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संभव है मेरे हस्तक्षेप से टेंपररी परेशानी हो, पर मकसद तह तक जाना है

हेरिटेज वाक आज से 100 साल पहले मुजफ्फरपुर प्रवास के तीसरे दिन गांधी जी कमिश्नर मार्शहेड से मिलने गये. वह चंपारण जाने की इजाजत चाहते थे. पर प्लांटर्स एसो़ के सचिव व डीएम की तरह कमिश्नर ने भी गांधी जी के वहां जाने का िवरोध िकया. गुरुवार को मुजफ्फरपुर में कमिश्नर ऑफिस में जब इसका […]

हेरिटेज वाक

आज से 100 साल पहले मुजफ्फरपुर प्रवास के तीसरे दिन गांधी जी कमिश्नर मार्शहेड से मिलने गये. वह चंपारण जाने की इजाजत चाहते थे. पर प्लांटर्स एसो़ के सचिव व डीएम की तरह कमिश्नर ने भी गांधी जी के वहां जाने का िवरोध िकया. गुरुवार को मुजफ्फरपुर में कमिश्नर ऑफिस में जब इसका मंचन हुआ, तो इतिहास जीवंत हो उठा.
मुजफ्फरपुर : जैसा कि 12 अप्रैल (वर्ष 1917) की देर शाम ही कमिश्नर, डीएम और प्लांटर्स ऐसोसिएशन के सचिव के बीच हुई वार्ता में साफ हो चुका था कि अंगरेजी हुकूमत गांधी को चंपारण जाने से रोकने की पूरी कोशिश करेगी. गुरुवार को वहीं हुआ. गांधी तय कार्यक्रम के अनुसार सुबह 10:30 बजे कमिश्नर एलएफ मॉर्सहेड से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे. गांधी ने उन्हें मिलने का कारण बताया. कहा, यहां के लोगों
संभव है मेरे हस्तक्षेप से…
ने मुझसे नील की खेती की स्थिति के बारे में जांच करने के लिए बार-बार अनुरोध किया है. मुझे ऐसा लगा कि लोगों के आग्रह को देखते हुए मुझे जांच करनी चाहिए. मेरा मकसद किसी भी तरह से असंतोष को बढ़ावा देना नहीं है. मैं केवल वस्तुस्थिति की जांच करना चाहता हूं. अगर कोई शिकायत मुझे ऐसी लगेगी, जिस ओर अब तक प्रशासन का ध्यान नहीं गया है, उसे आपके सामने लाना है.
मॉर्सहेड ने पूछा, इसका इंसिस्टेंट पब्लिक डिमांड है
मॉर्सहेड इससे सहमत नहीं हुए. उन्होंने रैयतों को बेहद चालाक बताया. कहा, वे अपनी समस्याओं को सामने लाने में काफी आगे हैं. यहां पूरी प्रशासनिक व्यवस्था, जिसमें सेटलमेंट ऑफिसर, बेतिया राज का मैनेजर, कलेक्टर, सब डिविजनल ऑफिसर सभी शामिल हैं. इन सबका काम शिकायतों के कारणों का पता लगाना और उन सबका निदान ढूंढ़ना है. हमलोग इस पहलू पर गौर कर रहे हैं, किसी बाहरी के हस्तक्षेप से कहीं रैयत परेशान न हो जाएं. इस पर गांधी बोले,
मैंने पहले भी कहा है कि मैं केवल इस समस्या का सत्य जानना चाहता हूं, जिसके बारे में मैंने काफी सुन रखा है. मैं स्थानीय प्रशासन की सहायता चाहता हूं और जो सत्य मैं जान पाऊंगा, उसे आपके सामने प्रस्तुत करूंगा. इस पर मॉर्सहेड ने उनसे पूछा, आप जो कह रहे हैं, उसके लिए इंसिस्टेंट पब्लिक डिमांड है? गांधी बोले, निजी पत्र तो नहीं, लेकिन स्थानीय लोगों का एक स्मारपत्र सौंप सकता हूं, जिसमें मुझे इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए बार-बार अनुरोध किया गया है.
वेस्टन बोले, हम प्रॉब्लम सॉल्व करने के मिडिल में हैं
