कमिश्नर मोर्शहेड से िमले बापू, बोले
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मैं समस्या की तह तक जाना चाहता हूं
कमिश्नर मोर्शहेड से िमले बापू, बोले मुजफ्फरपुर : 12 अप्रैल (1917) की देर शाम ही कमिश्नर, डीएम व प्लांटर्स ऐसोसिएशन के सचिव के बीच हुई वार्ता में साफ हो चुका था कि अंग्रेजी हुकूमत गांधी को चंपारण जाने से रोकने की पूरी कोशिश करेगी. गुरुवार को वहीं हुआ. गांधी तय कार्यक्रम के अनुसार सुबह साढ़े […]
मुजफ्फरपुर : 12 अप्रैल (1917) की देर शाम ही कमिश्नर, डीएम व प्लांटर्स ऐसोसिएशन के सचिव के बीच हुई वार्ता में साफ हो चुका था कि अंग्रेजी हुकूमत गांधी को चंपारण जाने से रोकने की पूरी कोशिश करेगी. गुरुवार को वहीं हुआ. गांधी तय कार्यक्रम के अनुसार सुबह साढ़े दस बजे आयुक्त एलएफ मोर्शहेड से मिलने उनके कार्यालय पहुंचे. गांधी ने उन्हें मिलने का कारण बताया. कहा, यहां के लोगों ने मुझसे नील की खेती की स्थिति के बारे में जांच करने के लिए बार-बार अनुरोध किया है. मुझे ऐसा लगा कि लोगों के आग्रह को देखते हुए मुझे जांच करनी चाहिए. मेरा मकसद किसी भी तरह से असंतोष को बढ़ावा देना नहीं है. मैं केवल वस्तुस्थिति
मैं समस्या की
को देखना चाहता हूं. अगर कोई शिकायत मुझे ऐसी लगेगी, जिस ओर अब तक प्रशासन का ध्यान नहीं गया है, उसे आपके सामने लाना है.
मॉर्सहेड ने पूछा, इसका इंसिस्टेंट पब्लिक डिमांड है
मॉर्सहेड इससे सहमत नहीं हुए. उन्होंने रैयतों को बेहद चालाक बताया. कहा, वे अपनी समस्याओं को सामने लाने में आगे हैं. यहां पूरी प्रशासनिक व्यवस्था, जिसमें सेटलमेंट ऑफिसर, बेतिया राज के मैनेजर, कलक्टर, सब डिविजनल ऑफिसर सभी शामिल हैं. इन सबका काम शिकायतों के कारणों का पता लगाना और उन सबका निदान ढूंढ़ना है. हमलोग इस पहलू पर गौर कर रहे हैं, किसी बाहरी के हस्तक्षेप से कहीं रैयत परेशान न हो जाएं.
इस पर गांधी बोले, मैंने पहले भी कहा है कि मैं केवल इस समस्या का सत्य जानना चाहता हूं. जिसके बारे में मैंने काफी सुन रखा है. मैं स्थानीय प्रशासन की सहायता चाहता हूं और जो सत्य मैं जान पाऊंगा, उसे आपके सामने प्रस्तुत करूंगा. इस पर मॉर्सहेड ने उनसे पूछा, आप जो कह रहे हैं, उसके लिए इंसिस्टेंट पब्लिक डिमांड है. गांधी बोले, निजी पत्र तो नहीं, लेकिन स्थानीय लोगों का एक स्मार-पत्र सौंप सकता हूं, जिसमें मुझे इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए बार-बार अनुरोध किया गया है.
वेस्टन बोले, हम प्रॉब्लम सॉल्भ करने के मिडिल में हैं
गांधी के स्थानीय लोगों का स्मार पत्र देने की बात कहने पर मॉर्सहेड बोले, लोकल लोगों के रिप्रेजेंटेशन देने का मतलब इस मामले में इंटरफेयर करने का आपको राइट नहीं मिल गया है. आप ऐसा करें, हमलोग इस पर गवर्नमेंट से ऑर्डर लेंगे. इसी बीच डीएम डी वेस्टन बोले, मिस्टर गांधी, आपके इंटरवेंशन से रैयतों को क्या एडवांटेज होगा. हमलोग प्रॉब्लम को सॉल्भ करने के मिडिल में पहुंच चुके हैं. मेरी राय है कि एप्रोप्रिएट यह होगा कि जो एक्शन हमने लिया है, उसका परिणाम सामने आ जाने दें और फिर जरूरत हो तो हस्तक्षेप लें. अभी आपका इंटरवेंशन प्लांटर्स, रैयत और ऑफिसियल्स के बीच कोई ऐसा फ्रिक्शन न पैदा कर दे, जिससे प्रॉब्लम और बढ़ जाये.
मेरा उद्देश्य ‘पीस विथ ऑनर’ है
अधिकारियों की बात सुनने के बाद गांधी कुछ देर के लिए मौन होते हैं. फिर कहते हैं, हो सकता है कि मेरे हस्तक्षेप से टेपररी कुछ परेशानियां पैदा हो, लेकिन मेरा मकसद मामले के तह तक पहुंचना है. मेरा उद्देश्य पीस विथ ऑनर (सम्मानपूर्ण समझौता) कराना है. मैं स्थानीय प्रतिनिधियों का पत्र आपको भेज रहा हूं. इतना कह कर वे बाहर निकल जाते हैं.
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