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जिला पुस्तकालय बहा रहा बदहाली के आंसू, किताबें पढ़नेवाला कोई नहीं
नवादा (नगर): किताब से बढ़ कर कोई सच्च मित्र नहीं होता है. जिले में किताबों को सहेज कर रखनेवाला जिला पुस्तकालय अपनी बदहाली पर रो रहा है. जिला मुख्यालय में प्रजातंत्र चौक के पास बड़े से हिस्से में जिला पुस्तकालय बना हुआ है. लेकिन, यहां तक बहुत कम लोग ही पहुंच पाते हैं. यहां 13 […]
नवादा (नगर): किताब से बढ़ कर कोई सच्च मित्र नहीं होता है. जिले में किताबों को सहेज कर रखनेवाला जिला पुस्तकालय अपनी बदहाली पर रो रहा है. जिला मुख्यालय में प्रजातंत्र चौक के पास बड़े से हिस्से में जिला पुस्तकालय बना हुआ है.
लेकिन, यहां तक बहुत कम लोग ही पहुंच पाते हैं. यहां 13 हजार से अधिक किताबों का संग्रह है. बावजूद इसका इस्तेमाल करने वालों की संख्या काफी कम है. पुस्तकालय प्रशासन के अनुसार, महज एक सौ ही पुस्तकालय के स्थायी पाठक सदस्य हैं, जो लाइब्रेरी में आकर पुस्तकों का इस्तेमाल करते हैं. नवादा के हृदय स्थल के पास स्थापित होने के बाद भी पुस्तकालय से लोग नहीं जुड़ पा रहे हैं.
पहुंचने में होती है कठिनाई
प्रजातंत्र चौक के निकट बने पुस्तकालय जाने वाले रास्ते में दरुगध के कारण लोग नहीं जा पाते हैं. पूरे रास्ते में लोग पेशाब करते हैं. जिसकी दरुगध से आने-जाने वाले लोग बेहाल हो जाते हैं.
मुख्य रास्ते में ठेला वाले भी अतिक्रमण किये रहते है, जिसके कारण पुस्तकालय का रास्ता जाम रहता है. नगर पर्षद का सार्वजनिक पेशाब घर रास्ते में है, जिसकी साफ-सफाई नहीं होने से गंदगी व दरुगध पसरा रहता है.
किताबों का है भंडार
जिला पुस्तकालय में शब्द कोष, विश्व कोष, विभिन्न लेखकों के उपन्यास कहानी, कविता, अध्यात्म, महापुरुषों की जीवनी, समाज उपयोगी किताबों का भंडार है. शोध करने वाले छात्र-छात्रओं के लिए ब्रीटानिया इनसाइक्लो पीडिया 24 सेट में उपलब्ध है. जिले के हजारों छात्र-छात्राएं प्रतियोगिता परीक्षाओं की तैयारी के लि महज एक किताब खरीदने के लिए परेशान रहते है. यदि छात्र-छात्राएं पुस्तकालय से जुड़े तो विद्यार्थी एवं पुस्तकालय दोनों के लिए यह लाभदायक होगी.
सुबह-शाम दोनों समय खुलता है पुस्तकालय
जिला पुस्तकालय को आम लोगों के लिए उपलब्ध कराने का प्रयास होता है. प्रतिदिन सुबह आठ से 11 बजे व शाम तीन बजे से साढ़े सात बजे तक खोला जाता है. समाचार पत्र के अलावा प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी करने वाले पत्र-पत्रिकाओं की नियमित खरीदारी होती है. पुस्तकालय के रास्ते की गंदगी के कारण आने-जाने में समस्या है. खराब चापाकल की कई बार शिकायत किये है, लेकिन अब तक नहीं बना है.
विनय शंकर, लाइब्रेरियन सह सचिव
तीन वर्षो से नहीं हुई खरीदारी
जिला पुस्तकालय के लिए वर्ष 2012 से ही किताबों की खरीदारी नहीं हुई है. बजट की उपलब्धता के अभाव में किताबें नहीं खरीदी गयी है. सत्र 2015-16 में पुस्तकालय विकास के लिए 10 लाख रुपये का आवंटन हुआ है. इससे नयी किताबों की खरीदारी व बुक बाईंडिंग के साथ ही भवन की मरम्मती, शौचालय निर्माण, चापाकल मरम्मत आदि कार्य कराये जायेंगे.
डीएम होते हैं अध्यक्ष
जिला पुस्तकालय का अध्यक्ष डीएम होते है. इनके नेतृत्व में डीइओ, डीपीओ, डायट प्राचार्य सहित अन्य 15 सदस्यीय टीम पुस्तकालय का संचालन करती है. लेकिन, अधिकारियों की अनदेखी के कारण पुस्तकालय का विकास नहीं हो पा रहा है. प्रशासन के थोड़े से प्रयास के बाद पुस्तकालय को छात्रों के लिए उपयोगी बनाया जा सकता है.
सदस्य बनाने का नहीं हो रहा प्रयास
जिला पुस्तकालय की सदस्यता ग्रहण करना काफी आसान है. पुस्तकालय में सदस्यता फॉर्म 10 रुपये में मिलता है. आवासीय व एक पहचान पत्र की कॉपी लगा कर फॉर्म को भरना है. किसी भी गजटेड ऑफिसर से हस्ताक्षर करा कर फॉर्म जमा किया जा सकता है. सदस्यता ग्रहण करने का चार्ज 185 रुपये है. जबकि, 10 रुपये प्रति महीना सदस्यता शुल्क लगता है. इतनी कम राशि में जिला पुस्तकालय से जुड़ा जा सकता है. बावजूद पुस्तकालय के सदस्यों की संख्या महज एक सौ ही है. वह भी नियमित मासिक शुल्क नहीं जमा करते हैं. पुस्तकालय के 13 हजार से अधिक किताबों के अलावा प्रतिदिन छह समाचार पत्र, दर्जन भर पत्र-पत्रिकाएं भी पुस्तकालय में उपलब्ध है. सुविधाओं के बावजूद सदस्यता बढ़ाने पर प्रयास नहीं हो रहा है.
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