नवादा : हरेक व्यक्ति कहीं न कहीं विभिन्न सामाजिक व आर्थिक पहलुओं से जुड़े रहने के कारण उपभोक्ता है. सभी की समस्याएं समान है. पिछले कुछ वर्षो से उपभोक्ताओं में जागरूकता आयी है.
इस आधुनिक युग में तकनीकी विकास व आर्थिक गतिविधियों की वृद्धि के साथ-साथ आम जनों के लिए उपभोक्ता सामग्री बाजार में उपलब्ध है, लेकिन बाजार की जटिलता व उपभोक्ताओं के हितों को नजर अंदाज करने वाली कई ऐसी संस्थाएं हैं, जो अधिकाधिक लाभ की इच्छा से उपभोक्ताओं को अच्छी सेवाएं व सामग्री नहीं देती हैं, जिससे उपभोक्ता किसी न किसी रूप से प्रभावित होते हैं.
यह बातें जिला उपभोक्ता संरक्षण फोरम न्यायालय के सदस्य डॉ पूनम शर्मा ने राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस पर आयोजित गोष्ठी में कहीं. उन्होंने कहा कि उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के व्यापक प्रावधान है.
उन्होंने कहा कि सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों के उपभोक्ताओं में जागरूकता लाने की जरूरत है. स्वयं सेवी संस्थाओं को इस संबंध में बढ़-चढ़ कर भाग लेने की जरूरत है. उन्होंने बताया कि उपभोक्ताओं को खरीदारी करते समय गुणवत्ता चिह्न् वाले समान की भी मांग करें.
खरीदारी के समय सही रसीद का मांग करें व घटिया माल, खराब सेवाएं या अनुचित व प्रतिबंधित व्यापार से बचें. उन्होंने बताया कि व्यापारी व खुदरा विक्रेताओं द्वारा कैशमेमो व बिल में एक बार बिका हुआ माल वापस नहीं होगा. ऐसा लिखा रहने पर उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986 की धारा 14 का उल्लंघन है. उन्होंने उपभोक्ताओं के अधिकारों पर बताया कि उपभोक्ताओं को सुरक्षा का अधिकार है. सूचित किये जाने का अधिकार है. चयन करने का अधिकार है, शिकायत दर्ज करने का अधिकार है. क्षतिपूर्ति पाने का अधिकार है तथा उपभोक्ता को शिक्षा का अधिकार है.