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दिखा छात्रों का गुस्सा, बोले, हमें न्याय चाहिए

मुजफ्फरपुर : केंद्रीय विद्यालय, गन्नीपुर में प्रधानाचार्य के निलंबन के साथ ही 14 शिक्षकों व एक कर्मचारी के तबादले के विरोध में छात्रों ने दूसरे दिन शुक्रवार को भी हंगामा किया. वे शिक्षकों के तबादले को सत्र की समाप्ति तक कार्रवाई स्थगित रखने व प्रधानाचार्य पर दर्ज आपराधिक मामले को वापस लेने की मांग कर […]

मुजफ्फरपुर : केंद्रीय विद्यालय, गन्नीपुर में प्रधानाचार्य के निलंबन के साथ ही 14 शिक्षकों व एक कर्मचारी के तबादले के विरोध में छात्रों ने दूसरे दिन शुक्रवार को भी हंगामा किया. वे शिक्षकों के तबादले को सत्र की समाप्ति तक कार्रवाई स्थगित रखने व प्रधानाचार्य पर दर्ज आपराधिक मामले को वापस लेने की मांग कर रहे थे. इसके चलते पांच घंटे तक स्कूल कैंपस में अफरा-तफरी का माहौल रहा. बाद में स्कूल में छुट्टी कर दी गयी. शनिवार को फिर से पैरेंट-टीचर मीटिंग बुलायी गयी है. हंगामे के दौरान डीएम धर्मेंद्र सिंह भी स्कूल पहुंचे थे, लेकिन वो भी छात्र-छात्राओं के सवालों के सवालों के सामने निरुत्तर हो गये.

केंद्रीय विद्यालय में कक्षा एक से 12वीं तक की पढ़ाई दो शिफ्ट में होती है. पहले सत्र की क्लास सुबह साढ़े सात बजे शुरू होती है. शुक्रवार को प्रार्थना सभा के बाद सभी बच्चे क्लास रूम में चले गये. अचानक 11वीं व 12वीं के छात्र-छात्राओं ने कक्षा का बहिष्कार कर दिया. क्लास रूम में पहुंचे शिक्षकों से कह दिया कि प्रधानाचार्य व शिक्षकों पर हुई कार्रवाई वापस नहीं ली गयी, तो वे क्लास नहीं करेंगे. बच्चों की बात सुनते ही स्कूल प्रबंधन हरत में आ गया, लेकिन तब तक दर्जनों बच्चे ‘वी वांट जस्टिस’ का नारा लगाते हुए क्लास रूम से बाहर कैंपस में आ गये. इस बीच सैकड़ों बच्चों को क्लास के अंदर ही बंद कर दिया गया. वे क्लास के अंदर से ही विरोध जता रहे थे.

सैकड़ों बच्चों को किया नजरबंद
सैकड़ों बच्चों को करीब पांच घंटे तक विद्यालय में ही अघोषित तौर पर नजरबंद रखा गया था. सुबह करीब साढ़े सात बजे बच्चों ने हंगामा शुरू किया, तो धीरे-धीरे सभी क्लास में यह बात फैल गयी. इस बीच कुछ बच्चे नारेबाजी करते हुए बाहर निकल गये, जबकि सैकड़ों बच्चों को अलग-अलग ब्लॉक में अंदर ही बंद कर दिया गया था. दरवाजे पर पुलिस के जवान लगा दिये गये, जो बच्चों को बाहर निकलने से रोक रहे थे, जब बाहर मीडिया व प्रशासन की भीड़ जुटी तो अंदर बंद बच्चों ने रो-रोकर बाहर निकालने की गुहार लगाई. यहां तक मेन गेट की पूर्वी ग्रिल में ताला गया दिया गया था, जिसे छात्रों ने ईंट मार कर तोड़ने का प्रयास किया. इस बीच पुलिसकर्मियों ने पहुंचकर उन्हें रोक दिया. छात्राएं रोती रहीं. डीएम के पहुंचने के बाद भी करीब घंटे भर बाद तक छात्रों को अंदर ही रखा गया.

पहले पीरियड में ही क्लास बहिष्कार . सर, हम लोग पढ़ना नहीं चाहते, जब तक प्रिंसिपल व अन्य टीचर्स पर हुई कार्रवाई वापस नहीं होती, हम क्लास नहीं करेंगे. यह बात पहले पीरियड में 12वीं के एक क्लास से निकली और देखते ही देखते पूरे कैंपस में फैल गयी. उस क्लास में पढ़ाने पहुंचे पुराने टीचर का कहना था कि बच्चों की भावना को देखते हुए हमने भी कुछ नहीं कहा और वापस लौट आये. इसके बाद तो सभी बच्चों ने धीरे-धीरे क्लास का बहिष्कार कर दिया. प्रबंधन ने कुछ देर प्रयास किया ताकि समझा-बुझाकर पढ़ाई शुरू करायी जा सके, लेकिन सफलता नहीं मिली.

