संवाददाता : हरनौत स्थानीय आरपीएस कॉलेज में यूजीसी द्वारा मानवाधिकार के अंतर्गत नीतिशास्त्र एवं मानवीय मूल्यों के उन्नयन विषय पर आयोजित एक दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार में पूर्व राज्यपाल प्रो.
सिद्धेश्वर प्रसाद सिंह ने कहा कि मानवाधिकार अन्य देशों के अपेक्षा हिंदुस्तान में ज्यादा शक्तिशारी और प्रभावी है. पूर्व राज्यपाल ने कहा कि मानवाधिकार को शत-प्रतिशत लागू करने के लिए हर किसी को अपने अधिकार और शक्ति को पहचानना होगा, और यह तभी हो सकता है
जब प्रबुद्ध लोग सामाजिक, पारिवारिक एवं सरकारी अधिकारों के प्रति सजग रहने को ठान लेंगे. भारत पूर्व से ही कृषि और कृषकों का देश रहा है. माता-पिता, गुरू और अतिथि को देवता के समान माने जाने वाले देश के हम निवासी होने के नाते अपनी पहचान पूरे विश्व में बना चुके हैं.
लेकिन कुछ कारणों से हम मानवाधिकार को सही से पालन करने में पीछे छूट जा रहे हैं. आज जरूरत है शिक्षा के साथ-साथ नैतिकता का पाठ पढ़ाने की. संविधान के अनुसार सबों को समान अधिकार दिया गया है.
अपनी जिम्मेवारी अगर स्वयं निभाना शुरू करेंगे तो समाज में नैतिकता का वातावरण उत्पन्न हो जायेगा और फिर खुद ब खुद मानवाधिकार का पालन शुरू हो जायेगा. महिलाओं को शिक्षा और विकास में समान भागीदारी निभाने का अवसर मिलेगा तो निश्चित रूप से परिवार में बौद्धक विकास होगा.
नागालैंड के पूर्व वीसी चंद्रिका प्रसाद ने कहा कि मानवाधिकारी हर किसी को सोचने समझने की शक्ति और दमनकारी नीतियों के खिलाफ करने की शक्ति देता है. सभी मानव को अपने अधिकार के प्रति सजग करने की सख्त आवश्यकता है.
नालंदा के पूर्व प्राचार्य डॉ. रामवरण सिंह ने कहा कि मानवाधिकार के प्रति हर किसी को अपनी-अपनी मंशा साफ करनी चाहिए. सेमिनार की अध्यक्षता कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. उपेंद्र कुमार सिन्हा एवं संचालन डॉ. सत्येंद्र प्रसाद सिंह ने किया.
सेमिनार में वित्तरहित संघर्ष मोरचा के अध्यक्ष रामविनेशर सिंह कार्यकारी अध्यक्ष अध्यक्ष राय श्रीपाल सिंह, इंटर संघ के अध्यक्ष जयनारायण सिंह मधु, डॉ. विश्वनाथ सिंह, प्रो. चन्द्रिका प्रसाद समेत दर्जनों वक्ता व सैकड़ों प्रबुद्ध लोग उपस्थित थे.