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सरसों तेल का निर्यात करने वाला खुद बदहाल
नालंदा से लेकर पटना तक फैलती थी सरसों तेल की खुशबू राजस्थान से पिराई के लिए लायी जाती थी सरसों बिहारशरीफ. दो दशक पहले तक नालंदा से लेकर पटना तक शुद्ध सरसों तेल की खुशबू फैलती थी.शुद्ध सरसों तेल की पिरायी कर दूसरे जिलों को निर्यात बड़े पैमाने पर यहां से किया जाता था. नालंदा […]
नालंदा से लेकर पटना तक फैलती थी सरसों तेल की खुशबू
राजस्थान से पिराई के लिए लायी जाती थी सरसों
बिहारशरीफ. दो दशक पहले तक नालंदा से लेकर पटना तक शुद्ध सरसों तेल की खुशबू फैलती थी.शुद्ध सरसों तेल की पिरायी कर दूसरे जिलों को निर्यात बड़े पैमाने पर यहां से किया जाता था.
नालंदा के शुद्ध सरसों तेल की काफी डिमांड अन्य जिलों में होती थी. पर दूसरे जिलों को शुद्ध सरसों का तेल का निर्यात करने वाला आज खुद बदहाल हालत में है. जिला खादी ग्राम उद्योग कार्यालय परिसर में शुद्ध सरसों तेल की पिरायी के लिए उत्तम क्वालिटी की छह कोल्हू मशीनें लगी थी. इसी मशीन से सरसों तेल की पिरायी कर्मचारी करते थे. प्रत्येक मशीन में एकबार में 15 से 20 किलो सरसों डालकर तेल पिरायी का काम कर्मचारी करते थे. मशीन से तेल निकलने के बाद उसे डिब्बा में पैक किया जाता था. हर सप्ताह जिला खादी ग्राम उद्योग विभाग से बिक्री के लिए पटना भंडारण केंद्र में भेजा जाता था.
नालंदा में पिरायी की गयी सरसों तेल की डिमांड दूसरे जिलों में खूब होती थी. मांग इतनी थी कि इसे पूरा करने में कोल्हू के कर्मचारी को अतिरिक्त समय लेना पड़ता था. लोगों को इस केंद्र के तेल आने का इंतजार पटना भंडारण को भी रहता था. जैसे ही यहां के तेल वहां पर पहुंचता था .वैसे ही इसके खरीदार वहां पहुंच जाते थे. उस वक्त चालीस रुपये प्रतिकिलो बिकता था. स्थानीय बिहारशरीफ व जिले के कई प्रखंडों में केन्द्र के तेल की मांग काफी थी.
जिला खादी ग्राम उद्योग केन्द्र में सरसों तेल की पिरायी के लिए राजस्थान से थोक के हिसाब से कई क्विंटल सरसों आयात किया जाता था. ट्रेन के माध्यम से सरसों लाया जाता था. यह उत्तम क्वा्लिटी का सरसों हुआ करता था. इस सरसों के तेल से अच्छी खुशबू निकलती थी. लेकिन बाद में सरकार की ओर से सरसों क्रय के लिए आवंटन बंद हो गया तो तेल पिरायी काम पूरी तरह से बंद हो गया है. 1995 के बाद से जिला खादी ग्राम उद्योग परिसर में लगी कोल्हू मशीनें बंद पड़ी हैं. मशीन घर की छत गिरने से मशीनें भी जंग खाकर खराब हो गयी हैं. इसकी मरम्मत की दिशा में सरकार पहल् नहीं कर पा रही है.
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