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स्मार्ट सिटी के बाद स्वच्छता में भी पिछड़ा शहर

मुजफ्फरपुर : स्वच्छता की रैंकिंग में अपना शहर काफी पीछे रह गया. देश के 434 शहरों में अपने शहर को 304 वां स्थान मिला. हाल यह है कि हम इस मामले में बेतिया से भी पीछे रह गये, जिसे 270 वां स्थान मिला है. यह बीते नौ महीने में शहर के दूसरा सबसे बड़ा झटका […]

मुजफ्फरपुर : स्वच्छता की रैंकिंग में अपना शहर काफी पीछे रह गया. देश के 434 शहरों में अपने शहर को 304 वां स्थान मिला. हाल यह है कि हम इस मामले में बेतिया से भी पीछे रह गये, जिसे 270 वां स्थान मिला है. यह बीते नौ महीने में शहर के दूसरा सबसे बड़ा झटका है. बीते साल 20 सितंबर को केंद्र सरकार ने स्मार्ट सिटी के लिए 27 शहरों की तीसरी सूची जारी की थी.

उसमें भी अपना शहर जगह नहीं पा सका था.

जिस शहर में सफाई का कुल बजट 25 करोड़ का हो. करीब एक हजार सफाई कर्मी काम कर रहे हों. कूड़ा उठाने के लिए ट्रैक्टर, टिपर सहित कुल 85 वाहन व 98 ठेला लगे हों. उस शहर का स्वच्छता की रैंकिंग में पिछड़ना हैरान करने वाली बात है. इसके लिए सिर्फ निगम प्रशासन ही जिम्मेदार नहीं है. कहीं-न-कहीं लोगों की भी जिम्मेदारी है. स्वच्छता रैंकिंग के लिए हुई प्रतियोगिता में 900 अंक शिकायत पर व 500 अंक लोगों की फीडबैक के आधार पर मिलना था.
सिर्फ 500 अंक केंद्रीय टीम की निरीक्षण रिपोर्ट पर मिलना तय था. प्रतियोगिता की अवधि में शहर के लोगों को साफ-सफाई से संबंधित कोई भी तसवीर खींच कर स्वच्छता एप पर भेजनी थी. विभाग उसे शिकायत को नगर निगम प्रबंधन को भेजती. शिकायत मिलने के 24 घंटों के भीतर निगम प्रशासन को उसका निपटारा कर, उसकी तसवीर फिर से उसी एप पर अपलोड करना था. जितने अधिक लोग शिकायत करते, शहर को उतना ही अधिक अंक मिलता. लेकिन, उम्मीद के हिसाब से लोगों ने इसमें रुचि नहीं दिखायी.
आॅटो ट्रिपर से स्वच्छता संदेश ने जगायी आस : स्मार्ट सिटी की दौर में शहर को लाने के लिए निगम प्रशासन की ओर से कई प्रयास भी हुए. इसमें स्वच्छता पर भी जोर दिया गया. एक नई पहल करते हुए निगम प्रशासन ने कूड़ा उठाने में प्रयुक्त होने वाले ऑटो ट्रिपर में स्वच्छता का संदेश देने वाले ऑडियो भी बजाये गये. जिस गली-मोहल्ले से ऑटो ट्रिपर गुजरता वह संदेश सुनायी पड़ते. इससे एक उम्मीद जगी. लगा शायद इस पहल से कुछ बदलाव होगा. लेकिन, प्राय: शहर के हर इलाके में सड़क किनारे पसरे कूड़े का ढेर देख वह उम्मीदें टूटती महसूस होती है. स्वच्छता रैंकिंग में जिले को मिला स्थान भी कुछ ऐसा ही एहसास दिलाती है.
पीएम के नवरत्नों में ‘अपना’ भी एक चेहरा :पीएम बनने के बाद नरेंद्र मोदी ने सबसे ज्यादा जोर स्वच्छता पर ही दिया. इसके लिए उन्होंने नवरत्नों की एक टीम बनायी. इसमें अपने जिला का भी एक चेहरा शामिल है. वो कोई और नहीं, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा हैं. अपनी जिम्मेदारियों के कारण वह खुद तो शहर की साफ-सफाई पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पायीं. लेकिन, उन्होंने अपनी जिम्मेदारी अपने नवरत्नों के कंधों पर डाल दी. उन नवरत्नों ने समय-समय पर कुछ अभियान भी चलाये. पर, जो सफलता मिलनी चाहिए थी, वह नहीं मिली. शुरुआत में सांसद अजय निषाद, नगर विधायक सुरेश शर्मा सहित भाजपा के अन्य नेताओं ने भी कुछ जगहों पर स्वच्छता अभियान चलाया. पर, यह सांकेतिक बन कर रह गया. कुछ संगठन भी इस दिशा में आगे आये, पर कब वे सक्रिय हुए व कब निष्क्रिय हुए पता ही नहीं चला.
लोग खुद बनें जागरूक
नगर निगम को दुरुस्त करना पड़ेगा. सरकार के पास संसाधन सीमित है, सफाई के लिए लोगों को भी खुद से जागरूक होने की जरूरत है. अपने-अपने घर के सामने ही सफाई रखे तो स्वच्छता अभियान की जरूरत नहीं होगी. कचरा प्रबंधन के लिए अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए.
अजय निषाद, सांसद
सुधार की और जरूरत
शहर में पहले की अपेक्षा सफाई में सुधार हुआ है, लेकिन इसमें और सुधार की जरूरत है. शहर में गीले व सूखे कचरे के अलग-अलग उठाव की शुरुआत हो चुकी है. पहले जो रैकिंग हुई थी उसमें सुधार हुआ है. प्रयास किया गया था, अब नये बोर्ड के सदस्य इसे दुरुस्त करेंगे.
वर्षा सिंह, मेयर

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