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सोमवार को हजारों श्रद्धालुओं ने किये बाबा हरसू के दर्शन
एक ही चापाकल पर पानी लेने में श्रद्धालुओं को होती है भारी परेशानी हरसू ब्रह्म मंदिर परिसर में चार चापाकल महीनों से हैं खराब प्चैनपुर (कैमूर) : अति प्राचीन हरसू ब्रह्म मंदिर में नवरात्र के दौरान पड़ने वाले एकमात्र सोमवारी को बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी उमड़ पड़ी. सोमवार को बाबा के […]
एक ही चापाकल पर पानी लेने में श्रद्धालुओं को होती है भारी परेशानी
हरसू ब्रह्म मंदिर परिसर में चार चापाकल महीनों से हैं खराब
प्चैनपुर (कैमूर) : अति प्राचीन हरसू ब्रह्म मंदिर में नवरात्र के दौरान पड़ने वाले एकमात्र सोमवारी को बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी उमड़ पड़ी. सोमवार को बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालु रविवार को ही बड़ी संख्या में चैनपुर पहुंच गए थे. श्रद्धालुओं की भीड़ के कारण चैनपुर बाजार में रूक-रूक-कर पूरे दिन जाम लगता रहा.
यहां साल भर बाबा के दर्शन के लिए श्रद्धालु आते हैं. परंतु, अब तक पेयजल, शौचालय व स्नानागार जैसी मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध नहीं है. परिसर में लगे पांच चापाकलों में चार महीनों से खराब पड़े हैं, जिन पर किसी का ध्यान नहीं है. दुर्गा मंदिर के सामने स्थित एक मात्र चापाकल चालू है. वहां से श्रद्धालुओं को पानी लेने के लिए श्रद्धालुओं को काफी मशक्कत करनी पड़ती है. प्यास से छटपटा रहे लोगों को इस चापाकल पर अपनी बारी के लिए काफी लंबा इंतजार करना पड़ रहा है.
इस मंदिर में चढ़ावे के रूप में चढ़ने वाले सामग्री व रुपये पर पूरा कब्जा यहां के लोगों का है. मंदिर में कटने वाली रसीद व दान पेटी में डाले गये रुपये न्यास समिति के अधीन होता है.
इस मंदिर में दान से अधिक रुपये व सामग्री बाबा को चढ़ाये जाते हैं. इस पर सिर्फ और सिर्फ यहां के लोगों का कब्जा है. श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ावे के रूप चढ़ाये गये इन रुपये से यदि इनकी सुविधाओं के लिए खर्च किया जाता, तो यहां आनेवाले श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की परेशानी नहीं होती. लेकिन, यहां के लोगों, समिति के सदस्यों व पुजारी सिर्फ अपनी जेबे भरने में लगे हुए हैं. यहां अराजकता का बोलबाला है. यहां के लोग (ब्राह्मण) अपने आपको बाबा का वंशज बताते हैं.
उनका कहना है कि बाबा उनके है और इस मंदिर से होने वाले आय पर उनका पूरा हक है. इनके द्वारा बाबा के चढ़ावे पर तो पूरा हक जताया जाता है. परंतु, बाबा के इस मंदिर के विकास में जब सहयोग की बातें आती हैं, तो सबसे पहले यहीं लोग पीछे हट जाते हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि अपने आपको बाबा का वंशज बताने वाले ये लोग बाबा के मंदिर के विकास के लिए कितने संवेदनशील हैं. इस संबंध में कोई भी अपना मुंह खोलने से कतरा रहे हैं.
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