गांधी के स्थानीय लोगों का स्मारपत्र देने की बात कहने पर मॉर्सहेड बोले, लोकल लोगों के रिप्रेजेंटेशन देने का मतलब इस मामले में इंटरफेयर करने का आपको राइट नहीं मिल गया है. आप ऐसा करें, हमलोग इस पर गवर्नमेंट से ऑर्डर लेंगे. इसी बीच डीएम डी वेस्टन बोले, मिस्टर गांधी, आपके इंटरवेंशन से रैयतों को क्या एडवांटेज होगा. हमलोग प्रॉब्लम को सॉल्व करने के मिडिल में पहुंच चुके हैं. मेरी राय है कि एप्रोप्रिएट यह होगा कि जो एक्शन हमने लिया है, उसका परिणाम सामने आ जाने दें और फिर जरूरत हो तो एडिक्वेट एक्शन लें. अभी आपका इंटरवेंशन प्लांटर्स, रैयत और ऑफिसियल्स के बीच कोई ऐसा फ्रिक्शन न पैदा कर दे, जिससे प्रॉब्लम और बढ़ जाये.
मेरा उद्देश्य ‘पीस विथ ऑनर’ कराना है
अधिकारियों की बात सुनने के बाद गांधी कुछ देर के लिए मौन होते हैं. फिर कहते हैं, हो सकता है कि मेरे हस्तक्षेप से टेंपररी कुछ परेशानियां पैदा हो, लेकिन मेरा मकसद मामले की तह तक पहुंचना है. मेरा उद्देश्य पीस विथ ऑनर (सम्मानपूर्ण समझौता) कराना है. मैं स्थानीय प्रतिनिधियों का पत्र आपको भेज रहा हूं. इतना कह कर वे बाहर निकल जाते हैं.
ऑफिसर्स को भय, दक्षिण अफ्रीका की तरह यहां भी
सरकार के समक्ष चुनौती खड़ी कर सकते हैं गांधी
वेस्टन-विल्सन नहीं चाहते हैं गांधी जाएं चंपारण
मुजफ्फरपुर : प्लांटर्स एसोसिएशन के सचिव जेम्स विल्सन ने जब सहायता से इनकार कर दिया, तो गांधी तिरहुत प्रमंडल के कमिश्नर एलएफ मॉर्सहेड से मिलने का फैसला लेते हैं. गुरुवार की सुबह करीब 10 बजे गया बाबू, रामनवमी बाबू, सूरजमल प्रसाद सहित अन्य वकील कमिश्नर के कार्यालय पहुंचते हैं. गया बाबू मॉर्सहेड को गांधी का पत्र देते हैं. कमिश्नर के कहने पर वह पत्र पूरा पढ़ कर सुनाते हैं. मॉर्सहेड गांधी से मिलने को तैयार हो जाते हैं और गया बाबू व अन्य वकीलों को अगले दिन सुबह 10 बजे आने को कहते हैं. गांधी को कमिश्नर से मिलने का समय तो मिल जाता है, लेकिन अंगरेजी हुकूमत उनके चंपारण जाने के फैसले से भयभीत है. उन्हें डर है कि कहीं यह उनकी हुकूमत के लिए परेशानी
वह गुमनाम परचा, िजसने ब्रिटिश शासन की नींद उड़ा दी :
वेस्टन-विल्सन नहीं चाहते हैं…
का सबब न बन जाये. उनकी यह चिंता कमिश्नर मॉर्सहेड, डीएम डी वेस्टन व प्लांटर्स ऐसोसिएशन के सचिव जेम्स विल्सन के बीच मुलाकात के दौरान खुल कर सामने आती है. मॉर्सहेड से विल्सन कहते हैं, ‘आज सुबह मुझसे मिलने मिस्टर गांधी आये थे. वही मिस्टर गांधी, जो साउथ अफ्रीका में ट्रबल्स पैदा करने के लिए जाने जाते हैं.
वह इंडिगो मैटर्स की इनक्वायरी के लिए चंपारण जाना चाहता है. मैंने उससे कहा कि यह सब प्रेजेंट वार टाइम में अनड्रिजायरेबुल है. मुझे पता लगा है कि वह आप से भी मिलनेवाला है. इसलिए मैं सब इन्फॉर्मेशन आपको दे रहा हूं.’ मीटिंग में डीएम डी वेस्टन भी खुल कर गांधी के चंपारण जाने के फैसले का विरोध करते हैं. कहते हैं, ‘‘चंपारण के इंडिगो मैटर्स पर गवर्नमेंट तो इनक्वायरी कर रही है. गांधी का यहां आना और चंपारण जाना अननेसेसरी है. इन दैट सिचुवेशन हाउ विल वी को-ऑपरेट हिम.’’

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