नवादा : परंपरागत तरीके से लकड़ी, गोयठा आदि इक्ठा करके होलिका दहन करने की जगह रेडिमेड तरीके से रस्म अदायगी का प्रचलन बढ़ा है. होलिका दहन के लिए आज भी कई गांवों व नगर क्षेत्र के कई मुहल्लों में कई सप्ताह पहले से सुखी लड़कियों घास, झारियों आदि को इकट्ठा करने का काम शुरू हो जाता है. शाम के समय मंडली जमा कर फगुआ के गीतों की बहार सुनायी देती है. आधुनिकता की होड़ में यह भी प्रथाएं अब समाप्त होती जा रही है.
बाजारों में चंदा करके लकड़ी खरीदी जाती है व रस्म अदायगी कर होलिका दहन को बढ़ावा मिल रहा है. शहर की पुरानी बाजार, मेन रोड, स्टेशन रोड आदि में लकड़ी खरीद कर अगजा मनाने का प्रचलन बढ़ा है. इसी प्रकार बुढ़वा होली यानी झुमटा को बाजारों में झुमटा निकालने की जगह मटका फोड़ होली ने ले लिया है. मुहल्लों में इकट्ठा होकर युवक रंग में सराबोर होकर मटका फोड़ कर होली का उत्सव मनाते हैं.