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मकर संक्रांति आज, उत्साह

नदी, तालाबों में स्नान कर दान तथा चूड़ा-दही खाने की है परंपरा मकर संक्रांति के दिन से सूर्यदेव हो जाते हैं उतरायन बिहारशरीफ. मकर संक्रांति हिंदुओं का पवित्र त्योहार है. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करने पर यह त्योहार मनाया जाता है. इसी दिन से सूर्य उत्तरायन हो जाता है. इसके कारण दिन धीरे […]

नदी, तालाबों में स्नान कर दान तथा चूड़ा-दही खाने की है परंपरा

मकर संक्रांति के दिन से सूर्यदेव हो जाते हैं उतरायन

बिहारशरीफ. मकर संक्रांति हिंदुओं का पवित्र त्योहार है. सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करने पर यह त्योहार मनाया जाता है. इसी दिन से सूर्य उत्तरायन हो जाता है. इसके कारण दिन धीरे धीरे बड़ा होने लगता है तथा समस्य जीवों को अधिक ऊर्जा मिलने लगती है. इस वर्ष सूर्य 14 जनवरी शनिवार को 1.51 बजे मकर राशि में प्रवेश करेगा. मकर संक्रांति के दिन पवित्र नदियों में स्नान कर दान आदि करने की परंपरा रही है. इस रोज चूड़ा,दही,गुड़,तिलवा,तिलकुट आदि खाने की भी परंपरा है. लोग त्योहार के 2-3 दिन पूर्व से ही दूध दही तथा तिलकुट,चूड़ा आदि के इंतजाम में लग जाते है. इसी के साथ शाम में कुरथी के दाल की खीचड़ी भी खाई जाती है. शनिवार को मकर संक्रांति होने के कारण लोग जमकर तिलवा, तिलकुट, भूरा, गुड़, चूड़ा, कुरथी दाल आदि की भी खरीदारी कर रहे हैं. बाजारों में मकर संक्रांति की खरीदारी के लिए भारी भीड़ उमड़ रही है. बड़ी संख्या में लोग बाढ़, बख्तियारपुर, फतुहां आदि स्थलों पर जाकर गंगा स्नान करने की तैयारी में भी जुटे हैं.

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व:

मकर संक्रांति के मौके पर पवित्र नदियों में स्नान कर दान करने की पौराणिक मान्यता रही है. इस संबंध में पंडित श्रीकांत शर्मा ने बताया कि मकर संक्रांति का पूण्य काल दिन भर रहेगा. मकर संक्रांति के बाद हिंदू धर्म में सभी प्रकार के मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. इस अवसर पर घृत, कंबल, काला कपड़ढ़, तिल आदि दान करने से देवता तथा शनिदेव दोनों प्रसन्न होते हैं. स्त्रीयों को इस दिन तेल, कपास, नमक आदि दान करना चाहिए. इस दिन किया हुआ दान एक सौ गुणा फलदायी होता है.

तिल-गुड़ खाने की है परंपरा:

मकर संक्रांति के मौके पर तिल, गुड़, दही, चूड़ा आदि खाने की परंपरा है. इस संबंध में पं. श्रीकांत शर्मा ने बताया कि शीत ऋतु की ठंड से जनमानस प्रभावित रहता है. तिल गुड़ आदि वस्तुएं ऊर्जा दायक तथा ठंड से बचाने वाली है. इनसे शरीर को पोषण मिलता है. इसलिए हमारी परंपरा में इस त्योहार को महत्वपूर्ण माना गया है. गोस्वामी तुलसीदास की मानस के अनुसार इस दिन गंगा, यमुना तथा सरस्वती नदियों में डुबकी लगाने देवता भी रूप बदल कर आते हैं.

गंगा स्वर्ग से हुई थी धरती पर अवतरित:

पौराणिक मान्यता के अनुसार मकर संक्रांति के दिन ही राजा भगीरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर गंगा स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थी. राजा भगीरथ के पीछे पीछे गंगा कपील ऋषि के आश्रय से गुजरते हुए राजा सगर के 60 हजार शापग्रस्त पुत्रों का उद्धार किया था. इसी लिए इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है.

हरनौत. आज सभी जगहों पर मकर संक्रांति हर्षोल्लास के साथ मनाया जायेगा. पर्व के एक दिन पूर्व बाजार में काफी भीड़ देखी गयी.

पर्व पर खाजा की बिक्री तेज

सिलाव. सिलाव में मकर संक्रांति को लेकर खाजा की बिक्री काफी बढ़ गयी. खाजा खरीदने वाले राजगीर, नालंदा, बिहारशरीफ, परबलपुर, गिरियक, छबिलापुर एवं पटना से काफी संख्या में खाजा खरीद कर लोग ले जा रहे हैं. सुबह से खाजा की दुकानों के आगे ग्राहकों की भीड़ लगनी शुरू हो जाती है. खाजा दुकानदार ने बताया कि शुक्रवार को सिलाव में दस लाख से ऊपर की खाजा बिक्री हुई.

लोगों को खाजा लेने के लिए घंटों इंतजार करना पड़ा. सौ रुपये किलो मीठा खाजा और एक सौ बीस रुपये नमकिन खाजा बिका.

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