नालंदा खंडहर को विश्व विरासत में शामिल होने में करें सहयोग : प्रो. मसूई
बिहारशरीफ/सिलाव/राजगीर : राजगीर स्थित अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में गुरुवार को इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ मॉनयूमेंट एंड साइट्स के एक्सपर्ट प्रो मसाया मसूई ने स्टेक होल्डर्स की बैठक की. इस बैठक में प्रो मसूई ने फुटपाथी दुकानदारों,टमटम चालकों, नालंदा खंडहर के गाइड, किसानों, महिलाओं से नालंदा खंडहर के विश्व विरासत में शामिल होने पर उससे होने वाले फायदों एवं इस संबंध में उनकी धारणाओं की जानकारी प्राप्त की.
लोगों ने एक स्वर से प्रो. मसूई को बताया कि विश्व विरासत की सूची में नालंदा खंडहर के शामिल होने से इस क्षेत्र का सर्वागीण विकास होगा. पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी, जिससे व्यापार एवं आय में वृद्धि होगी.
रोजगार के नये अवसर मिलेंगे. नालंदा खंडहर के विश्व विरासत की सूची में शामिल होना इस क्षेत्र के लिए गौरव की बात होगी. इसके लिए हम सभी बढ़-चढ़ कर सहयोग करेंगे. फुटपाथ विक्रेता संघ के प्रतिनिधि ने जिलाधिकारी से आग्रह किया कि दुकानों के निर्माण के लिए वैसी जगह का चयन किया जाये जहां पर्यटकों का आना-जाना हो. इससे दुकानदारों को फायदा होगा. लोगों ने कहा कि वे बफर जोन से संबंधित सभी नियमों का पालन करेंगे. वरिष्ठ टूरिस्ट गाइड कमला सिंह ने कहा कि नालंदा खंडहर भारत एवं विश्व के बीच ज्ञानरूपी सेतु है. इसकी प्रसिद्धि से पर्यटन क्षेत्र को बहुत फायदा होगा.
प्रो. मसूई ने गाइड से खंडहर भ्रमण के लिए विभिन्न देशों से आने वाले पर्यटकों एवं उन्हें दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी प्राप्त की. प्रो. मसुई ने महिलाओं से पूछा की नालंदा खंडहर के विश्व विरासत की सूची में शामिल होने के बाद इसके संरक्षण एवं विकास में महिलाओं का क्या योगदान होगा? स्थानीय मुखिया टुन्नी कुमारी ने कहा कि सभी लोग पूरे सहयोग एवं सहभागिता से सारी समस्याओं का समाधान निकालेंगे एवं इसे और प्रसिद्धि दिलायेंगे. देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों को किसी प्रकार की असुविधा नहीं होने देंगे.
नई पीढ़ी को इसके महत्व की होगी जानकारी : नव नालंदा महाविहार के कुलपति प्रो. रविंद्र पंत ने कहा कि नालंदा खंडहर विश्व विरासत की सूची में सबसे योग्य है. इससे आने वाली नई पीढ़ी को इसके महत्व के बारे में जानकारी मिलेगी.
केपी जायसवाल इंस्टीच्यूट के डॉ. विजय कुमार चौधरी ने भी इस स्थान के महत्व पर प्रकाश डाला.
प्राचीन परंपरा फिर से होगी पुनर्जीवित : नालंदा विश्वविद्यालय वाइस चांसलर डॉ. गोपा सबरवाल तथा दो अन्य प्राध्यापकों ने नालंदा विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक महत्व को बताया. उन्होंने कहा कि प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की परंपरा को पुनर्जीवित करते हुए अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालय में धर्म एवं बौद्ध दर्शन को पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है. उन्होंने इतिहास एवं संस्कृत के अध्ययन के लिए किये जा रहे प्रयासों की जानकारी दी.
बफर जोन की प्राप्त की जानकारी : प्रो. मसूई ने नालंदा खंडहर के आसपास के इलाकों में यातायात व्यवस्था एवं टेंपो पड़ाव तथा बस स्टैंड की सुविधा के बारे में डीएम से जानकारी प्राप्त की.
डीएम ने उन्हें बताया कि बस स्टैंड के लिए छह एकड़ जमीन चिन्हित कर लिया गया है. उचित जगह पर टेंपो स्टैंड की भी व्यवस्था की जायेगी. प्रो. मसूई ने कहा कि इस ऐतिहासिक स्थान के विकास की अपार संभावनाएं हैं, पर इसके लिए सभी लोगों को सहयोग आवश्यक है. उन्होंने कहा कि ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण एवं संवर्धन में सभी लोगों को अपना उत्तरदायित्व निभाना चाहिए. अपने भ्रमण से प्रो. मसूई काफी संतुष्ट दिखे.
खंडहर व बफर जोन का किया निरीक्षण : प्रो. मसाया मसूई ने गुरुवार को भी नालंदा खंडहर के तीन सौ मीटर की परिधि के अंतर्गत आने वाले बफर जोन के मास्टर प्लान के अनुरूप कार्रवाई किये जाने की भी जानकारी प्राप्त की. उनके साथ पुरातत्व विभाग के निदेशक संरक्षण जानवीच शर्मा, आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के एडिशनल डायरेक्टर बी.आर. मणी, अतुल वर्मा, सुधीर कुमार, डीएम त्याग राजन व अन्य अधिकारी मौजूद थे.