों के बेहतर हफसफर बनने में मददगार होने वाली मर्दानगी दिखाएंगे?
आंकड़े एक नजर में प्रजनन दर 3.4
मिशन परिवार विकास के तहत 2025 तक प्रजनन दर 2.1 करने का लक्ष्य है
बिहार में लगभग 39 फीसदी लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है
बिहार में गर्भनिरोध के आधुनिक साधन अपनाने की दर- 23.3 फीसदी
शहरी इलाकों में गर्भनिरोध के आधुनिक साधन अपनाने की दर – 32.1 फीसदी
ग्रामीण इलाकों में गर्भनिरोध के आधुनिक साधन अपनाने की दर- 22.0 फीसदी
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement