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ऊर्दू साहित्य में भरी पड़ी सद्भाव की भावना

रामेश्वर कॉलेज में संगोष्ठी मुजफ्फरपुर : आज देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व ही तनाव में है. भाई-चारगी की कमी इसका प्रमुख कारण है. कुछ लोग मिलकर हमारी एकता और सद्भाव को मिटाने में जुटे हैं. लेकिन ऊर्दू साहित्य में सद्भाव की भावना भरी पड़ी है. कोई बैर-भाव नहीं है. क्योंकि मजहब हमें आपस में […]

रामेश्वर कॉलेज में संगोष्ठी
मुजफ्फरपुर : आज देश ही नहीं बल्कि पूरा विश्व ही तनाव में है. भाई-चारगी की कमी इसका प्रमुख कारण है. कुछ लोग मिलकर हमारी एकता और सद्भाव को मिटाने में जुटे हैं. लेकिन ऊर्दू साहित्य में सद्भाव की भावना भरी पड़ी है. कोई बैर-भाव नहीं है. क्योंकि मजहब हमें आपस में द्ववेष भावना नहीं सिखाता. ये बातें प्रो फारूक अहमद सिद्दीकी ने रामेश्वर कॉलेज में ऊर्दू विभाग की ओर से उर्दू शायरी में कौमी मकजहती का तसब्बुर विषय पर आयोजित संगोष्ठी के दौरान कहीं. कहा, उर्दू साहित्य में भी राम शीर्षक पर कविता लिखी गयी है.
विशिष्ट अतिथि प्रो मो सिबगतुल्लाह हमीदी साहब ने ऊर्दू शायरी के जरिए एकता की बात कही. पीजी ऊर्दू विभाग के प्रो सैयद आले जफर ने अपने शोध पत्र के जरिए बताया कि ऊर्दू शायरी में कौमी एकता काफी मात्रा में जगह-जगह पायी गयी है. अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ नरेंद्र नारायण सिंह ने कहा कि भारतीय परंपरा वसुधैव कुटुंबकम का रहा है.
इस मौके पर डॉ महेश्वर प्रसाद सिंह, डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह, डॉ उमाशंकर प्रसाद सिंह, डॉ देवनंदन कुमार प्रसाद, डॉ रजनी रंजन, डॉ सैयद आले मुजतबा, डाॅ कनक कुमारी सिन्हा, प्रशांत प्रवीण, प्रभात कुमार मौजूद थे. संगोष्ठी का संचालन संस्कृत के प्राेफेसर डॉ ब्रह्मचारी व्यासनंदन शास्त्री ने किया.

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