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सीतामढ़ी महोत्सव का इंतजार

हिसुआ : प्रदेश में महोत्सवों का दौर चल रहा है. लगभग सभी जिलों में किसी न किसी स्थान के नाम पर महोत्सव होते ही रहते हैं, लेकिन नवादा जिले की धरती इससे वंचित है. जबकि, यहां भी महोत्सव आयोजित करने के लिए कई स्थल उपयुक्त हैं. राजगीर महोत्सव, तपोवन महोत्सव, देव महोत्सव, बोधगया महोत्सव, वैशाली […]

हिसुआ : प्रदेश में महोत्सवों का दौर चल रहा है. लगभग सभी जिलों में किसी न किसी स्थान के नाम पर महोत्सव होते ही रहते हैं, लेकिन नवादा जिले की धरती इससे वंचित है. जबकि, यहां भी महोत्सव आयोजित करने के लिए कई स्थल उपयुक्त हैं.
राजगीर महोत्सव, तपोवन महोत्सव, देव महोत्सव, बोधगया महोत्सव, वैशाली महोत्सव, मिथिला महोत्सव आदि को देख इस क्षेत्र के लोगों के दिलों में भी इस तरह के महोत्सव आयोजित होने की हसरतें उठती है, लेकिन सरकार की उपेक्षा के कारण उनके अरमानों पर पानी फिर जाता है़
जिले में पूरे देश में प्रसिद्ध शीतल जलप्रपात ककोलत में पहले यह परिपाटी बनी थी. यहां महोत्सव के नाम पर सरकारी आयोजन होता था, लेकिन हाल के काई वर्षों से यह भी नहीं हो रहा है़ मेसकौर में माता सीता की शरणस्थली सीतामढ़ी में सीतामढ़ी महोत्सव आयोजित करने की मांग लगातार एक दशक से उठ रही है, पर इस पर पर्यटन विभाग की नजरें इनायत नहीं हो रही है़ सीतामढ़ी में पर्यटन के विकास की संभावनाएं खूब है़ इस पर प्रशासन व जनप्रतिनिधियों की ओर से ठोस पहल नहीं हो रहा है़
जिने के जनप्रतिनिधि भी कोरा आश्वासन देकर रह जाते हैं. इस साल भी प्रशासन तक भी यह मांग पहुंचायी गयी़ कलाकार उमाकांत बरूआ, प्रोजेक्ट कन्या इंटर स्कूल के प्रभारी मिथिलेश कुमार सिन्हा, सुमीत बाबा आदि ने इसकी अगुआई कर मांग जिला व प्रदेश के अधिकारियों तक पहुंचायी, लेकिन कोई शुभ संकेत नहीं मिल पा रहा है़ युगल किशोर सिंह, उमेश सिंह, पुरूषोत्तम सिंह, चंद्रिका प्रसाद सिंह, साहित्यकार दीनबंधु, सिद्घनाथ पांडेय, रामबालक चौहान सहित समाजसेवी और आम जन भी बराबर इसकी मांग उक्त स्थल पर जनप्रतिनिधियों के पहुंचने पर व ज्ञापनों के माध्यम से भी उठाते रहे हैं.

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