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किसान, व्यवसायी व बैंकर्स ने किये सवाल, केंद्रीय टीम ने कहा, समाधान जल्द

मुजफ्फरपुर : नोटबंदी पर आम लोग क्या सोचते हैं? यह जानने के लिए केंद्र सरकार विभिन्न वर्गों से फीडबैक ले रही है. इसके लिए टीम जिलों का दाैरा कर रही है. बुधवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की उपसचिव पालका सहनी के नेतृत्व में पहुंची टीम ने कलेक्ट्रेट में बैठक कर उनकी राय जानी. बैठक […]

मुजफ्फरपुर : नोटबंदी पर आम लोग क्या सोचते हैं? यह जानने के लिए केंद्र सरकार विभिन्न वर्गों से फीडबैक ले रही है. इसके लिए टीम जिलों का दाैरा कर रही है. बुधवार को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय की उपसचिव पालका सहनी के नेतृत्व में पहुंची टीम ने कलेक्ट्रेट में बैठक कर उनकी राय जानी. बैठक में डीएम धर्मेंद्र सिंह भी थे.

हटे किसानों की कैश लिमिट
नोटबंदी से किसानों सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. रायशुमारी के दौरान भी यह मुद्दा छाया रहा. 15 नवंबर से शुरू धान खरीद भी नोटबंदी से प्रभावित है. पैक्स प्रतिनिधियों ने कहा कि धान अधिप्राप्ति की सीमा प्रति किसान150 क्विंटल तक रखी गयी है. इसके लिए 2.20 लाख रुपये चाहिए. ऐसे में किसानों के लिए कैश का लिमिट हटाया जाना चाहिए. मोतीपुर के किसानश्री प्रशांत शाही ने उर्वरक विक्रेताओं के पुराने नोट ग्रहण करने की सीमा 10 दिसंबर तक बढ़ाने की मांग की.
कांटी के किसानश्री मुरलीधर शर्मा व सकरा के दिनेश कुमार ने मार्च तक पेट्रोल पंपों पर पुराने नोट लिये जाने व किसानों को पुराने नोट से बीज खरीदने की अनुमति प्रदान करने की मांग रखी. किसान रामाशंकर सिंह ने केसीसी लोन में हो रही समस्या को टीम के समक्ष रखा.
विभिन्न वर्ग के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करतीं पलका सहनी, साथ में डीएम धर्मेंद्र सिंह.
मजदूरी नहीं दे पा रहे, कारखाना हुआ बंद
पारले जी बिस्कुट फैक्टरी के मालिक विनोद कुमार ने कहा कि उनके यहां 300 कर्मचारी दिहाड़ी पर काम करते हैं. नोटबंदी के बाद उन्हें प्रतिदिन कैश देना संभव नहीं है, वे चेक से राशि लेने को तैयार नहीं हैं. इस कारण कारखाना बंद हो गया है. व्यवसायी श्याम भीमसेरिया, भारत भूषण, चितरंजन प्रसाद, राम अवतार नथानी, राम बंका ने भी नोटबंदी का असर व्यवसाय पर पड़ने की बात स्वीकारी.
प्लास्टिक मनी पर नहीं लगे सरचार्ज
नोटबंदी का उद्देश्य कैशलेस व्यवसाय को बढ़ावा देना बताया जा रहा है. बैठक में यह मुद्दा भी उठा. व्यवसायी आशीष कुमार ने कहा कि एटीएम, डेबिट व क्रेडिट कार्ड के स्वैप करने पर ग्राहकों को 10% तक कैश बैक का ऑफर दिया जा रहा है. व्यवसायियों पर एक प्रतिशत का सरचार्ज लगाया जाता है. प्राय: बड़े व्यवसायी एक से दो प्रतिशत मार्जिन पर व्यवसाय करते हैं. यही कारण है कि वे नकदी का अधिक प्रयोग करते हैं. बैंक में क्लियरेंस की गति धीमा होना भी इसका एक अहम फैक्टर है.
बैंक व डाकघरों के लिए नहीं
मिल रही पर्याप्त राशि
बैठक में बैंक व डाक विभाग के अधिकारियों ने नगदी की कमी की बात स्वीकारी. डाक अधीक्षक प्रवीर कुमार ने कहा कि जिले में 425 डाकघर हैं, जिसमें से 55 बड़े डाकघर हैं. जिले के डाकघरों के लिए प्रतिदिन एक करोड़ रुपये ही मिल रहे हैं. एक बड़े डाकघर में प्रतिदिन 30 लाख रुपये की जरूरत है, लेकिन उन्हें दो लाख रुपये ही उपलब्ध कराये जा रहे हैं. उन्होंने पुराने नोटों को जमा कराने में भी सहूलियत नहीं मिलने की भी शिकायत की. एसबीआइ के प्रतिनिधि ने भी कुछ ऐसी ही समस्या बतायी.
कहा, यदि जिले में एक साथ 200 से 400 करोड़ रुपये की आपूर्ति की जाये, तो सभी शाखाओं के मांग के अनुरूप राशि उपलब्ध करायी जा सकती है. इससे भुगतान में आ रही समस्या भी समाप्त हो जायेगी. बैंक ऑफ इंडिया के प्रतिनिधि बीपी सिंह ने मैन पावर की कमी का मसला उठाया. कहा, ग्रामीण क्षेत्र के बैंक शाखाओं में तीन से चार लोग ही कार्यरत हैं. ग्राहकों की लंबी कतार से उनमें असुरक्षा का भाव उत्पन्न होता है. ऐसे में बैंक की प्रत्येक शाखा में गार्ड उपलब्ध कराया जाना चाहिए.
आयकर विभाग को नहीं कोई निर्देश : पलका
नोटबंदी के बाद सरकार रोज नये दिशा-निर्देश जारी कर रही है. व्यवसायियों ने इस पर सवाल उठाये. कहा, इससे आम लोगों में दुविधा बनी रहती है. लोगों में भय व्याप्त है. आयकर विभाग का भय दिखलाया जा रहा है. उप सचिव पालका सहनी ने इसे निराधार बताया. कहा, केंद्र सरकार की ओर से आयकर विभाग को कोई निर्देश नहीं जारी किया गया है. वह अपना काम कर रहा है. आरबीआइ के वेबसाइट पर दिशा-निर्देश उपलब्ध है. एलडीएम इसे डाउनलोड कर सभी बैंक प्रतिनिधियों को उपलब्ध करा दें.
24 नवंबर को इस मसले पर सरकार बैठक भी करने वाली है.

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