अनदेखी. नशे की लत छुड़ाने पर प्रशासन का ध्यान नहीं
Advertisement
10782 शराबियों में नशामुक्ति केंद्र लाये गये मात्र 80 मरीज
अनदेखी. नशे की लत छुड़ाने पर प्रशासन का ध्यान नहीं पीनेवालों के लिए शराबबंदी बेअसर अिधक पैसे देने पर आसानी से मिल रही शराब नवादा : राज्य सरकार द्वारा कानून लागू किये जाने के बाद भी शराब पीनेवालों पर असर नहीं पड़ रहा है. इसका मुख्य प्रमाण सदर अस्पताल में बना नशा मुक्ति वार्ड से […]
पीनेवालों के लिए शराबबंदी बेअसर
अिधक पैसे देने पर आसानी से मिल रही शराब
नवादा : राज्य सरकार द्वारा कानून लागू किये जाने के बाद भी शराब पीनेवालों पर असर नहीं पड़ रहा है. इसका मुख्य प्रमाण सदर अस्पताल में बना नशा मुक्ति वार्ड से प्राप्त रिपोर्ट है़ आधुनिक सुविधाओं से लैस इस वार्ड को 20 लाख की लागत से बनाया गया है़ अप्रैल 2016 से मई 2017 माह तक मात्र 80 मरीज ही यहां पहुंचे हैं. जबकि पूरे जिले में प्रशासन द्वारा किये गये शराबियों के एक सर्वे के अनुसार जिले में कुल 10 हजार 782 शराबी होने की रिपोर्ट है़
वार्ड के इंचार्ज द्वारा सरकार को भेजी जा रही रिपोर्ट में मरीजों की संख्या में आयी कमी से भले ही सरकार शराबियों में सुधार आने की बात समझ रही हो, परंतु सच्चाई यह है कि माफियाओं द्वारा अवैध रूप से शराब की आपूर्ति धड़ल्ले से की जा रही है़ बिहार-झारखंड सीमा से सटे इस जिले में शराब माफियाओं की चांदी कट रही है.
भले ही आये दिन शराब व धंधेबाज पकड़े जा रहे हों, परंतु मोटी रकम में आज भी उन शराबियों को आसानी से शराब आपूर्ति हो रही है. अब भला नशामुक्ति वार्ड जाकर शराबी का ठप्पा लगाने व दवा का सेवन करने से बेहतर महंगी शराब की सेवन को ज्यादा बेहतर समझ रहे हैं. यहां के चिकित्सक का कहना है कि चिह्नित होनेवाले लोग वर्षों से शराब के आदि हैं़ बावजूद इस नशामुक्ति वार्ड में नहीं पहुंच रहे हैं. इससे साफ पता चलता है कि उन लोगों को कहीं न कहीं से शराब की आपूर्ति हो जा रही है.
ऐसे होता है भरती होनेवाले शराबियों का इलाज
शराब की लत को छुड़ाने के लिए बनाया गया नशामुक्ति वार्ड में चिकित्सकों व परामर्शियों की एक पूरी टीम नियुक्त की गयी है़ इसके चिकित्सक डाॅ बीबी सिंह बताते हैं कि भरती होनेवाले मरीजों को साइन व सिम्टम देकर उन्हें सात दिनों के बाद बुलाया जाता है. ताकि, उसके हेल्थ की जांच की जा सके़ ऐसे मरीजों के शराब की लत को छुड़ाने के लिए उन्हें टैंपरिंग के तहत शराब की खुराक धीरे-धीरे कम करने की सलाह दी जाती है. साथ ही उनकी काउंसेलिंग कर शराब से शरीर को होनेवाले नुकसान के अलावा अन्य क्षति से अवगत कराया जाता है. हालांकि चिकित्सक का ये भी कहना है कि किसी भी लत को अचानक छोड़ने से भी शरीर पर बुरा प्रभाव पड़ता है, जिसे विद ड्रावल सिम्टम कहा जाता है
वर्ष 2016
अप्रैल – 50
मई – चार
जून – तीन
जुलाई – तीन
अगस्त – पांच
सितम्बर – पांच
अक्तूबर – दो
नवंबर – एक
दिसंबर – दो
वर्ष 2017
जनवरी – एक
फरवरी – एक
मार्च – 00
अप्रैल – तीन
मई – 00
लत छुड़ाने को काउंसेलिंग
नशामुक्ति वार्ड में आये कुल 60 मरीजों में 22 लोगों की काउंसेलिंग की गयी़ इसमें 54 लोग वैसे थे, जो शराब को छोड़-छोड़ कर पीते थे. विभाग ने उन्हें 15 स्कोर के अंदर चिन्हित किया तथा जो गंभीर रूप से शराब के आदि बन चुके थे, उनमें मात्र एक ही मरीज मिला, जिसका स्कोर 16 से अधिक पाया गया. शराब के अलावा अन्य नशा करनेवाले भी एक मरीज का इलाज किया गया.
