इंसाफ के इंतजार में घर के बाहर रह रहे पीड़ित
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मुशहरी में एड्स पीिड़त बहू और बेटे को घर से निकाला
इंसाफ के इंतजार में घर के बाहर रह रहे पीड़ित मुशहरी : खून में बीमारी क्या घुली कि खून का रिश्ते ने भी साथ छोड़ दिया. अपने भी बेगाने हो गये. जिन्होंने डगमगाते कदमों को चलने की शक्ति दी, नन्हें हाथों को थाम चलना सिखाया, उन्हीं लोगों अपने बेबस व बीमार पुत्र को घर से […]
मुशहरी : खून में बीमारी क्या घुली कि खून का रिश्ते ने भी साथ छोड़ दिया. अपने भी बेगाने हो गये. जिन्होंने डगमगाते कदमों को चलने की शक्ति दी, नन्हें हाथों को थाम चलना सिखाया, उन्हीं लोगों अपने बेबस व बीमार पुत्र को घर से बेघर कर दिया. बहू पर अत्याचार को तो अंत ही नहीं. यह दर्दनाक दास्तान मुशहरी थाना क्षेत्र के तरौरा गोपालपुर गांव के व्यक्ति मोहम्मद कलीम (काल्पनिक नाम) की है.
एड्स से जूझ रहे कलीम व उसकी पत्नी व बच्चों को घर से बाहर निकाल दिया गया.
कलीम के पिता ने पहले उसके साथ मारपीट की, फिर उसने बेटे व बहू को तीनों बच्चों सहित उसे कमरे से बाहर निकाल दिया व ताला जड़ दिया. बीमार पुत्र के परिवार की हालत देख पिता का दिल नहीं पसीजा. कलीम हाथ जोड़ कर विनती करता रहा, लेकिन पिता का प्रेम पत्थर हो चुका था. उनकी बस एक ही रट थी कि तुम लोगों को साथ रखने पर हमलोग भी एड्स के शिकार हो जायेंगे.
घर से निकाले जाने के बाद पीड़ित पति- पत्नी ने रविवार को मुशहरी थाना में आवेदन देकर एड्स पीड़ित होने के कारण घर वालों से होने वाली प्रताड़ना से निजात दिलाने का आग्रह किया है. थानाध्यक्ष सत्येंद्र मांझी ने बताया कि सहायक अवर निरीक्षक सुधीर साह को मामले में जांच के लिए भेजा गया है.
हमलोगों के साथ हमेशा करते थे मारपीट
पीड़ित ने बताया कि वह नौ भाई और दो बहन है. उसका विवाह आठ वर्ष पूर्व माड़ीपुर में हुआ था. उसे और उसकी पत्नी को विगत आठ वर्ष से एड्स है, जिसका इलाज एसकेएमसीएच से चल रहा है. विगत कुछ दिनों से उसके पिता, मां, भाई व बहन सब मिल कर उसे व उसकी पत्नी के साथ मारपीट कर प्रताड़ित करते थे. वे लोग कहते थे कि तुम लोग एड्स के मरीज हो. हम तुम्हारे साथ नहीं रह सकते. उसकी तीन बेटियां हैं. एक सप्ताह पूर्व उसके पिता ने पत्नी को मारपीट कर घर से बाहर निकाल दिया. तब वह अपने मायके में बच्चों के साथ रहने लगी. मैं बाहर से काम कर लौटा,
मुशहरी में एड्स
मुझे इस बात की जानकारी हुई. मैंने पिता से पूछा तो वे मारपीट कर मुझे भी घर से निकाल दिये व घर में ताला जड़ दिया.
इस मामले को लेकर सरपंच आफताब अहमद के यहां न्याय की गुहार लगायी. जब सरपंच ने विवाद को सामाजिक स्तर पर निबटारा करना चाहा. तब पिता ने पंचायत में आने से इनकार कर दिया.
थानाध्यक्ष का निर्देश नहीं माने घरवाले
सहायक अवर निरीक्षक सुधीर साह ने बताया कि थानाध्यक्ष के निर्देश पर जब वे पीड़ित के घर गये, तो उसके पिता नहीं थे. लेकिन उसकी मां को उसे घर में साथ रखने का आदेश दिया गया है. हालांकि, पुलिस के कहने के बावजूद पिता के रवैये में कोई बदलाव नहीं हुआ. उसने घर का ताला नहीं खोला. रविवार की देर शाम पीड़ित ने थाने में जाकर फिर शिकायत की. थानाध्यक्ष सत्येंद्र मांझी ने कहा कि अगर पीड़ित को उसके परिवार वाले घर में साथ नहीं रखेंगे, तो नियमानुसार कार्रवाई की जायेगी.
पीड़ित के पिता ने घर में लगा दिया ताला, सरपंच के समझाने पर भी नहीं माने
पीड़ित ने थाने में लगायी गुहार
थानाध्यक्ष ने घरवालों को साथ रखने का दिया निर्देश
रात तक घरवालों ने नहीं खोला ताला
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