पीडि़त छात्र की काबिलियत पर उठाये सवाल!.
डीएम के सामने एक छात्रा ने पीड़ित छात्र की मेधा पर सवाल उठाया. डीएम ने उसकी बातों को सुनते हुए जांच में इसे भी शामिल करने का भरोसा दिया. डीएम जब प्रशासन व मुख्यालय की कार्रवाई को सही ठहरा रहे थे, तभी एक छात्रा आगे बढ़कर बोलना शुरू कर दी. उसने कहा कि मामले की जांच में केवि संगठन या प्रशासन की टीम ने छात्रों से कुछ नहीं पूछा. खुद ही घोषित कर दिया कि पीड़ित छात्र मेधावी था, जिसके चलते उसको प्रताड़ित किया जाता रहा. उसके साथ मारपीट हुई. छात्रा बोली- सर, उसका रिपोर्ट कार्ड चेक कीजिए. कभी भी वह न तो टॉपर रहा है, न ही क्लास का मॉनीटर. मैट्रिक में भी उसको 6.8 सीजीपीए मिला है. उसने जो कह दिया वह पत्त्थर की लकीर नहीं हो जाती. केवल उसी की बात सभी ने सुनी है और वह बार-बार अपनी बयान बदल रहा है.

एसी पर उठाये सवाल?
सर, एसी सर कह रहे हैं कि तुम लोग कुछ भी कर लो, कुछ होनेवाला नहीं है. ये बात जब एक छात्रा ने उठायी, तो डीएम समेत अन्य लोग सन्न रह गये. इस पर डीएम ने भरोसा दिलाना चाहा कि केंद्रीय विद्यालय संगठन उनके हित में काम कर रहा है. डीएम ने कहा, संगठन ने यहां की व्यवस्था संभालने के लिए एसी को भेजा है. वे आपकी बात सुनकर आवश्यक कार्रवाई करेंगे. इसी बात भी भीड़ से एक छात्रा बाहर निकली और डीएम के सामने आकर बोली कि उनके सामने हम अपनी बात रख रहे हैं, तो वे अनाप-शनाप बोलते हैं.

सर, वह तो अगली बेंच पर बैठता था . बच्चों की लड़ाई को जातीय रंग देने पर छात्र-छात्राओं में नाराजगी है. कैंपस में हंगामे के दौरान बच्चों ने मीडियाकर्मियों को घेर लिया और उनसे भी न्याय की मांग की. बच्चों का कहना था कि कैंपस में हुई लड़ाई को जातीय रंग दिया जा रहा है, जो ठीक नहीं है. कहा जा रहा है कि पीड़ति छात्र के दलित होने के कारण उसे बराबर प्रताड़ति किया जा रहा था. बच्चों का कहना था कि क्लास रूम में वह हमेशा अगली बेंच पर बैठता था, तो प्रताड़ति कहां से हुआ. कभी किसी ने इस बात को लेकर उसके साथ गलत व्यवहार नहीं किया कि वह दलित है. अब इसे भी मुद्दा बनाया जा रहा है.

अनदेखी से बढ़ा छात्रों का गुस्सा बच्चों का गुस्सा खुद की अनदेखी से बढ़ रहा है. उनका कहना है कि प्रशासन व विभाग की जांच में उनसे कहीं भी पूछताछ नहीं की गयी. कम से कम पीड़ति छात्र के क्लास के बच्चों से तो पूछा ही जाना चाहिए था. डीएम के सामने भी बच्चों ने यह बात रखी. डीएम ने जब कहा कि कल उनके अभिभावकों को बुलाया गया है. वे ही उनका पक्ष रखेंगे, तो बच्चों ने विरोध किया. कहा- सर, स्कूल में हम लोग आते हैं. यहां की स्थिति हम बेहतर तरीके से बता सकते हैं, हमारे अभिभावक नहीं है. बच्चों ने कहा कि केंद्रीय विद्यालय की जांच टीम ने भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर क्लास में क्या माहौल रहता है. जिला प्रशासन ने भी उन लोगों को अब तक नजरअंदाज किया है. हालांकि डीएम ने उन्हें यह कहकर समझाने की कोशिश की कि वे अभी जुबेनाइल है. बहुत कुछ सोचने-समझने की क्षमता नहीं है.

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