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मुल्क की इबादत बड़ा त्योहार

नवादा कार्यालय : विश्व के सबसे बड़े राष्ट्र में 67वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है. 1950 को पूरी तरह अंगीकृत संविधान देश के शासन, प्रशासन को दिशा देता एक दस्तावेज है. राष्ट्र के नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, समानता व स्वतंत्रता की कुंजी देता हैं. इसमें विभिन्न देशों के संविधान के आदर्श […]

नवादा कार्यालय : विश्व के सबसे बड़े राष्ट्र में 67वां गणतंत्र दिवस मनाया जा रहा है. 1950 को पूरी तरह अंगीकृत संविधान देश के शासन, प्रशासन को दिशा देता एक दस्तावेज है. राष्ट्र के नागरिकों को सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, समानता व स्वतंत्रता की कुंजी देता हैं.
इसमें विभिन्न देशों के संविधान के आदर्श नियमों को संकलित करके भारतीय गणराज्य को सर्वोत्कृष्ट शासन देना सुनिश्चित किया गया. देश को सुचारू शासन व्यवस्था देने के लिए प्रारंभिक दौर में 395 अनुच्छेद, 22 भाग व 8 अनुसूचियां शामिल की गयीं. वर्तमान दौर में लगभग 120 संविधान संशोधन के बाद 442 अनुच्छेद, 22 भाग व 12 अनुसूचियों सहित विश्व का सबसे बड़े संविधान की गरिमा इसे प्राप्त है. 67 सालों बाद जनता अपने स्वतंत्रता सेनानियों के सपने को किस रूप में लेती है. जनता का, जनता के लिए जनता द्वारा निर्मित शासन किन लक्ष्यों को पा सका है. न्याय, समानता और स्वतंत्रता किस हद तक लोगों तक पहुंची है. जानते हैं यहां के नागरिकों की राय :
मुल्क की इबादत मिल्लत से बढ़ कर है. गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस सब त्योहारों से ऊपर है. मुल्क का झंडा हमें अपनी पहचान दिलाता है. इन त्योहारों पर तिरंगा फहरा कर प्रेम व भाईचारे का पैगाम देते हैं. मुल्क की हुकूमत ने आज़ादी मिलने से आज तक गरीब, मजलूमों के हालात में बेहतरी के लिए काम किया. सरकारें बदलीं. धीरे-धीरे माहौल बदला. आज़ादी के बाद से बने कई सरकारों ने कई बदलाव लाये. इन त्योहारों पर मुल्क के प्रति वफादारी व ईमान का पैगाम मिलता है.
मो. साबिर, सब्जी विक्रेता, कोशी, रोह
संविधान देश के शासन व्यवस्था का मूल स्रोत है.विश्व के सबसे बड़े प्रजातांत्रिक गणतंत्र राष्ट्र का गौरव हमें प्राप्त है. सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक न्याय, अवसर की समानता व धर्म, विचार, उपासना जैसी स्वतंत्रता देकर सभी वर्गों का विकास किया गया. नागरिकों को जागरूक होने की जरूरत है. आज स्वतंत्रता सेनानियों के महान बलिदान और उनके राष्ट्र के प्रति योगदान को याद करने का दिन है. इस पहल से हमारा देश आगे बढ़ेगा.
मधुसूदन प्रसाद, स्वतंत्रता सेनानी पुत्र, पुरानी बाजार, नवादा
देश ही जान, देशप्रेम ही जीवन
भारत ही मेरी जान है. देशप्रेम ही मेरा जीवन है. बराबरी का हक देकर संविधान ने हमें सब के समान वोट डालने का अधिकार दिया.
मुकेश मालाकार, नवादा
परंपराओं से बंधीं महिलाओं की जंजीरें भी टूटनीं शुरू हो गयी हैं. बराबरी का हक देकर क्षेत्र में स्त्रियों को बढ़ने का मौका दिया. बच्चियां, महिलाएं अब स्कूल, कॉलेज जा रही हैं
मनीषा सिन्हा, समाजसेवी, नवादा
स्वतंत्रता के पहले सामाजिक पिछड़ेपन के कारणमहिलाओं की भागीदारी काफी कम थी. महिलाएं चहारदीवारी में ही रहती थीं. संविधान ने महिलाओं को बराबरी का दर्जा दिया.
शालिनी सिन्हा, समाजसेवी, नवादा

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