बिहारशरीफ : जिला न्यायालय स्थित किशोर न्याय परिषद के प्रधान न्यायाधीश ने छह लंबित किशोर मामले का निबटारा किया. इसमें चार मामले के किशोर आरोपितों की रिहाई व एक मामले में गवाह के नहीं आने की वजह से टर्मिनेट तथा एक मामले के किशोर आरोपित को सजा दी गयी. किशोर आरोपि को आर्म्स एक्ट के मामले में 17 जुलाई 2006 को तत्कालीन बिहार थाना प्रभारी पारस नाथ साहू ने गिरफ्तार कर आरोप दर्ज किया था.
जिसके अनुसार आरोपी एक अन्य साथी के साथ हथियार समेत कुमार सिनेमा हॉल के कैम्पस में रिवाल्वर व जिंदा कारतूस के साथ बैठा हुआ था. सूचना मिलने पर दोपहर ढ़ाई बजे पुलिस बल ने दोनों को ही पकड़ लिया. जांच किये जाने पर दोनों ही आरोपियों के पास से कमर में खोसा हुआ रिवाल्वर व चार जिंदा कारतूस बरामद किया गया था. आर्म्स एक्ट की धारा 25 (1बी)ए व 26 के तहत आरोप दर्ज किया गया था. सुनवाई के पश्चात दी गई सजा को प्रधान न्यायधीश मानवेन्द्र मिश्र ने किशोर के द्वारा न्यायिक अभिरक्षा में बिताई गई अवधि को मुजारा करते हुए नगर आयुक्त की देखरेख तथा निर्देशों की अधीन दो माह तक अपना कार्य सेवा के रूप में शहर को सुंदर और स्वच्छ बनाने के उद्देश्य से देगा. जिससे किशोर में राष्ट्र एवं समाज के प्रति अपनी जिम्मेवारी एवं एक अच्छे नागरिक के गुणों का विकास हो पायेगा. इससे संबंधित पत्र नगर निगम आयुक्त को कोर्ट ने निर्गत किया.
किशोर आरोपी अब 26 वर्ष का युवा है तथा समजा एवं परिवार की मुख्यधारा से जुड़कर अच्छे आचरण का जीवन व्यतीत कर रहा है. न्याय परिषद ने यह सजा किशोर न्याय अधिनियम के प्रावधान 18 (ग) के तहत दी है. जिसके अनुसार बालक को संगठन अथवा संस्थान अथवा बोर्ड द्वारा पहचाने गये विर्निष्ट व्यक्ति, व्यक्तियों अथवा इसके समूह के पर्यवेक्षण के अधीक्ष सामाजिक सेवा करने के लिए अनुज्ञात कर सकेगा.