हर साल मिलता है लाखों रुपये का राजस्व
वारिसलीगंज : रेलवे को प्रतिमाह लाखों रुपये का राजस्व देने वाला वारिसलीगंज रैक प्वाइंट वर्षो से असुविधा का दंश झेल रहा है. स्टेशन के दक्षिणी छोर पर स्थिति रैक प्वाइंट पर खाद, सीमेंट व खाद्यान्न आता है.
पिछले 50 वर्षो से यह कार्य सुचारु रूप से चल रहा है. जानकारी के अनुसार, वारिसलीगंज रैक पर 10 ब्रांडों के सीमेंट, रासायनिक खाद व खाद्यान्न का रख-रखाव किया जाता है, जिससे रेलवे को प्रतिमाह 10 से 15 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा होता है. फिर भी इस रैक प्वाइंट पर कोई सुविधा नहीं है.
तपिश भरी गरमी में कड़ाके की ठंड या फिर मूसलधार बारिश हो, सभी मौसम में रैक होल्डर, मजदूर व वाहन मालिक को सर छुपाने के लिए विभाग द्वारा कोई व्यवस्था नहीं की गयी है. इनका सहारा रैक प्वाइंट के आसपास झोंपड़ीनुमा होटल ही बनता है. सुविधा का आलम यह है कि रैक प्वाइंट पर न तो पानी की व्यवस्था है और न ही रोशनी की.
प्रकाश की व्यवस्था नहीं होने से शाम को ही रैक का कार्य बंद कर दिया जाता है. इसका खामियाजा रैक होल्डरों को पेनाल्टी के तौर पर भुगतना पड़ता है. रैक की व्यवस्था होने के कारण किऊल-गया रेलखंड पर स्थित सभी स्टेशनों में से वारिसलीगंज स्टेशन सबसे ज्यादा आय देने वाला है.
पिछले कुछ माह पहले दानापुर रेल मंडल के जीएम के निरीक्षण के दौरान इस कुव्यवस्था से अवगत कराया गया था. परंतु, जीएम के आश्वासन के कई माह बीत जाने के बाद मौजूदा समय तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गयी है.