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52 हजार के लिए सात घंटे रोके रखा शव

कैसी व्यवस्था. ब्रह्मपुरा इलाके के नामी अस्पताल की घटना मुजफ्फरपुर : गरीबी और बेबसी का शिकार आमगोला की रहनेवाली रीता देवी शनिवार की सुबह समझ नहीं पा रही थीं कि क्या करें? एक तरफ पति रमेश रजक (45) का शव था, जिनकी मौत चंद घंटे पहले ही लीवर में संक्रमण की वजह से हो गयी […]

कैसी व्यवस्था. ब्रह्मपुरा इलाके के नामी अस्पताल की घटना

मुजफ्फरपुर : गरीबी और बेबसी का शिकार आमगोला की रहनेवाली रीता देवी शनिवार की सुबह समझ नहीं पा रही थीं कि क्या करें? एक तरफ पति रमेश रजक (45) का शव था, जिनकी मौत चंद घंटे पहले ही लीवर में संक्रमण की वजह से हो गयी थी, लेकिन रीता देवी के पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अस्पताल का बिल चुका कर पति का शव अंतिम संस्कार के लिए ले जायें. वहीं, अस्पताल प्रबंधन का कहना था कि बिल के 52 हजार रुपये
52 हजार के…
जमा होने पर ही शव को ले जाने देंगे.
रीता देवी में 31 मार्च को इस आशा के साथ अपने पति को ब्रह्मपुरा स्थिति नामी अस्पताल में भरती कराया था कि वह ठीक हो जायेंगे. भरती कराने के समय उन्होंने घर की जमा पूंजी 17 हजार रुपये अस्पताल में जमा करा दिये थे. इसके बाद इलाज चल रहा था, लेकिन रमेश की हालत सुधरने के बजाय बिगड़ती गयी और शनिवार की सुबह पांच बजे उन्होंने अंतिम सांस ली. इसके साथ रीता पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. तीन बेटियों के साथ अस्पताल में रह रहीं रीता ने पति का शव देने की गुहार लगायी, लेकिन अस्पताल की ओर से कहा गया कि बिल के पैसे चुकाने पर ही शव ले जाने देंगे. इसके बाद बेबस रीता अपनी बच्चियों के साथ आमगोला पहुंची.
रीता ने अपने घर के आसपास के लोगों से मदद की गुहार लगायी. बात वार्ड पार्षद आनंद महतो व भाजपा नेता राज कुमार तक पहुंची. उन लोगों ने मानवता दिखायी और आपस में चंदा जुटाना शुरू किया. कुछ ही देर में 25 हजार रुपये जमा हो गये. इसके बाद मोहल्ले के लोगों के साथ रीता देवी अस्पताल पहुंची. 25 हजार रुपये जमा कराये गये, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने कहा कि बाकी के पैसे भी जमा कराने होंगे. इस पर मोहल्ले के लोगों ने कहा कि अब हम और पैसों का इंतजाम नहीं कर सकते. इस पर अस्पताल प्रबंधन की ओर से कहा गया कि कम से कम दस हजार तो देने ही होंगे. इस बीच लोग रमेश की गरीबी का हवाला दे रहे थे, लेकिन अस्पताल प्रबंधन उनकी सुनने को तैयार नहीं दिख रहा था.
दस यूनिट खून ले लो, दस हजार छोड़ दो
अस्पताल प्रबंधन की दस हजार देने की बात सुन कर वार्ड पार्षद आनंद महतो ने कहा कि हम रुपयों का इंतजाम नहीं कर पायेंगे. मेरे साथ दस लोग आये हैं. ऐसा करिये कि आप दस यूनिट खून ले लीजिये और दस हजार रुपये छोड़ दीजिये. हमें रमेश का शव ले जाने दीजिये. इस बीच घटना की जानकारी फैली, तो और लोगों के साथ मीडिया के लोग भी मौके पर पहुंच गये. दबाव बढ़ता देख अस्पताल प्रबंधन ने शव ले जाने की इजाजत दे दी.
मोहल्ले के लोगों के दबाव के आगे झुका अस्पताल प्रबंधन
31 मार्च को भरती हुआ था आमगोला का रहनेवाला रमेश
लीवर में संक्रमण के चलते शनिवार को हो गयी मौत
भरती के समय जमा कराये
थे 17 हजार रुपये
अस्पताल प्रबंधन मांग रहा था 52 हजार और
चंदा कर मोहल्ले के लोगों ने
जमा किये 25 हजार
रीता के सामने परिवार चलाने का संकट. पति रमेश की मौत से रीता देवी के सामने परिवार चलाने का संकट खड़ा हो गया है. उसकी तीन छोटी बेटियां हैं. उनका भरण-पोषण कैसे होगा? यह सवाल रीता के सामने सबसे बड़ा है, क्योंकि उसकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. पति का अंतिम संस्कार वह कबीर अंतेष्ठि योजना के तहत वार्ड पार्षद से मिले तीन हजार रुपयों से कर सकी.

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