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नालंदा : विकास के साथ जाति की गाड़ी भी हांक रहे

नालंदा में लड़ाई ठन चुकी है. महारथी भोर में ही जनता के दरवाजे पहुंच रहे हैं. कोई उनसे पुराने वायदों की याद दिलाता है, तो कोई नया आश्वासन पाता है. बिजली-सड़क पर किये वायदे पूरे होने का अहसास कराता है. नालंदा की सभी सीटों पर विकास के साथ-साथ आदमी की पूंछ यानी जाति भी चल […]

नालंदा में लड़ाई ठन चुकी है. महारथी भोर में ही जनता के दरवाजे पहुंच रहे हैं. कोई उनसे पुराने वायदों की याद दिलाता है, तो कोई नया आश्वासन पाता है. बिजली-सड़क पर किये वायदे पूरे होने का अहसास कराता है. नालंदा की सभी सीटों पर विकास के साथ-साथ आदमी की पूंछ यानी जाति भी चल रही है.
कुछ सीटों पर स्थानीय राजनीति की उलटबांसी भी है. यहां तीसरे चरण में 28 अक्तूबर को वोट है. पड़ोसी जिले नवादा में सोमवार को होने वाले वोट के पैटर्न को जानने की जिज्ञासा लोगों में है. राकेश चौधरी कहते हैं, पहला फेज देख लीजिए. बहुत कुछ साफ हो जायेगा. लेकिन, नालंदा की चर्चाे से पहले एक छोटी सी बात. भगवान बुद्ध के दो शिष्यों से एक के गांव का पता चल गया है. दूसरे के बारे में पता लगाया जा रहा है.
शुरुआती छानबीन में दो संभावित गांवों का नाम आया. इस विषय पर काम करने वाले व्यक्ति ने बताया कि दोनों शिष्यों को लेकर दावेदारी शुरू हो गयी है. दावेदारी की वजह वहीं आदमी की पूंछ है. तो नालंदा भी इससे अछूता नहीं है. हालांकि विकास की आकांक्षा सब जाहिर करते हैं.
जानिए, सात सीटों का ताजा हाल
सीधी लड़ाई में कई पेच
पिछले चुनाव में जदयू से जीते डॉ सुनील इस बार भाजपा के प्रत्याशी हैं. उनके मुकाबले जदयू ने असगर शमीम को मैदान में उतारा है. दोनों के बीच मुकाबले की तसवीर उभर रही है. लेकिन, संजय कुमार कहते हैं, पप्पू खान की पत्नी आफरीन सुल्ताना महागंठबंधन का, तो अरु ण देव कुमार एनडीए के लिए परेशानी खड़ी कर सकते हैं. बिहारशरीफ स्मार्ट सिटी में शामिल है.
बिखराव पर नजर
जितेंद्र कुमार इस बार भी जदयू की तरफ से मैदान में हैं. उनसे मुकाबला के लिए लोजपा ने छोटेलाल यादव को उतारा है. जन अधिकार पार्टी ने प्रमोद नारायण सिन्हा को खड़ा किया है. लेकिन, श्री सिन्हा की पहचान जदयू कार्यकर्ता के तौर पर रही है. आम लोग इस बात का हिसाब लगा रहे हैं कि प्रमोद की भूमिका कैसी रहेगी. इस आकलन पर भी चुनावी गणित टिका हुआ है.
जद यू की सीट राजद को
तालमेल में यह सीट जदयू ने राजद को दी है. पिछले चुनाव में जीतीं उषा सिन्हा को जदयू ने बेटिकट कर दिया. राजद ने यहां से शक्ति सिंह यादव को मैदान में उतारा है. इसी सीट से रंजीत डॉन की पत्नी दीपिका कुमारी लोजपा की उम्मीदवार हैं. यहां से 20 उम्मीदवार मैदान में हैं. फिलहाल आमने-सामने का मुकाबला माना जा रहा है. वैसे दिग्गजों का दौरा होना बाकी है.
दो कार्यकर्ताओं की भिड़ंत
बीते चुनाव में यहां से जीते जदयू के राजीव रंजन पहले हम में गये, फिर भाजपा में. लेकिन टिकट कहीं से नहीं मिला. चर्चा है कि भाजपा के आंतरिक सर्वे में बीरेंद्र गोप का नाम सबसे ऊपर आया. गोप राजद में थे. भाजपा ने उन्हें अपने पाले में शामिल कर लिया. जदयू के चंद्रसेन प्रसाद भी कार्यकर्ता रहे हैं. कहा जा सकता है कि यहां दो नेता बनने के लिए दो कार्यकर्ताओं के बीच लड़ाई है
नेता के खिलाफ पूर्व थानेदार
इस सुरिक्षत सीट पर भाजपा के सत्यदेव नारायण आर्य आठ बार चुनाव जीत चुके हैं. इस बार जदयू ने इंस्पेक्टर रह चुके रवि ज्योति को प्रत्याशी बनाया है. यहां भाजपा जहां अपना गढ़ बचाने की लड़ाई लड़ रही है, वहीं जद यू के सामने सीट हासिल करने की चुनौती है. मनोज गोयनका पूछे जाने पर कहते हैं, हमें विकास करने वाला प्रतिनिधि चाहिए. विकास को आगे बढ़ने की जरूरत है.
विरोध के बीच तीसरा कोण
यह वही सीट है, जिस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 1985 में जीत कर संसदीय राजनीति में एंट्री मारी थी. पिछले चुनाव में यहां से जीते हरिनारायण सिंह फिर मैदान में हैं. हालांकि उम्मीदवारी के एलान होने के साथ ही उनका विरोध भी शुरू हो गया था. उन्हें टक्कर देने के लिए लोजपा ने अरु ण कुमार को उतारा है. महापंचायत की ओर से अमित आनंद खड़े हैं.
इस बार कांटे का मुकाबला
नालंदा सीट पर मंत्री श्रवण कुमार जदयू की ओर से हैं तो भाजपा ने कौशलेंद्र कुमार को उतारा है. यहां कांटे का मुकाबला माना जा रहा है. अब तक 14 उम्मीदवारों ने परचा दाखिल किया है, पर वोट की बात होती है, तो लोग सीधे दो उम्मीदवारों के बीच मुकाबले की बात करते हैं. हालांकि पुराने जदयू कार्यकर्ता दिलीप चौधरी को नकार पाना सबके लिए आसान भी नहीं हो रहा है.

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