एक भेजा गया पीएमसीएच
अब तक मात्र एक ही ऐसा मरीज मिला, जिसे पीएमसीएच भेजा गया है. जबकि यहां 10 हजार 782 शराबियों को चिह्नित किया गया है. पीएमसीएच भेजे जाने वाला मरीज जिले के रोह प्रखंड के नजरडीह गांव का निवासी है, जो शराब के अत्यधिक आदि रहने के कारण उसे पीएमसीएच रेफर किया गया था.
इस मरीज को इमरजेंसी वार्ड से नशा मुक्ति वार्ड लाया गया था़ उस व्यक्ति के बारे में मिली जानकारी के अनुसार वह शराब का इतना आदि था कि उसका मानसिक संतुलन बिगड़ चुका था. इसके पूर्व नशा मुक्ति वार्ड में पहले दिन दो मरीजों को भरती किया गया था. उन दोनों को एक दिन बाद ही डिस्चार्ज कर दिया गया था.
जेल भेजे गये पियक्कड़ों का नहीं हुआ इलाज
जिले में मई 2017 तक 669 लोगों को अवैध शराब का धंधा करने व शराब सेवन के आरोप में जेल भेजा जा चुका है. ऐसी परिस्थिति में जो लोग शराब पीने के आरोप में जेल गये हैं, उनकी शराब की लत छुड़ाने के लिए यहां कोई इलाज की व्यवस्था नहीं है और न ही वैसे लोगों को सदर अस्पताल स्थित नशा मुक्ति वार्ड में भरती कराया गया है. इस वार्ड के चिकित्सक डाॅ बीबी सिंह का कहना है कि भले ही प्रशासन शराब पीनेवालों को पकड़ कर जेल भेज रहा हो, लेकिन उसका इलाज कराना भी जरूरी होता है़ इस वजह से भी वार्ड में मरीजों की संख्या कम हुई है.
29 प्रकार की दवाओं में 17 उपलब्ध
29 प्रकार की दवाओं में अभी 17 प्रकार की दवाएं उपलब्ध होने की बात परामर्शी बताते हैं. उन्होंने बताया कि शराबियों के लिए इस वार्ड में कुल 29 प्रकार की दवाओं में 17 प्रकार की दवाएं उपलब्ध हैं. इसमें नहीं उपलब्ध होनेवाली दवा डिसुलफिराम नामक टैबलेट है, जो मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकता है़ इसके अलावा दो दवा नाल्ट्रेक्सोन व एकाम्प्रोसेट टैबलेट शराब की लत को छुड़ाने में काम आता है. उन्होंने बताया कि मरीजों की कमी के कारण सभी उपलब्ध दवाएं एक्सपायर कर रही थी, इसलिए उसे सदर अस्पताल में वापस कर दिया गया है.
Prabhat Khabar App :
देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए
Advertisement