आइसीआइसीआइ से 81 लाख गबन का मामला
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राशि गबन में दूसरों की आइडी का इस्तेमाल
आइसीआइसीआइ से 81 लाख गबन का मामला मुजफ्फरपुर : मिठनपुरा के क्लब रोड स्थित आइसीआइसीआइ बैंक में हुए 81 लाख की हेराफेरी मामले की जांच में नये-नये खुलासे हो रहें है. पुलिस जांच में इस मामले के मुख्य आरोपित आउट सोर्सिंग कर्मचारी अमित कुमार राव के अलावे तीन अन्य कर्मचारियों की संलिप्तता की बात भी […]
मुजफ्फरपुर : मिठनपुरा के क्लब रोड स्थित आइसीआइसीआइ बैंक में हुए 81 लाख की हेराफेरी मामले की जांच में नये-नये खुलासे हो रहें है. पुलिस जांच में इस मामले के मुख्य आरोपित आउट सोर्सिंग कर्मचारी अमित कुमार राव के अलावे तीन अन्य कर्मचारियों की संलिप्तता की बात भी सामने आयी है. राशि क्लीयरेंस करने के दौरान ग्राहकों की राशि को फर्जीवाड़ा कर अपने व अपने रिश्तेदारों के खाते में डालने के लिए उसने बैंक के तीन कर्मचारियों के आइडी का इस्तेमाल किया था. कांड का अनुसंधान कर
रहें मिठनपुरा थाना के दारोगा सुजीत कुमार जांच में आये इस तथ्य का जिक्र केस डायरी में भी किया है. नगर डीएसपी आशीष आनंद के समक्ष उक्त डायरी को प्रस्तुत कर दिया गया है. उनके निर्देश के बाद मामले के तह तक जाने के लिए तीनों बैंककर्मी से पूछताछ की जायेगी.
ग्राहक के शिकायत पर हुआ खुलासा था खुलासा : मिठनपुरा के जुब्बा सहनी पार्क स्थित सिन्हा कंपलेक्स स्थित आइसीआइसीआइ बैंक के मुख्य शाखा के कल्स्टर मैनेजर आनंद कुमार ने विगत 2 नवंबर 2016 को वेन्डर स्टाफ अमित राव के विरुद्ध 80 लाख,75 हजार,109 रुपये गबन किये जाने की प्राथमिकी दर्ज करायी थी. ग्राहकों के शिकायत के बाद अमित की जालसाजी पकड़ी गयी थी. वह ग्राहकों के चेक को प्राप्त कर राष्ट्रीयकृत बैंक से क्लीरियरेंस के बाद उसकी प्रविष्टी कंप्यूटर में करता था.
कंप्यूटर में प्रविष्टी होने के बाद बैंक से उक्त ग्राहकों के मांग पर उनकी राशि का भुगतान किया जाता था. लेकिन वेन्डर स्टाफ अमित कंप्यूटर के सॉफ्ट वेयर में छेड़छाड़ कर वास्तविक ग्राहकों के बदले अपने परिजनों व अन्य फर्जी लोगों के नाम पर चेक को जमा कर दिया और बाद में उसकी निकासी कर लेता था. मामले के जांच के दौरान आरोपित अमित राव
द्वारा इस फर्जीवाड़ा के खेल को अंजाम देने के लिए बैंक के ही तीन कर्मचारियों की आइडी का इस्तेमाल किये जाने की बात सामने आयी है. विश्वास में लेकर उक्त कर्मचारियों की आइडी से फर्जीवाड़ा की गयी राशि को करीब 12 लोगों के खाते में
डाल उसकी निकासी करता था. इसमें अधिकांश उसके परिजनों के ही नाम का खुलासा हुआ था. हद तो यह कि उसने दो साल पहले मृत अपने पिता विंदेश्वर प्रसाद के खाते में भी राशि का ट्रांसफर कर दिया था.
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