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तुरिया समाज को विकास योजनाओं का नहीं मिल लाभ

तुरिया समाज को विकास योजनाओं का नहीं मिल लाभ फोटो-1 सूप, मोनी, खचिंया बना कर रहे जीवनयापन सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभप्रतिनिधि, सिरदलामहादलित परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए सरकार कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है. इसके बाद भी महादलित परिवार से आने वाले सिरदला प्रखंड के […]

तुरिया समाज को विकास योजनाओं का नहीं मिल लाभ फोटो-1 सूप, मोनी, खचिंया बना कर रहे जीवनयापन सरकारी योजनाओं का नहीं मिल रहा लाभप्रतिनिधि, सिरदलामहादलित परिवारों को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने के लिए सरकार कई तरह की सुविधाएं उपलब्ध करायी जा रही है. इसके बाद भी महादलित परिवार से आने वाले सिरदला प्रखंड के तुरिया जाति की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो सका है. आज भी तुरिया समाज के लोग आदिवासी जीवन गुजार रहे हैं. रोजगार व सरकारी सुविधाओं के अभाव में प्रखंड के तुरिया परिवारों के समक्ष आर्थिक संकट हैं. लिहाजा, स्थितियां सुधरने की बजाय लगातार बिगड़ती जा रही हैं. क्षेत्र के धिरौंध पंचायत के खरौंध तुरिया टोला व बांधी पंचायत के चपरी तुरिया टोला परिवारों को रोजगार उपलब्ध नहीं होने के कारण आज भी वह बांस की कमाची से टोकरी, सूप, मौनी, दौरा, बट्टा, तराजू, पंखा आदि बना कर अपना भरण-पोषण करते हैं. तुरिया समाज के लोगों का विकास नहीं हो सका है. इनका विकसित समाज का सपना अधूरा है. महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना के तहत दोनों गांवों को मिला कर करीब 50 लोगों को अब तक जॉब कार्ड उपलब्ध कराया गया हैं. परंतु, उन्हें भी रोजगार उपलब्ध नहीं हो सका. इससे लोग बेरोजगारी की समस्या झेल रहे हैं. भूमिहीन होने के कारण लोग खेती का काम नहीं करते. लिहाजा, पुरुष ईंट भट्ठों पर काम कर परिवार का भरण पोषण करते हैं. महिलाएं घर पर बांस की कमांची से पंखा, खंचिया, तराजू आदि बना कर गुजारा करते हैं. इससे इन परिवारों को भोजन उपलब्ध होता है. इस कार्य में इनके बच्चे भी शामिल होते हैं. गांव में प्राइमरी स्कूल होने के कारण इनकी पढ़ाई पांचवी क्लास तक ही रह जाती है. बोले समाज के लोग बांस की टोकरी, सूप, तराजू आदि बनाकर भरण पोषण करती हूं. पति बांस काट कर लाते हैं. दोनों की कमाई से हमारे परिवार का गुजर बसर होता है.सचिया देवी सरकार ने महादलितों के लिये ढेर सारी योजनायें चलायी है. लेकिन, हमलोगों को सरकार के किसी योजना का लाभ अब तक नहीं मिल पाया है. बसंती देवीपत्नी घर पर टोकरी, सूप, मौनी इत्यादि बनाती हैं. मैं ईंट भट्ठा पर मजदूरी करता हूं. दोनों की कमाई से किसी तरह घर परिवार का गुजारा होता है.बेगन तुरियाबोले जिम्मेवारयहां के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है.सुमा देवी, मुखिया दोनों गांवों की आर्थिक स्थिति की जानकारी मिली है. वहां की आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए सरकार द्वारा उपलब्ध योजनाओं की जानकारी के साथ-साथ इसे मुहैया कराने का प्रयास किया जा रहा है.कुमुद रंजन, बीडीओ

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