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हरी सब्जियों की कीमतों में उछाल

उत्पादन पर असर. भीषण गरमी व पछुआ हवाओं से सूख रहीं सब्जियां किसानों के हौसले पस्त, आम आदमी की भी बढ़ीं मुश्किलें बिहारशरीफ : विगत कई दिनों से जिले में पड़ रही भीषण गरमी ने जहां आम लोगों का जीना मुश्किल कर रखा है. वहीं कई अन्य परेशानियां भी खड़ी हो रही है. प्रचंड गरमी […]

उत्पादन पर असर. भीषण गरमी व पछुआ हवाओं से सूख रहीं सब्जियां
किसानों के हौसले पस्त, आम आदमी की भी बढ़ीं मुश्किलें
बिहारशरीफ : विगत कई दिनों से जिले में पड़ रही भीषण गरमी ने जहां आम लोगों का जीना मुश्किल कर रखा है. वहीं कई अन्य परेशानियां भी खड़ी हो रही है. प्रचंड गरमी व पछुआ हवाओं के लगातार जारी रहने से अब खेतों में लगी हरी सब्जियां भी झुलसने लगी है. जिसके कारण हरी सब्जियों की कीमतों में भारी उछाल आया है.
साधारण परिवार के लोगों की पहुंच से एक बार फिर हरी सब्जियां दूरी बनाने को आतुर दिख रही है.किसान सुबोध प्रसाद का कहना है कि गरम हवाओं के कारण सब्जियों में लगे फूल व फलियां सूख रहे हैं. इससे सब्जियों के उत्पादन पर काफी बुरा प्रभाव पड़ रहा है. सब्जियों के खेतों को भी लगातार भीगा रखना भी इस भीषण गरमी में चुनौतीपूर्ण कार्य है. बाजारों में सब्जियों के कम आने से इनकी कीमत बढ़ना स्वाभाविक है. किसानों का कहना है कि समय पूर्व प्रचंड गरमी पड़ने से सब्जियों की खेती चौपट हो रही है तथा यह एक घाटे का सौदा बनता जा रहा है. कई किसानों ने बताया कि सब्जियों के पौधों को बचाने के लिए कई प्रकार की दवाओं का भी छिड़काव किया जा रहा है,लेकिन इसका भी कोई खास असर नहीं हो रहा है. यदि जल्दी तापमान में कमी नहीं आये तो आम लोगों को हरी सब्जियां मिलनी मुश्किल हो जायेगी.
फलना शुरू हुई थी हरी सब्जियां : लगभग एक सप्ताह पूर्व से ही स्थानीय गरमा सब्जियां बाजारों में आना शुरू हुआ था. इनमें स्थानीय भिंडी,परोर,कद्दू,झिंगनी तथा करेले की सब्जियों के बाजार में आने से लोगों के भोजन का जायका अवश्य बदला था, लेकिन प्रचंड गरमी के कारण यह जायका जल्द ही बिगड़ने का भय भी लोगों में व्याप्त हो गया है. किसानों को भी ऐसे में अपनी पूंजी भी निकालना मुश्किल हो जायेगा. तेज गरमी के कारण लोगों में कई प्रकार की बीमारियों के भी फैलने की संभावना बढ़ गयी है.
दाल भी नहीं दिखा रहा नरमी : सब्जियों की ऊंची कीमत के कारण आम लोगों का ध्यान विकल्प के रूप में अक्सर दालों की ओर ही जाता है, लेकिन विगत एक वर्ष से दालों की कीमतों में भी कोई नरमी नजर नहीं आ रही है. सर्वाधिक उपयोग में आने वाला मसूर दाल 75 रुपये किलो तो चना दाल 70 रुपये किलो बिग रहे हैं. अरहर तथा मूंग के दालों की कीमत भी नीचे आने का नाम नहीं ले रही है. आलू की सब्जी ही लोगों का एकमात्र सहारा नजर आ रहा है.

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