रजौली : अब मृत व्यक्ति के नाम पर जालसाजी नहीं हो पायेगी. सरकार ने मृत्यु प्रमाणपत्र निर्गत करने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है. यह सरकारी आदेश पर एक अक्तूबर से लागू हो जायेगा. सरकार भ्रष्टाचार व फर्जीवाड़े को रोकने के लिए यह नियम लागू करनेवाली है. जानकारों का मानना है कि […]
रजौली : अब मृत व्यक्ति के नाम पर जालसाजी नहीं हो पायेगी. सरकार ने मृत्यु प्रमाणपत्र निर्गत करने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है. यह सरकारी आदेश पर एक अक्तूबर से लागू हो जायेगा. सरकार भ्रष्टाचार व फर्जीवाड़े को रोकने के लिए यह नियम लागू करनेवाली है. जानकारों का मानना है कि व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसकी संपत्ति को हड़पने की लालच में कई तरह के फर्जीवाड़े किये जाते हैं. कई बार ऐसा भी होता है कि मृत्यु के बाद भी उनके नाम पर लोग सरकारी योजनाओं का लाभ लेते रहते हैं.
इन तमाम फर्जीवाड़ों पर रोक लगाने के लिए सरकार यह कदम उठा रही है. इस नियम के लागू होने से किसी व्यक्ति के मरने के बाद उसके नाम का इस्तेमाल नहीं हो सकेगा. उम्मीद है कि सरकार के इस कदम से धोखाधड़ी करनेवालों पर रोक लग पायेगा.
क्या हैं मृत्यु पंजीकरण के नियम
भारत में कानून के अधीन (जन्म और मृत्यु पंजीकरण अधिनियम)1969 के अनुसार किसी व्यक्ति की मृत्यु होने के 21 दिनों के भीतर संबंधित राज्य-केंद्रशासित राज्य में पंजीकरण कराना अनिवार्य है. तदनुसार सरकार ने केंद्र में महापंजीयक, भारत सरकार के पास और राज्यों में मुख्य पंजीयकों के पास गांव मे जिला पंजीयकों द्वारा चलाये जानेवाले और नगरों के पंजियक परिसर में मृत्यु का पंजीकरण कराने के लिए एक सुलभ प्रणाली की व्यवस्था की गयी है.
मृत्यु प्रमाणपत्र के लिए आवेदन करने के लिए पहले मृत्यु का पंजीकरण कराना होता है. मृत्यु का पंजीकरण संबंधित अधिकारी से पास होने के 21 दिनों के भीतर पंजीयक द्वारा निर्धारित प्रपत्र भरकर जमा किया जाता है. तब उचित सत्यापन के बाद मृत्यु प्रमाणपत्र जारी किया जाता है. लेकिन, कई बार मृत्यु प्रमाण पत्र के सहारे फर्जीवाड़े का खुलासा होते पाया गया है.