चालान जमा नहीं करने को लेकर ईंट भट्ठों पर करायी थी प्राथमिकी, थानाध्यक्षों ने कोई कारगर कदम नहीं उठाया
नवादा (सदर) : वित्तीय वर्ष 2015-16 की समाप्ति के आखिरी महीने में भी जिले के अधिकतर विभाग राजस्व वसूली में कोसों दूर हैं. वहीं कुछ विभाग स्थानीय स्तर पर सहयोग नहीं मिल पाने के कारण राजस्व वसूली करने में खुद को अक्षम महसूस कर रहे हैं. ऐसे ही विभागों में से खनन विभाग एक है.
चालू वित्तीय वर्ष के आखिरी महीने में राजस्व वसूली के लक्ष्य से 50 प्रतिशत भी लक्ष्य की प्राप्ति नहीं हो पायी है. इसके पीछे पत्थर उत्खनन, बालू उत्खनन का कार्य नहीं होने तथा अवैध रूप से चलने वाले ईंट भट्ठेदारों के खिलाफ पुलिस प्रशासन का सहयोग नहीं मिलना भी एक कारण माना जा रहा है. जिले भर में चलाये जा रहे लगभग दो सौ ईंट भट्ठेदारों में से खनन विभाग ने 85 से अधिक के खिलाफ वित्तीय वर्ष 2014-15 व 15-16 का चलान जमा नहीं करने को लेकर संबंधित थाना क्षेत्रों में एफआइआर दर्ज करायी थी. परंतु एफआइआर दर्ज होने की प्रक्रिया के बाद फाइल बंद हो गयी.
संबंधित थानाध्यक्षों ने भी इस संबंध में कोई कारगर कदम नहीं उठाया. इसके कारण डेढ माह पूर्व एफआइआर होने के बाद भी अधिकतर ईंट भट्ठा संचालक खनन विभाग को सरकारी चालान जमा नहीं कर रहे हैं. विभाग ने लगभग एक करोड़ रुपये से अधिक के बकाया चालान की वसूली को लेकर ही एफआइआर जैसे कार्य किये थे. परंतु कुछ थानाध्यक्षों का समुचित सहयोग नहीं मिल पाने के कारण खनन विभाग राजस्व वसूली करने में पिछड़ रही है.
जानकारी के अनुसार, खनन विभाग ने नारदीगंज, सिरदला, अकबरपुर के थानों में भी ईंट भट्ठेदारों के खिलाफ चालान जमा नहीं करने को लेकर एफआइआर दर्ज करायी थी. परंतु थानाध्यक्षों द्वारा ऐसे ईंट भट्ठा संचालकों के खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई नहीं किये जाने के कारण सरकारी राजस्व की वसूली नहीं हो पा रही है. ऐसे तो खनन विभाग ने अपने ही क्षमता के बल पर कई थाना क्षेत्रों के ईंट भट्ठेदारों से सरकारी चालान की राशि वसूल कर पायी है. जबकि अधिकतर भट्ठेदार समय सीमा समाप्त होने के बाद भी इस दिशा में कोई पहल नहीं कर पा रहे हैं.
दो वित्तीय वर्ष का बकाया है एक करोड़ रुपये
खनन विभाग का ईंट भट्ठेदारों के खिलाफ वित्तीय वर्ष 2014-15 व 2015-16 में चलान के रूप में कई भट्ठेदारों के पास करोड़ों रुपये बाकी है. ऐसे ही रुपये की वसूली के लिए खनन विभाग ने थानों में भट्ठा मालिकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज करायी थी. एफआइआर का डर नहीं रहने के कारण ही खनन विभाग राशि नहीं वसूल पाने से लक्ष्य प्राप्ति से काफी दूर है. विभाग के कर्मचारियों का मानना है कि समय के साथ थानाध्यक्षों द्वारा कार्रवाई की जाती तो खनन विभाग अपने लक्ष्य के करीब होता.